एक जमाना था जब इंडियन डीटू स स्टार्टअप्स ने तहलका बचा रखा था हर कोई डीटू स स्टार्टअप शुरू करना चाहता था क्योंकि उसमें दबा के फंडिंग मिल रही थी पर अगर मैं सिर्फ 2024 की बात करके चलूं तो फंडिंग 66 पर घटती हुई दिखाई दी है तो क्या इंडियन डी टूसी स्टार्टअप्स डेड होती हुई दिखाई दे रही है क्या फ्यूचर खत्म हो रहा है डी टूसी स्ट अपस का तो अगर हम आज.
इंडिया के अंदर डी टूसी सेटअप शुरू करना चाहते हैं तो क्या क्या चैलेंज आ रहे हैं टसी इकोसिस्टम के अंदर इस केस स्टडी के अंदर हम बात करने वाले हैं सबसे पहला और सबसे बड़ा जो चैलेंज आ रहा है वो है फंडिंग क्रंच इंडिया के अंदर jio-complaint बहुत सारे जो कंज्यूमर्स थे जो पहले ऑनलाइन ले रहे थे अब वो ऑफलाइन भी ले रहे थे इसी घटती हुई ग्रोथ रेट के.
चक्कर में इन्वेस्टर थोड़े से कॉशस हो जाते हैं और वो फंडिंग को थोड़ा सा रोक देते हैं अगर 2024 की बात करके चले तो $95 बिलियन डॉलर रेज किया गया इंडियन स्टार्टस के थ्रू और यहां पर 115 डील्स देखने को मिली और अगर 2023 की बात करके चले उस टाइम पे 1.4 बिलियन डॉलर रेज किया गया था 134 डील्स के अंदर यहां पे दो बड़ी चीजें दिखाई दे रही है एक तो फंडिंग घटती हुई.
दिखाई दे रही है साथ में जो एवरेज फंडिंग राउंड होता है वह भी घटता हुआ दिखाई दे रहा है और यही पूरी कहानी हमको पूरे इकोसिस्टम में ही दिखाई दे रही थी अगर पूरे इंडियन इकोसिस्टम की बात करके चले तो 31 पर ड्रॉप आया है अगर डील वॉल्यूम की बात करके चले तो बहुत सारी ऐसी स्टार्टअप्स है जो कि अपनी वैल्यूएशन को 50 पर घटाने के बावजूद भी पैसा रेज नहीं.
कर पा रही है मैक्सिमम जो डीटजी स्टार्टअप्स है वो आज भी लॉस के अंदर है जिसमें से आपके पॉपुलर शार्क की भी स्टार्टअप्स आती है यहां पर ड स्टेट बी टूजी स्टार्टअप्स को भी दिक्कत आ रही है पैसा रेज करने के लिए देखो सिंपल सी बात है अगर मार्केट में पैसा नहीं मिल रहा होता ना तो तीन तरीके होते हैं अपनी स्टार्टअप को चलाने के एक क्या होता है कि.
आप मार्केट से पैसा रेज कर लो जिस भी वैल्यूएशन में पैसा मिल रहा है अगर करेंटली आपकी कंपनी की वैल्युएशन 1 बिलियन डॉलर की है और इन्वेस्टर कहता है कि भाई मैं 1 बिलियन डॉलर पे तो पैसा नहीं दूंगा मैं 200 मिलियन डॉलर पे दूंगा आपको मार्केट से पैसा नहीं मिल रहा आप कह राइट ठीक है दे दे दूसरा तरीका क्या है जो कि बहुत सारी लेट स्टेट स्टार्ट हमको करती.
हुई दिखाई दे रही है वो है डेट के थ्रू पैसा रेज करना मतलब वो कहते हैं कि भाई उधार दे दो 12 पर ब्याज ले लेना कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि उनको लगता है अभी जो फंडिंग का इशू चल रहा है जो फंडिंग क्रं चल रहा है ये आने वाले टाइम में हमको बेहतर होता हुआ दिखाई देगा 12 पर इंटरेस्ट रेट देना बेटर है वर्सेस कंपनी की वैल्यूएशन को नीचे ले जाना और थर्ड तरीका.
