तो दोस्तों अगर आपने लेट 9320 के दौरान इंटरनेट यूज किया है तो आप यह के बारे में जरूर जानते होंगे एक समय था जब यह इंटरनेट की मोस्ट वेबसाइट में से एक हुआ करता था क्योंकि Google Facebook और Amazon जैसी कंपनियों के आने से पहले या यूं ही लोगों को भारत सर्विस प्रोवाइड कर रहा था आपको जानकर हैरानी होगी कि यह को ऐसे कई मौके मिले थे कि वह गूगल फेसबुक.
और ही वे को खरीद सकता था और या उन्हें सच में ऐसा कर लिया होता तो शायद आज यह दुनिया की सबसे वैल्यूबल कंपनीज में से एक होता लेकिन अनफॉर्चूनेटली अपने बैड डिस्टेंस की वजह से यह ऐसा करने में नाकाम रहा और पूरे इंटरनेट को single-handedly 2 मिनट करने वाला आया हूं वक्त के साथ बुरी तरह बर्बाद हो गया दोस्तों आज की इस वीडियो में हम जानेंगे कि कैसे कुछ मामले.
से मिस्टेक 1 मिलियन डॉलर कंपनी को बर्बाद कर गई तो चलिए वीडियो को शुरू करते हैं में दोस्तों सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि याहू की शुरुआत कैसे हुई थी आज अगर हमें इंटरनेट से कोई भी इंफॉर्मेशन चाहिए होती है तो हम सीधा गूगल पर जाकर सर्च कर लेते हैं और विधि सेकेंड उस टॉपिक से जुड़ी सारी इन्फॉर्मेशन हमारे सामने आ जाती है लेकिन यह अगर बात करें तो उसमें.
इंटरनेट को यूज करना काफी मुश्किल होता था जो कि अब लोगों के पास इंटरनेट ब्राउजर करने के लिए गूगल जैसे सर्च इंजन नहीं होता था जिसके चलते लोगों को अपनी जरूरत की वेबसाइट का जो मैंने याद रखना पड़ता था और दोस्तों यह एक बहुत बड़ा सरदर्द था ऐसे में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो स्टूडेंट्स जेरी यांग और डेविड फैरर ने सोचा कि क्यों ना इस प्रॉब्लम को सॉल्व.
किया जाए जिससे लोगों को डोमेन नेम ध्यान रखना पड़ेगा और साल 1994 में उन्होंने उस वक्त की सभी फेमस वेबसाइट की एक लिस्ट तैयार करके उसे इंटरनेट पर अपने दोस्तों के साथ शेयर कर दिया अब तो तो यहां पर उन्होंने किया गया था कि वह मैन वाली एक वेबसाइट को उनकी अलग-अलग कैटेगिरी के हिसाब से सेट किया था यानी बेसिकली यह एक वेब डायरेक्टरी थी जिसका नाम उन्होंने.
जरिए डेविड गाइड टो थे वर्ल्ड वाइड वेब रखा था दोस्तों देखते ही देखते हैं जो इंटरनेट पर काफी फेमस हो गए हजारों लोग इस बैटरी का यूज करने लगे अब दोस्तों फ्री मोड निको इसलिए बनाया था कि उनको और उनके दोस्तों को अलग-अलग डोमेन नेम याद रखना पड़े लेकिन उस समय हालात कुछ ऐसे हो गए कि उन्हें इसे अपना बिजनेस बनाना पड़ गया दरअसल हुआ यूं कि 1994 के दौरान नेक्स्ट.
के कंपनी ने अपना वेब ब्राउज़र नेवीगेटर को लांच कर दिया और उन्हें उस ब्राउज़र के होमपेज पर इस डायरेक्टरी का लिंग टाइट कर दिया अब तो जैसे-जैसे नेवीगेटर ब्राउज़र फेमस हुआ वैसे-वैसे इस ट्रैक पर आने वाला ट्रैफिक बढ़ने लगा यहां तक कि से कुछ ही महीनों में यह नंबर मिलियंस को क्रॉस कर गया ऐसे में यह ट्वीट को यह ट्रैफिक हैंडल करने के लिए बड़े-बड़े क्रॉस में पैसा.
