तो दोस्तों आज की केस स्टडी है अरविंद राय के हॉस्पिटल उनके फाउंडर जिनको हम आज दो वीक नाम से जानते हैं यह कहानी शुरू होती है 1976 में जब 18 साल के डॉक्टर व्यंकटेश स्वामी अपनी एस्ट्रोलॉजिस्ट की जॉब से रिटायर होते हैं ना तो इन्होंने कभी शादी कारी और ना ही इनकी कोई औलाद थी इसलिए रिटायरमेंट के बाद साधना करने के लिए पांडिचेरी चल जाते हैं डॉक्टर भी अपने.
बायो में सबसे बड़े द इसलिए अपने भाइयों को समझने के बाद इनको एक चीज रिलाइज हुई की वो आई कैन में कुछ अच्छा करके लोगों की हेल्प कर सकते हैं और इसके बाद इन्होंने मदुरई के अंदर एक छोटा सा घर लिया और उसे घर से अरविंद आयकर हॉस्पिटल की शुरुआत हुई इनाम भी इन्होंने अपने स्पिरिचुअल के तमिल ट्रांसलेट से लिया है स्टार्टिंग इन्होंने 11 बेड से शुरुआत कारी इसमें इनकी और इनके.
सभी भाइयों की पुरी सेविंग्स लग गई इसके लिए इन्होंने अपना घर तक बेच दिया ऐसे कई पेशेंट द जिनको के रेट की जरूरत थी बट इसके बारे में किसी को पता ही नहीं था और अरविंद हॉस्पिटल में ये सब फ्री में होता था ये भी किसी को पता नहीं था इंडिया में 75% ब्लाइंडनेस कौन के ट्रैक की वजह से आती है डॉक्टर अलग-अलग टीम में जाके मदुरई के आसपास के विलेज में सबके फ्री में.
चेकअप करने लगे और जिसको सर्जरी की जरूरत थी वो भी वो फ्री में कर चीज है उसे टाइम पर इनका हॉस्पिटल इतना छोटा हुआ करता था यह लोग सिर्फ 20 से 30 बेटी लगा सकते द इतना सब कुछ होने के बावजूद भी लोग यहां आना नहीं चाहते द इस टाइम सिर्फ 14.6% raycommend लोग यहां के इलाज करवाते द पर सवाल यह है की बाकी के 85.4% लोग यहां आना क्यों नहीं जाते द फिर उन्हें पता चला की.
कई पेशेंट्स ऐसे है जो वहां तक आने का ट्रांसपोर्टेशन और वहां आने के बाद लंच का खर्चा भी नहीं कर सकते फिर उन्होंने इन सबके लिए ट्रांसपोर्ट अरेंज करवाया और इसके साथ-साथ आपको फूड भी अरेंज करके दिया इसकी वजह से कैंप के अंदर 65% रिकमेंड लोग आना स्टार्ट कर देते हैं 1989 में इंडियन मीटिंग में डॉक्टर सोचते हैं की सब कुछ फ्री में देने के बावजूद 40% से ज्यादा.
लोग यहां क्यों नहीं ए रहे हैं फिर उन्होंने कम से लिंक स्टार्ट किया और इसमें इन्होंने 12th पास लड़कियों को रखा क्योंकि वहीं से हुआ करती थी और ये लड़कियां गेम्स में जा के सभी को सर्जरी के कमेंट करती थी इन सारी लड़कियों को दो क्वालिटी देखके हायर किया जाता था फर्स्ट हाई लेवल ऑफ एवरीथिंग नंबर तू सी शुड एंजॉय टॉकिंग इन सभी लड़कियों को ट्रेनिंग.
देकर डॉक्टर के साथ गेम्स में लगा दिया जाता था जहां पे वो काउंसलिंग करती थी इसके चलते कोई भी पेशेंट 90 करने सोचा था जिसकी वजह से अरविंद का पेशेंट एक्सेप्ट्स रेट 60% से बढ़कर 80% हो गया फिर उन्होंने एक और इनोवेशन स्टार्ट किया जिसका नाम था यह यानी ग्लोबल इनफॉरमेशन सिस्टम इसके चलते अरविंद को यह पता चल जाता है की उनको कौन से विलेज में कम करना चाहिए और इस.
टेक्नोलॉजी की वजह से वो ये भी जान पाते द की वहां पर ट्रांसपोर्टेशन की क्या सिचुएशन है और वहां पे ऐसा कौन लोकल है जो उनकी फूड और ट्रांसपोर्टेशन हेल्प कर सकता है अब हम ये जानते हैं की इनका बिजनेस मॉडल क्या है अरविंद हाई वॉल्यूम हाई क्वालिटी और efffortable एप्रोच का उसे करते हैं अपनी सर्विस को डिलीवर करने के लिए इसकी वजह से इनका इकोनॉमी ऑफ स्किल.
प्रोड्यूस होता है ऑपरेशन असेंबली लाइन सिस्टम है पेशेंट को एडमिट होने से लेके disters तक जो भी प्रक्रिया होती है उसको एक असेंबली लांस सिस्टम में रखा था जिसकी वजह से इन्होंने छह आउट पेशेंट सेंटर बना के रखे हैं इसके अंदर सभी पेशेंट को स्टैंडर्ड प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है रजिस्ट्रेशन विज़न टेस्ट प्रिलिमनरी एग्जाम डिफ्रेक्शन और फाइनल एग्जाम इसके.