क्या है अपने आप को जॉम्बी कर दो अभी के टाइम पे बहुत पॉपुलर पॉपुलर स्टार्टअप्स है एक पॉपुलर स्टार्टअप तो अभी हमको किसी टीवी शो में भी आते हुए दिखाई दे रहे हैं नाम नहीं लूंगा बट उससे से आपने प्रोडक्ट नहीं लिया होगा रिसेंट टाइम के अंदर बट फिर भी वो कंपनी चल रही है और जल्दी वो शायद आईपीओ भी निकाल सकती है और ऐसा कैसे हो पा रहा है क्योंकि उन्होंने तीसरा रूट.
लिया है जिसको मैं कहता हूं जॉम्बी स्टार्टअप्स जॉम्बी स्टार्टअप्स का मतलब है वो एक ऐसी स्टार्टअप है जो जीने के लिए सिर्फ सरवाइव कर रही है दुनिया को दिखाने के लिए सरवाइव कर रही है बट एक्चुअली बिजनेस शायद उतना अच्छा नहीं चल रहा है समझने की कोशिश करो मेरी एक स्टार्टअप है जो कि एक बड़ी बन चुकी है मान के चलते हैं लेट से स्टार्टअप है पैसा मार्केट से मिल.
नहीं रहा है करेंटली तो हाइपोथेटिकली मान के चलते हैं एक यूनिकॉन कंपनी है जिसके पास 00 करोड़ कैश रिजर्व पड़ा और उसको पता है कि भाई मार्केट से पैसा नहीं मिलेगा तो वो क्या करती है वो अपने सारे एंप्लॉयज को निकाल देते हैं अपनी कंपनी के खर्चों को 10 करोड़ 15 करोड़ ले आते हैं कम नहीं होता 1015 करोड़ साल का खर्चा बट 1015 करोड़ के ऊपर ले आते हैं अब 500 करोड़ पे.
पड़े हैं 500 करोड़ का अगर 10 पर ब्याज मान के चलोगे तो 50 करोड़ ब्याज आ रहा है आपको खर्चा कितना देना है ₹ करोड़ तो भी आपकी कंपनी 35 करोड़ बचा रही है लोगों को लग रहा है वाओ क्या बिजनेस है बट एक्चुअली वो जॉम्बी स्टार्टअप्स है इनफैक्ट कई कंपनीज तो क्या करती है जो ब्याज आ रहा होता है ना उसी के ऊपर सरवाइव कर रही होती है मतलब बैंक बैलेंस उतना ही पड़ा रहेगा.
ब्याज के ऊपर ही सरवाइव कर रहे हैं कंपनी 100 150 साल चलती रहेगी उनको कोई दिक्कत नहीं है अब उनमें से कुछ जॉम्बी स्टार्टअप्स में से स्टार्टअप्स क्या करती है अपनी कंपनी का जो कैश रिजर्व पड़े हैं उसको बाकी स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करना शुरू कर देती है तो कल को जब वो स्टार्टअप बढ़ती है तो वहां से वो एग्जिट लेके अपनी कंपनी का प्रॉफिट और ज्यादा बुक कर लेते.
हैं अब खाली ये नहीं है डी टूजी स्टार्टअप को पैसे नहीं मिल रहे हैं भाई कुछ ऐसे स्टार्टअप सेक्टर भी जहां पर पैसा भी मिल रहा है अगर हम बिग इकोनॉमी सेक्टर की बात करके चले 2.2 बिलियन डॉलर रेज किया उन्होंने 414 पर राइज आया है रिटेल एंटरप्राइज एप्लीकेशन की बात करके चले तो अभी के टाइम पे इन्वेस्टर सबसे ज्यादा उसके अंदर इंटरेस्ट दिखा रहे हैं तो ऐसा.
नहीं है फंडिंग नहीं मिल रही है फंडिंग मिल रही है बट डीटू सी के साथ में कलेज चल रहा है बाकी अगर आप डिजिटल मार्केटिंग सीखना चाहते हैं अगर आप अपना खुद का डीटू स ब्रांड बिल्ड करके खुद से मार्केटिंग करना चाहते हैं तो आप हमारा कोर्स दे सकते हैं लिंक इन द डिस्क्रिप्शन आप पूरा डिटेल के अंदर उसको देख सकते हैं यहां पर मैंने अपना पूरा डिजिटल मार्केटिंग एक्सपीरियंस.