इनवेस्ट करना पड़ा और साथ इसके मैनेजमेंट के लिए उन्हें कुछ लोग भी शेयर करने पड़े तो सोंठ में कहें तो उन्हें पैसों की जरूरत पड़ने लगी थी और इसी जरूरत को पूरा करने के लिए उन्हें इसे अपना बिजनेस बनाना पड़ा अब दोस्तों सबसे पहले 19 डायरेक्टरी का नाम चेंज किया क्योंकि उनका पहने वाला नाम काफी लंबा था जेडीओ डेविड दोनों को ऐसा नाम चाहते थे तो छोटा हो और साथी फनी.
फाइट करता हो और यह काफी सोचने के बाद उन्होंने गेहूं आपको से लिया इसके बाद दोस्तों 12 चीजों को बर्थडे विश करने के जो कि उनके लिए काफी आसान काम था कि याहू आलरेडी इतना फेमस हो चुका था कि बहुत सी कंपनीज उस पर अपना ऐड रन करने के लिए पहले से ही तैयार बैठी थी तो इस तरफ अपनी विवाहित स्त्री पर हिट चलाकर यह उन्हें रेवेन्यू जनरेट करना शुरू कर दिया तो तो.
अब आप सोच रहे होंगे कि याहू की जर्नी बस यहीं तक होगी लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है असल में यह की टीम को जब ई रिलाइज्ड हुआ कि इंटरनेट के मैक्सिमम यूज़र किसी भी वेबसाइट पर उनकी वेब डायरेक्टरी के थ्रू भी जाते हैं तो ऐसे में उन्हें यह आइडिया आया कि क्यों न यूजर्स को दूसरी वेबसाइट पर भेजने की जगह अपनी खुद की वेबसाइट बनाकर उन पर भेजा जाए क्योंकि इस तरह वह.
अपनी रेवेन्यू को हजारों गुना तक बढ़ा सकते हैं अब जो कि याहू के पास की डाटा थी कि कौन-कौन से लोग किन-किन वेबसाइट को सबसे ज्यादा विजिट करते हैं तो इस डाटा की हेल्प से उन्हें हर कैटेगरी में अपनी खुद की सर्विस लॉन्च करना शुरू कर दिया परिसर पर उन्हें जब देखा कि बहुत सारे लोग इंटरनेट पर उनकी वेब डायरेक्टरी के छू न्यूज वेबसाइट विजिट करते हैं तो ऐसे में.
उन्होंने अपनी खुद की न्यूज़ सर्विस युद्ध को लांच कर दिया और अपनी डायरेक्टरी में दूसरी न्यूज़ वेबसाइट की जगह कुंडेश्वर डाल दिया इस तरह उन्होंने सैकड़ों अलग-अलग कैटेगिरी में अपनी खुद की वेब सर्विस लॉन्च करती दोस्तों इसमें शॉपिंग फांसी इयररिंग स्पोर्ट्स गेम और पेंशन जैसी बहुत सारे सर्विस से और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस साल 2002 तक यह कि यह वेब सर्विसेज.
400 के नंबर को क्रॉस कर गई थी और इन छह साल के अंदर इस कंपनी का मार्केट कैप 12820 है डालर तक पहुंच गया था तो यह अब सिर्फ एक वेब डायरेक्टरी नहीं बल्कि लोगों के लिए इंटरनेट का मतलब है या हो गया था यह वह दौर था जब उन्हें बहुत सारी अलग-अलग इंटरनेट कंपनीज और स्टार्टअप को एक बार कर लिया और दोस्तों उसी वक्त दो यानि स्टूडेंट्स अपने नॉन स्टॉप को बेचने के.