बाद पेशेंट को कम से आपके पास भेजे जाता है जिसकी वजह से सब कुछ डाउट क्लियर हो जाता है और पेशेंट आसानी से अपना सर्जरी का डिसीजन ले सकता है इसमें ये लोग डेली से ज्यादा टेस्ट करते हैं 1500 कर जाते हैं उसके बाद इनमें से जिसको सर्जरी की जरूरत होती है उन्हें अरविंद राय के हॉस्पिटल में भेजा जाता है अरविंद की पंच इस सर्जरी हॉस्पिटल में इतने सारे.
पेशेंट को हैंडल करने के लिए इनका एक स्टैंडर्ड असेंबल किया हुआ प्रक्रिया है जिसकी वजह से ये आसान हो जाता है इसकी वजह से डॉक्टर का टाइम और हॉस्पिटल का पैसा सब कुछ बच जाता है जहां पे नॉर्मल डॉक्टर 400 सर्जरी करते हैं वहीं पे और भी लाइक और हॉस्पिटल में 2000 से ज्यादा सर्जरी होती है यहां पे नॉर्मल हॉस्पिटल की तरह ऑपरेशन थिएटर में एक ही है सर्जन होता है बट यहां.
पे बैठ दो रखे जाते हैं और सेकंड बेड में पेशेंट को सर्जरी के लिए रेडी किया जाता है और उसके अलावा इनके पास लोग नाम से होती है जहां पे नॉर्मल हॉस्पिटल में वैन आर में वैन सर्जरी होती है वहीं पे अरविंद के हॉस्पिटल में वैन आर्मी 628 सर्जरी होती है अपनी कॉस्ट को बचाने के लिए अरविंद लोकल क्लास से काफी सारी लेडीज को उठाते हैं आज की डेट में अर्जुन की.
वर्कफोर्स में 60% लेडीज है 1980 में इनको लांस की हाई प्राइस का सामना करना पड़ा ये पेशेंट की आई के अंदर लगाया जाता है उसे टाइम पर इसका रेट हुआ करता था जो अरविंद के लिए बहुत चैलेंजिंग डी इन लोगों ने सुप्लेक्स के साथ नेगोशिएट करने की बहुत ट्राई की बट वह फैल हो गए इसके चलते इनको एक नया विज़न मिला इन हाउस ऑप्ट्रा लांस मैन्युफैक्चरिंग इसके लिए इन्होंने और ऑल.
ऐप की शुरुआत कारी अब ये लांस इनको 100 की जगह पे $10 में मिल जाता था जिसकी वजह से इनकी 90% कॉस्ट यही पे बच गई ये लोग अर्ली तू मिलियन से भी ज्यादा लेंस मैन्युफैक्चरिंग करते हैं और ये 160 से भी ज्यादा कंट्रीज ने एक्सपोर्ट कर जाता है और आज कल ये लोग फार्मास्यूटिकल इक्विपमेंट भी बनाने लगे हैं और कंपैरेटिव इनकी कॉस्ट वेस्टर्न कंट्री से भी बहुत कम.
है इसकी वजह से आज अरविंद उस से 1000 गुना ज्यादा सस्ती और 60% ज्यादा सर्जरी कर पाते हैं जो सर्जरी उस के अंदर 3000 में होती थी वो यहां पे 59 के अंदर हो जाती आज भी इसके अंदर 60% से ज्यादा सर्जरी ऑफ कॉस्ट कारी जाती है ये सब करने के 40% प्रॉफिट में चलता है उसका रीजन है हाइब्रिड बिजनेस मॉडल अरविंद पेइंग और नॉन पेइंग दोनों के साथ डील करते हैं और इसके.
2/3 पेशेंट नॉन पेइंग होते हैं और साथ में एयरलिफ्ट की प्रोडक्ट की वजह से ये अच्छा खास रेवेन्यू जेनरेट करता है इनके इतने अच्छे कम की वजह से बहुत इनको डोनेशन भी देते हैं अगर बात करेंगे बिजनेस लेसन की तो फर्स्ट एंड मणि विल फॉलो यू लुक फ्री में कम किया सो इस वजह से इनको अपना मणि स्ट्रक्चर अच्छे डिज़ाइन करने की जरूरत पड़ी और इसके चलते इन्होंने फ्री में कम.
करके भी अपने हॉस्पिटल को फाइनेंशली स्ट्रांग रखा सेकंड इनोवेशन इसे डी सॉल्यूशन फॉर एवरी प्रॉब्लम फ्री होने के बाद स्टार्टिंग में इनके पास कोई पेशेंट नहीं ए रहा था पर इसे हर ना मानते हुए इन्होंने नए-नए इतिहास निकले थर्ड ये हैप्पीनेस कॉम बाय हेल्पिंग अदर्स सो आई होप यू गैस लाइक दिस केस स्टडीड फॉर डी नेक्स्ट वैन एंड डोंट फॉरगेट तू लाइक शेयर.
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