डाला है 14 साल में डिजिटल मार्केटिंग जो एजेंसी रन करी उसके अंदर मैंने क्या-क्या किया क्या फ्रेमवर्क्स बनाए वो सब कुछ सिखा दिया है तो जाओ लिंक दे दिया डिस्क्रिप्शन में चेक करो अगर समझ में आता है तभी लेना अगर जरूरत है तभी लेना अब इसका रीजन क्या है यह समझने की कोशिश करते हैं सबसे पहला है कैक कस्टमर एक्विजिशन कॉस्ट आज के टाइम पे अगर आपको एक कस्टमर.
को प्रोडक्ट बेचना है तो उसके लिए बहुत ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है अगर हम 2015 से 2020 की बात करके चले ना तो कैक 60 पर बढ़ता हुआ दिखाई दिया है हमको अगर मामत की बात करके चले तो उन्होंने इसी कैक को टैकल करने के लिए इन्फ्लुएंस मार्केटिंग का साधन लिया था जहां पर उन्होंने क्रिएटर्स को पैसा दिया था और क्रिएटर्स उनके ब्रांड के बारे में.
प्रमोशन कर रहे थे जहां पर उनकी हाइप क्रिएट हो रही थी और ओवरऑल जो उनकी कस्टमर एक्विजिशन कॉस्ट थी वो कम होती हुई दिखाई दे रही थी दूसरी बड़ी चीज है थर्ड पार्टी प्ला प्लेटफॉर्म के ऊपर रिलायबिलिटी आज के टाइम पे ना कस्टमर एक नए ब्रांड के ऊपर ट्रस्ट नहीं करते इनफैक्ट अगर उसको कोई प्रोडक्ट लेना भी होता है स्टेबल ब्रांड का वो डायरेक्टली जो एग्रीगेटर प्लेटफार्म.
होते हैं डाटा आता है तो आप उनको रिमार्केटिंग मेरे पास आपका डाटा है तो मैं आपको रिमार्केटिंग ले सकते हैं बट अगर एग्रीगेटर से ज्यादातर सेल्स आ रही है तो एक बीटू सी ब्रांड के लिए और ज्यादा चीजें मुश्किल होती हुई दिखाई दे रही है अब यहां पे अगला रीजन आता है मार्केट सैचुरेशन.
आज के टाइम पे ना हमको मार्केट सैचुरेट होती हुई दिखाई दे रही है डीटू स स्टार्टअप के लिए चाहे आप टेक बर्नर की स्मार्ट वॉच की भी बात करके चले अब उसके अंदर क्या प्रॉब्लम थी क्या नहीं थी हमने एक वीडियो बनाई थी जहां पर पूरा एक्सप्लेन किया था इसको बट आज के टाइम पे ना अगर आपका कैक जीरो भी है तो भी आसान नहीं है प्रोडक्ट को बेचना क्योंकि कस्टमर की.
एक्सपेक्टेशन बहुत ऊपर हो गई है क्योंकि मार्केट के अंदर इतने सारे ब्रांड्स आ गए हैं जिसमें से कुछ ब्रांड बहुत ज्यादा लॉस करने के लिए तैयार है किसी के पास में ऑलरेडी कंपट एज है किसी के पास में ऑलरेडी डिस्ट्रीब्यूशन बना हुआ है कोई पहले से ही मैन्युफैक्चरर कर रहा था देखो यहां पे बात यह है कि आज के टाइम पे ना डीटू स स्टार्टअप रन करना बहुत आसान हो गया है.
वेबसाइट बनाओ प्रोडक्ट कहीं से भी वाइट लेबल ले लो इंटरनेट पे सर्च मारो कि मैन्युफैक्चरर कहां बैठा है आप उसको पैसे दो और वो आपको प्रोडक्ट बना के दे देगा अपनी वेबसाइट पर लिस्ट करो एक google2 कम है तो वहां पर आप पूरी मार्केट कैप्चर कर सकते हो अगर आपको थोड़ी समझ है कि क्या चीज चलेगी क्या चीज नहीं चलेगी ब्रांडिंग में थोड़ा रंग से काम कर लिया.
है एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म पे भी आपने दिमाग लगा के मार्केट कैप्चर कर लिया तो आपके लिए चीजें बहुत आसान हो जाती है और ये आसान चीज ना आज आप इंटरनेट पे youtube1 सेम ऑफर दे रहे हैं सेम प्राइस रेट के अंदर दे रहे हैं कोई ₹10 महंगा दे रहा है कोई ₹10 सस्ता दे रहा है दोनों प्रोडक्ट शायद सेम फैक्ट्री से बन के आ रहे हैं और यहीं पे अगला पॉइंट निकल के.
आता है वो है कस्टमर लॉयल्टी इंडिया का कस्टमर ना पहले भी लॉयल नहीं था जहां पर सस्ता मिलता था वहां पर जाता था अगर हम paytm-in है क्वालिटी सेम है तो जो सस्ता बेच रहा होगा वही भागेगा ना कस्टमर और यहां पे एक लेयर मान के चलो कस्टमर को समझ ही नहीं है कि एक्चुअल प्रोडक्ट होता क्या है क्या सही है क्या गलत है वो अगर एक क्रीम ले.
रहा है उसको पता लग रहा है एक क्रीम कंपनी 00 की बेच रही है एक 00 की बेच रही है सबने सेम लिखा हुआ है तो बंदा कहेगा ₹ वाला बढ़िया है चाहे वो 00 वाले में उसने प्रोडक्ट की क्वालिटी अलग रखी होगी कुछ भी किया होगा ज्यादातर लोगों को फर्क नहीं पड़ रहा है तो इसके चक्कर में क्या हो रहा है ब्रांड के लिए कहानी और मुश्किल हो रही है देखो अभी रिसेंटली हमने डिजिटल.
मार्केटिंग कंपनी बेची है और हमने बहुत सारे ब्रांड्स की ना ऐड रन करी है मैं आपको एक ट्रक्स बताता हूं कहानी क्या होती है स्टार्टिंग में जब हम एक कस्टमर को ऑन बोर्ड करते हैं ना मतलब हम ऐड दिखाते हैं एक प्रोडक्ट बेचते हैं तो मान के नहीं चलते डे वन से हम प्रॉफिटेबल हो रहे हैं मतलब मैंने आपको एक प्रोडक्ट बेचा बट वो प्रोडक्ट लॉस में दिया आपको पहली बार मैं.
क्या मान के चल रहा हूं पहली बार लॉस में गया दूसरी बार आपको मेरा प्रोडक्ट अच्छा लगेगा तो आप रिपीट करोगे वहां पर वो लॉस कवर हो जाएगा तीसरी बार मैं प्रॉफिट करना शुरू कर दूं तो ज्यादातर स्टार्टअप्स यही सोचते हैं कि ठीक है लॉस में काम करेंगे बट कल को जब हमारा ब्रांड एस्टेब्लिश हो जाएगा तो हमारे सामने से लोग प्रोडक्ट लेंगे हमको ऐड दिखा के प्रोडक्ट बेचने की.
जरूरत नहीं पड़ेगी बट यहां पर कहानी क्या हो रही है जब तक आपका वो गला टाइम आता है तब तक कोई और एक नई स्टार्टअप आती है वो आपसे सस्ता और आपसे बेटर प्रोडक्ट बेचने शुरू कर देती है आपके जो ब्रांड लॉयल कस्टमर्स थे वो मा भाग जाते हैं तो यहां पर स्टार्टअप्स के लिए बहुत ज्यादा मैंडेटरी हो गया अपने आप को इनोवेट करते रहना कुछ ऐसा करना जिससे कस्टमर लॉन्ग.
टर्म तक आप तक टके रहे एक कंपनी है नुआ करके जो कि फीमेल टेक के अराउंड काम करती है तो भाई उन्होंने सब्सक्रिप्शन मॉडल निकाल दिया उनको पता है हमारे प्रोडक्ट की फीमेल को रिक्वायरमेंट एक स्पेसिफिक टाइम के बाद में पड़ने वाली है तो उन्होंने कहा ठीक है आप मंथली बान लो ना मंथली आप हमसे प्रोडक्ट मंगाते रहो यूज करते रहो जब तक आप कस्टमर को अच्छा प्रोडक्ट दे रहे हो तब.
तक कस्टमर इधर-उधर भागने की कोशिश नहीं करता है खासकर सब्सक्रिप्शन के अंदर लोग आलसी होते हैं सब्सक्रिप्शन को कैंसिल करने के लिए अब इसके अलावा एक और केस स्टडी बात करते हैं ममथ जो कि इंडिया की मोस्ट टेड स्टार्टअप है जो कि डी टूजी कैटेगरी के अंदर है नहीं शायद सेकंड बट अगर आप इनकी स्ट्रेटेजी देखोगे ना इन्होंने बहुत स्मार्टली डायवर्सिफाई किया.
है जब इनको समझ में आया कि भाई अब ऑनलाइन में इतनी डिमांड नहीं आ रही है कंपटीशन बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है ये ऑफलाइन मूव होना शुरू हो गए इन्होंने ऑफलाइन डिस्ट्रीब्यूशन बनाना शुरू कर दिया ऑफलाइन प्रोडक्ट बेचना शुरू कर दिया ये भी तो एक इनोवेशन है ना अगर हम बोर्ड की बात करके चले जो किसी जमाने में प्रॉफिटेबल हुआ करता था था आज के टाइम पे लॉस में आ गया.
है बट स्टार्टिंग के अंदर उन्होंने बड़े-बड़े एस्टेब्लिश ब्रांड थे जैसे जेबीएल हो गया करना शुरू कर देता है जब आपका प्रोडक्ट बड़े-बड़े ब्रांड्स के साथ में दिखाई देता है दिखने में वो सेम लग रहा होता है स्पेसिफिकेशन सेम लग रही होती है और आपका प्रोडक्ट का प्राइस बहुत कम होता है तो लोग कहते हैं भाई ये ठीक लग रहा है.
रिव्यूज जाके देखते हैं रिव्यूज भी ठीक दिखाई दे रहे होते हैं बंदा कहता है भाई इसी को ले लेते हैं तो बोट ने कोई हाई एंड प्रोडक्ट क्वालिटी डिलीवर नहीं कर दी कि भाई उससे बेटर साउंड क्वालिटी एजिस्ट ही नहीं करती बट फिर भी उन्होंने अच्छा मार्केट कैप्चर कर पाए क्योंकि उन्होंने अच्छे टाइम पे मार्केट प्लेस का यूटिलाइजेशन किया आज के टाइम पे बहुत सारे.
ऐसे स्टार्टर्स है जो यही सेम काम कर रहे हैं इनफैक्ट अगर मेंसर ब्रांड की बात करके चले तो उन्होंने ऐसा ही पूरा बिजनेस मॉडल बनाया है कि हम प्रोडक्ट निकालेंगे और मार्केट प्लेस पे उसको किंग बनाएंगे तो अगर आप अपना खुद का डी टू सी ब्रांड शुरू करना चाह रहे हैं तो आपको किन-किन चीजों का ध्यान रखना है सबसे पहली चीज आपको ओमनी चैनल अप्रोच का ध्यान में रखना है.
स्टार्टिंग चाहे आप ऑनलाइन से करो पर फ्यूचर के अंदर आपको ऑफलाइन के ऊपर जाना पड़ेगा अगर आप बड़ा मार्केट कैप्चर करना चाहते हो तो आपको कुछ ना कुछ डिफरेंशिएबल क्रिएट करना पड़ेगा या कुछ ऐसा इनोवेशन करना पड़ेगा जिसकी वजह से आप स्टैंड आउट हो जाओ जैसे हमने नवा की बात करी अगर आप सस्टेनेबली लॉन्ग टर्म तक अपने बिजनेस को चलाना चाहते हो तो आपको प्रॉफिटेबिलिटी का.
भी सोचना पड़ेगा क्योंकि आज के टाइम पे जो इन्वेस्टर्स हैं वो प्रॉफिटेबिलिटी की तरफ जा रहे हैं इनफैक्ट वो छोटे-छोटे जो नए स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं ना सीड लेवल पे बहुत ज्यादा इन्वेस्टमेंट मिल रही है आज के टाइम पे डी टूसी के अंदर और इसका बहुत बड़ा रीजन पता है क्या है जो बड़ी-बड़ी कंपनीज थी ना उनकी नीद ही खराब हो चुकी है उनका बिजनेस मॉडल ही लॉस पे रन करने वाला.
हो चुका है अब सोचा जा रहा है कि एक नई चंक ऑफ स्टार्टअप्स बनाई जाए जो कि स्टार्टिंग से ही प्रॉफिटेबल रहे जिनका केपीआर का मैट्रिक्स ये ना हो कि भाई हमको ग्रोथ चाहिए जिनका मैट्रिक्स होना चाहिए कि भाई प्रॉफिटेबल है या फिर नहीं है अगली चीज जितना पर्सनलाइजेशन खेल सकते हो डी टूसी के अंदर उतना जदा पर्सनलाइजेशन करने की कोशिश करो जैसे मैं स्किन क्राफ्ट की.
बात करके चलूं वेदिक्स की बात करके चलूं ऐसे बहुत सारे स्टार्टअप्स आ गए हैं जो कि प्रोडक्ट तो वही बेच रहे हैं जो नॉर्मल ई-कॉमर्स स्टार्टअप से बिक रहा है पर यहां पर आपके हिसाब से प्रोडक्ट बेचा जा रहा है आपके लिए क्या चीज सही रहेगी क्या चीज नहीं रहेगी और एक बढ़िया ग्रोथ है एक बता देता हूं अगर आप अपने आप को सस्टेनेबल दिखाओगे हम दुनिया का भला करते हैं हम.
नेचर का भला करते हैं तो आप एक प्रीमियम चार्ज कर सकते हो बहुत सारे स्टार्टअप्स ये कर रहे हैं अपने पैकेजिंग को बहुत मिनिमलिस्टिक बनाओ थोड़े कलर्स कम कर दो और कहो कि भाई हमारी वजह से इतने पेड़ लगते हैं हमारी वजह से ये बच्चे पढ़ रहे हैं हमारी वजह से ये हो रहा है हमारी वजह से ये हो रहा है तो फाइनली सवाल निकल के आता है क्या इंडियन ई-कॉमर्स डेड होता हुआ.
हमको दिखाई दे रहा है मेरे हिसाब से इफ्लेक्शन पॉइंट है जहां पर करंट स्टार्टअप्स को समझना पड़ेगा कि भाई अगर हमको लॉन्ग टर्म सस्टेनेबल रहना है तो हमको प्रॉफिटेबिलिटी की तरफ जाना पड़ेगा हमको कुछ इनोवेशन करना पड़ेगा जिसकी वजह से कस्टमर लॉयल्टी बढ़ पाए जितना ज्यादा हम डाटा कस्टमर का कलेक्ट कर सकते हैं जितना हम एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म से दूर.
जाने की कोशिश कर सकते हैं उतना ही खर्चा हमारा कम आएगा तो सिंपल सी बात यह है भाई कि ई-कॉमर्स डेड नहीं हो रही है बट बहुत सारी स्टार्टअप्स हमको डेड होती हुई दिखाई देगी जो इस बात को कंसीडर नहीं करेगी कि दुनिया चेंज होती हुई हमको दिखाई दे रही है अगर आप अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करने का प्लान कर रहे हैं तो इस वीडियो को दो बार देखो तीन बार देखो आपको बहुत सारे.
इंसाइट बार-बार देख के समझ में आएंगे और आपके दिमाग में आइडियाज क्लिक होंगे और इसी के साथ में आज की वीडियो खत्म होती है उम्मीद करता हूं आपको मजा आया होगा लाइक कर देना शेयर कर देना कमेंट बताना वीडियो कैसी लगी बाय गुड न शगर खुदा हाफिज गुड मॉर्निंग आफ्टरनून जब भी वीडियो को देख रहे हैं जय हिंद वंदे मातरम दुआ में याद रखना शहजादा मैं हुआ जो रानी तू बनी क्या.
करूं अब दुआ कुछ बाकी ही नहीं