इरादे से याहू के पास पहुंचे दोस्तों यह दोनों अपने बिजनेस को 1 मिलियन डाउनलोड्स में बेचना चाहते थे लेकिन यह को ऑफ बिजनस में कोई खास पोटेंशियल नजर ना आने की वजह से उसने उस कंपनी को खरीदने से इंकार कर दिया और दोस्तों यह तो यह बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि यह बिजनेस ठुकराने का फैसला ही आगे जाकर उसके डोंट वालों का सबसे बड़ा रीज़न बनने वाला है क्योंकि दोस्तों याहू.
ने जिस स्टार्टअप को खरीदने से इंकार किया था वो कोई और नहीं बल्कि गूगल आ बसे या हो कि डोंट फोन किया कर कि उसकी शुरुआत अर्ली 2000s B.Com बल्बस के साथ हो गई थी दार्शनिकता इस इसकी वजह से बहुत सारे ऐडवरटाइजर्स ने इंटरनेट पर ऐड रन करना बंद कर दिया था और इसका याहू के रेवेन्यू पर काफी गहरा असर हो रहा था इसके साथ ही दोस्तों Google भी अपना सर्च इंजन लांच कर.
चुका था जिसने इंटरनेट को यूज करना बेहद आसान कर दिया और इसी के चलते लोग यह की जगह गूगल को यूज करने लगे अब दोस्तों यह को जब अपने डाउन फॉर का reliance हुआ तो उसने सोचा कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे लोगों को गूगल यूज करने के लिए भी याहू से बाहर न जाना पड़े और इसके लिए उसने गूगल के साथ एक डील साइन करके अपने होमपेज पर गूगल सर्च इंजन को इंटिग्रेट कर.
दिया अब दोस्तों शॉर्ट टर्म में भले ही यहां पर यह को फायदा हुआ लेकिन इस फैसले की वजह से या हो बर्बाद हो गया क्योंकि उसने इस बात को रिलाइज नहीं किया कि इस तरह वह इनडायरेक्टली अपने users के सामने गूगल को फ्री में प्रमोट कर रहा था और इसका असर उसे तब दिखना शुरू हुआ जब गूगल सिर्फ उसके कस्टमर ही नहीं बल्कि ऐडवरटाइजर्स और प्रॉफिट चुरा ले गया.
दोस्तों बताया जाता है कि इस वक्त गूगल की एल्गोरिथ्म यहां से कहीं ज्यादा बेहतर थी जिसके है अपने सर्च रिजल्ट में लोगों को जाता एलिमेंट दिखा रहा था कि गूगल के ऐडवरटाइजर्स के लिए ज्यादा कॉस्ट इफेक्टिव इसलिए मैक्सिमम ऐडवरटाइजर्स यह की जगह गूगल को ऐसे लगे थे अब दोस्तों यह को यह अहसास हो चुका था कि गूगल को रिजेक्ट करके उसने एक बहुत बड़ी गलती की है और अपनी इस.
गलती को सुधारने के लिए इस बार यह खुद गूगल को खरीदने गया अब दोस्तों Google आलरेडी इतना सक्सेसफुल हो चुका था कि इस बार उसने अपना प्राइस 1 मिलियन से बढ़ाकर एक बे डेवलप्ड कर दिया हालांकि इस रकम में भी याहू राजी हो गया था लेकिन इस डील के फाइनल होने से पहले Google ने अपना प्राइस बढ़ाकर पहले तीन मिलियन किया और फिर उसके बाद 5 मिनट के डिमांड कर दी और दोस्तों.
यहां पर या हूं फिर से गूगल को एक वार करने में नाकाम हो गया अब यह डील कैंसिल होने के बाद याहू ने गूगल को अपने होम पर से रिमूव कर दिया और उसकी जगह अपना खुद का एक सर्च इंजन बज करके गूगल से डाइरैक्टली कंप्लीट करने लगा लेकिन यह हूं इस कोशिश में भी नाकाम रहा अब जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे-वैसे या हूं मार्केट में अपना डोमिनेंस रेवेन्यू यूजर्स और मार्केट कैप.
सब कुछ होते जा रहा था अब इस सिचुएशन से निकलने के लिए कि 2006 में या कोई और मौका मिला दरअसल मार्क जकरबर्ग कुछ इंटरनल कंट्रोवर्सीज के चलते या उसको अपने कंपनी फेसबुक सिर्फ 1 मिलियन डॉलर में बेचने के लिए राजी हो गए थे लेकिन इस डील के दौरान यादों के ऑफिस है उस प्राइस को और कम करने की मांग की और उन्हें चक्रवात से कहा यह Facebook के लिए सिर्फ 850 मिलियन डॉलर से.
ले सकते हैं दोस्तों यह का इस तरह मोल-भाव करना जाकर के दिमाग पर चढ़ गया और गुस्से में आकर उन्हें इस डील को कैंसिल कर दिया वैसे दोस्तों गूगल और फेसबुक के साथ-साथ जाओ कोई ये को खरीदने का भी मौका मिला था लेकिन पहले की तरह यह सारे डिटेल भी कैंसल ओके है अब दोस्तों आप खुद सोचो अगर या उन्हें इन सब कंपनी को खरीद लिया होता तो इंटरनेट की दुनिया आज कितनी अलग होती.
हालांकि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि याहू इन सब कंपनी को खरीद कर सकते हो ही जाता जो कि इन कंपनियों को रिजेक्ट करना यह के लिए मिस्टेक नहीं थी बल्कि इसके अलावा कंपनी के अंदर जो चल रहा था वह भी इसके डाउनफॉल काहे का हमारी जान था तो यह 19 सैकड़ों वेब सर्विस को शुरू कर दिया था लेकिन इसका सबसे बड़ा बैग यह थी यह कंपनी अपने किसी भी सर्विस पर रूम से फोकस नहीं.
कर पाई फॉर एग्जांपल यह शॉपिंग को Amazon याहू मैसेंजर को व्हाट्सएप और यह मेरे को Gmail जैसी सर्विस ने ट्वीट कर दिया और आपको जानकर हैरानी होगी कि सा 2007 से लेकर 2012 के बीच यानी 5 साल के अंदर-अंदर या उन्हें अपने पांच अलग-अलग सीईओ चेंज कर दिया था और इससे पता चलता है कि कंपनी का मैनेजमेंट अपने मिशन और विज़न से पूरी तरह भटक चुका था अब दोस्तों इतना सब कुछ होने.
के बावजूद भी साथ 2008 में माइक्रोसॉफ्ट ने याहू को 44.6 बिलियर्ड्स और उसमें खरीदने का ऑफर दिया क्योंकि माइक्रोसॉफ्ट को लगता था कि वह याहू को एक व करके गूगल को टक्कर दे सकता है अब देखा जाए तो माइक्रोसॉफ्ट का यह ऑफर वाकई में बहुत अच्छा था लेकिन दोस्तों याहू ने इस ऑफर को भी ठुकरा दिया और नतीजा यह हुआ कि साल 2017 में विराजे नाम की एक कंपनी ने इसे.
4.4 एडिडास में खरीद लिया जो कि तो माइक्रोसॉफ्ट के ऑफ़र्ड अमाउंट का दस गुना से भी कम था और इस तरह अपने कुछ बैठ डिसीजंस खराब लीडरशिप और स्ट्रोक कंपटीशन की वजह से यह कंपनी पूरी तरह बर्बाद हो गई और जो यह कभी इंटरनेट पर अकेला राज किया करता था लोग उसका नाम तक भूल गए दो इसी तरह अगर आप जानना चाहते हैं कि विंडोज़ मोबाइल खत्म क्यों हो गए तो आई बटन पर.
क्लिक करके वीडियो को देख सकते हैं कि आज के लिए बस इतना ही आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद