[संगीत] दोस्तों इस ग्राफ को देखिए यह चाइना और इंडिया का जीडीपी ग्राफ है 1990 आते आते चाइनीज जीडीपी और इंडियन जीडीपी लगभग सेम लेवल पर थी लेकिन अगले कुछ सालों में अचानक से चाइनीज जीडीपी इतनी तेजी से बढ़ने लगी कि 2006 में चाइनीज जीडीपी भारत से डबल हो गई 2014 में भारत से गुना बढ़ गई और आज चाइनीज जीडीपी भारत से लगभग पाच.
गुना बड़ी हो चुकी हैना इज द वर्ल्ड सेकंड लार्जेस्ट एकन एंड द बिस्ट इंपोर्टर मूव दैट उल्ट ट चाइना इट ए ग्लोबल इनम पावर हाउस मानु फैक्चरिंग मेक्स अप 26 ऑफ चाइना एन वा इन इंडिया इट ओली 16 स्क्चर इज रिली वन वे इच चाइना ओटक इंडिया फर नाउ चाइना स्ल होड्स द क्रान ए मेन ड्राइवर फॉर गबल इकोनॉमिक ग्रोथ और एक तरफ जहां हम विकसित भारत की बात करते हैं.
और यह सपना देखते हैं कि एक दिन भारत चाइना को पीछे छोड़ेगा मैं आपको सच बताता हूं आज इंडियन जीडीपी का साइज है 3.9 ट्रिलियन डॉलर और चाइनीज जीडीपी का साइज है 18.3 ट्रिलियन डल आज हम 6 टू 7 पर की ग्रोथ रेट पर हैं और इस ग्रोथ को पूरी दुनिया एक्स्ट्राऑर्डिनरी ग्रोथ कहती है लेकिन इस 6 टू 7 पर की रफ्तार से भी हमें चाइना की आज की जीडीपी तक पहुंचने में 22.
से 25 साल लग जाएंगे तो आप समझ रहे हो अगर चाइना 25 साल तक 0 पर पर भी ग्रो करे तब भी भारत को चाइना की आज की जीडीपी पर पहुंचने में 25 साल लग जाएंगे लेकिन हैरानी की बात यह है कि 45 साल पहले जब भारत में वाइट रेवोल्यूशन और ग्रीन रेवोल्यूशन चल रहे थे तब चाइना भूख से तड़प रहा थानी र लास हि यपि वि ऑफ कम द विज रिजल्टेड इन द.
डेथ्स ऑफ टेंस ऑफ मिलियंस फम फैमिन एंड लेफ्ट ऑलमोस्ट 990 ऑफ द पॉपुलेशन लिविंग इन एक्सट्रीम पवटी चाइना रिम अ वेरी पुर एंड बैकवर्ड कंट्री इट वाज ए कंप्लीट डिजास्टर इ लेड टू अ फैमिन द किल्ड टेंस ऑफ मिलियंस ऑफ पीपल और हालत इतनी खराब थी कि तीन से चार करोड़ लोग भूख के मारे मर रहे थे वहां लोग कुत्ते कीड़े और सांप तक खा रहे थे क्योंकि उनके पास और कोई ऑप्शन.
ही नहीं था लेकिन आज आज चाइना दुनिया का बादशाह है आफ्टर सें ऑफ लिशन चाइना इ नाउ मार्चिंग फॉरवर्ड विद इट्स न्यू फाउंड कॉन्फिडेंस एंड विगर ए न्यू गबल चना इ ि ट चज द व र् इ फ इलस वसुली नो द चना वांस बडम इन ए चाइना हैज अपड इट्स मिलिटरी स्पेंडिंग इट्स एक्सपेंडिंग इट्स नर आर्सनल इ नाउ हैज द बिस्ट नेवी इन द.
वर्ल्ड चाइना हैज बकम वन ऑफ द वर्ल्डस ग्रेट पार्स द हैड एक्स्ट्राऑर्डिनरी सक्सेस वि द इकोनॉमिक ग्रोथ ओवर द लास्ट 40 इयर्स आज चाइना के पास दुनिया की सबसे बड़ी नेवी चाइना के पास दुनिया की सबसे बड़ी मैन्युफैक्चरिंग पावर है और उनकी आर्मी और ट्रेड इतनी ज्यादा खतरनाक है कि अमेरिका भी आज चाइना से डरता है तो सवाल.
यह है कि चाइना ने ऐसा क्या किया जो भारत नहीं कर पाया और अगर भारत को चाइना जैसे बनना है तो हमें चाइना से क्या सीखना चाहिए दोस्तों यह चैनल जरोदा और थि स्कूल का एक जॉइंट इनिशिएटिव है जिसके माध्यम से हम भारत को वर्ल्ड क्लास इकोनॉमिक और बिजनेस केस स्टडीज पढ़ाना चाहते हैं तो अगर आप भी बिजनेस सीखना चाहते हो तो प्लीज इस चैनल.
को सब्सक्राइब करो आपके लिए तो यह फ्री है लेकिन हमारे लिए यह बहुत बहुत जरूरी है दोस्तों चाइना को दुनिया ने इतना जलील किया है कि आप सोच भी नहीं सकते और यह सब पूरी दुनिया को मालूम बड़ा वर्ल्ड वॉर 2 के समय सबसे पहले बात करते हैं नानजिंग मैकर से द कैपिटल ऑफ द रिपब्लिक ऑफ चाइना विटने वन ऑफ द र्स्ट इवेंट्स ऑ द सेकंड वड व द नजिंग माकर वाज वन ऑफ द डर्के इवेंट्स.
ऑफ द 20th सेंचुरी वीक्स ऑ एरिल बर्ड मेंट रिड्यूस द सिटी टू रुस ओवर 300000 चाइनीज मेन वमन एंड चिल्ड्रन र स्टड बाय जापानीज ट्रूप्स इन द सिटी ऑफ नजिंग इन 1937 1937 में जापान की आर्मी ने नानजिंग पर पर कब्जा कर लिया और उन्होंने जो कुछ भी किया वो दुनिया के लिए एक शौक था 3 लाख लोग मार दिए गए बच्चों को जिंदा जला दिया गया और पूरे शहर को बर्बाद किया गया सोल्स देन.
कमिटेड मर्डर रेप टचर एंडस फ 6 व ओवर 300000 चाइनीज सिविलियन एंड डिसम सोल्जर्स किल्ड एंड मरन 20 वन रेप उसके बाद जापान ने चाइना के लोगों पर बायोलॉजिकल और केमिकल अटैक्स भी किए उन्होंने प्लेग कलेरा और एंथ्रेक्स जैसे डेडली डिजीसस का यूज किया और लोगों को इंटेंशनली इफेक्ट किया यह सब जापानीज बस इसलिए कर रहे थे ताकि वह यह देख सके कि इन.
बीमारियों का इंसान पर क्या असर पड़ता है यही नहीं जापानी सोल्जर्स ने फैक्ट्रीज रेलरोड्स ब्रिज और कम नेटवर्क्स को तोड़ा इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर और फार्म्स को जलाया और यहां तक कि चाइना के सबसे डेवलप्ड सिटीज और विलेजेस को भी जलाकर राख कर दिया यह थी दोस्तों जापान के अंडर चाइना की हालत लेकिन इस तबाही के बीच एक इंसान खड़ा हुआ जिसने कहा कि मैं चाइना को.
बदलूंगा यह इंसान था माओ जेडो एक ऐसा लीडर जो सिर्फ सरकार नहीं बल्कि एक नया चाइना बनाना चाहता था माउ हिमसेल्फ द सन ऑफ प्रॉस्परस पेजेंट एब्लिश चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी माउ स्प्ड हिस्टरी बोथ विदन एंड आउटसाइड चाइना ल् बमक डि ल ली वशिप डम मामना वर्ल्ड वर टू के बाद जब जापानी.
चाइना छोड़ के चले गए माओ ने चाइना के लिए तीन गोल्स डिफाइन किए पहला माओ का मानना था कि किसी भी देश की ताकत उसकी स्टील प्रोड से नापी जाती है इसीलिए माओ ने चाइना के हर गांव में फर्नेसेज बिठाए और यहां से एक बहुत बड़ी स्टील प्रोडक्शन ड्राइव शुरू हुई दूसरा माओ ने कहा कि सारी खेती सिर्फ सरकार की होगी किसी भी इंसान के पास खेती का ओनरशिप नहीं होगा जैसे अगर.
जिंग पिंग नाम का एक फार्मर था तो अपनी छोटी सी खेती पर वह पहले अपने परिवार के लिए सब्जियां और अनाज उगाता था उसके पास खेती की ओनरशिप थी और वह अपनी मर्जी से अपनी जमीन का इस्तेमाल करता था लेकिन माव के आने के बाद जिंग पिंग को अपनी जमीन से दूर भेज दिया गया और अब उसको एक सरकारी फार्म में काम करना पड़ता था यानी जिंग पिंग को बस एक वर्कर के रूप में काम करना.
पड़ता था और माव का सिस्टम ऐसा चलता था जिसमें फार्म के गोल्स और रिसोर्सेस को गवर्नमेंट डिसाइड करती थी और जिंग पिंग को डेली टारगेट दिए जाते थे और अगर व टारगेट पूरा नहीं करता तो उसे पनिशमेंट दी जाती थी इसी तरह हर किसान को एक असाइन एरिया में काम करने के लिए भेजा जाता था और वो उससे ज्यादा अपने हिसाब से कुछ नहीं कर सकता था यह था माओ की विजन का दूसरा कदम.
और उनका तीसरा गोल यह था कि चाइना किसी विदेशी टेक्नोलॉजी या कैपिटल पर डिपेंडेंट ना रहे अब यह प्लान कुछ दिन तक तो काम कर गई लेकिन इसके बाद अचानक से चाइना प्रगति से बर्बादी की तरफ जाने लगी पन टू कलेक्टिवा एग्रीकल्चर एंड आल्सो इलाज चाइना बेसिकली ओवरनाइट इट वाज ए कंप्लीट डिस्टर लस्ट लाइव यूटोपिया विजन ऑफ कनि द फेलर ऑफ द.
इकोनॉमिक एक्सपेरिमेंट ब्रोट विद इट द ग्रेट चाइनीज फैमिन ऑफ 1959 व्च लास्ट टल 1961 क्यों क्योंकि इस प्लान में तीन बहुत बड़े प्रॉब्लम्स थे नंबर वन चाइना में फार्मर्स को स्टील बनाने बोला गया जो उनको बिल्कुल नहीं आता था इसीलिए चाइना से जो भी स्टील बनकर आ रही थी वो इतनी घटिया क्वालिटी की स्टील थी कि वो किसी के काम की नहीं थी दूसरा फार्मर्स को अपनी जमीन.
से जुदा करके सरकार को लगा कि फार्मर्स बहुत अच्छा काम करेंगे लेकिन इससे क्या हुआ हर फार्मर को लगा कि वह ज्यादा काम करें या कम काम करें उसको तो कुछ नहीं मिलने वाला और ना उसके परिवार को कोई फायदा है तो सारे फार्मर्स आलसी होकर काम छोड़ने लगे एंड लास्टली अगर किसी देश को आत्मनिर्भरता के साथ फैक्ट्रीज और एक्सपोर्ट बढ़ानी हो उनके पास प्रोडक्शन.
और एक्सपोर्ट की नॉलेज होनी चाहिए लेकिन चाइना ने सारी कंपनीज और इन्वेस्टमेंट को तो भगा दिया लेकिन उनको खुद कुछ नहीं पता था इसीलिए ना इंडस्ट्रीज बन पाई ना एक्सपोर्ट हो पाया और और धीरे-धीरे करके चाइना के सारे इंडस्ट्रीज फेल होने लगे इसके साथ-साथ फार्म्स में फैमा आने लगे और चाइना बर्बादी की तरफ जाने लगा और दोस्तों इसी तरह करते-करते चाइना की हालत इतनी.
खराब हो गई कि 3 करोड़ लोग बस भूख के मारे मारे गए अब जरा सोच के देखो जर्मन नाज ने हिटलर के टाइम पे 6 मिलियन लोगों को मारा और माओ जेडन के अंडर जो क्राइसिस हुआ उससे लगभग 50 मिलियन लोग मारे गए एंड गाइज एक्स्ट्रा इंफॉर्मेशन ये है कि ब्रिटस ने सिर्फ 40 साल के राज में भारत में 100 मिलियन लोग मारे बट एनीवेज और फिर फाइनली माओ डंग चल बसे 1976 में और यहीं से.
दोस्तों चाइना की तकदीर एक बार फिर बदलने लगी इस तकदीर को बदला एक इंसान ने जिसका नाम था डें जाओ पिंग र्क अटेक टू लेड द फाउंडेशन फॉर इट्स इकोनॉमिक मिरकल दज पिंग दज पिंग चज द फा ऑफ चाना फॉर एवर ंग सेट आउ टू ब्रिंग चाइना आउट ऑफ द टमस पीरियड एंड रिजूवनेट द इकोनॉमी 1978 में डेंज पिंग पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स गए और यूनाइटेड स्टेट्स की तरक्की देख के उनकी.
आंखें खुल गई यूनाइटेड स्टेट्स में उन्होंने देखा कि बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स हैं बड़ी-बड़ी फैक्ट्रीज हैं और वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर है वो भी पूरे देश में तब उन्हें समझ आया कि तरक्की किसको बोलते हैं और यूनाइटेड स्टेट्स की तरक्की से प्रेरित होकर वो यह पढ़ने लगे कि यूनाइटेड स्टेट्स काम कैसे करता है गवर्नमेंट और बिजनेसेस एक दूसरे के साथ.
कैसे काम करते हैं और सबसे इंपॉर्टेंट बात यूनाइटेड स्टेट्स फॉरेन कंपनीज के साथ कैसे काम करता है उसके बाद डें जॉ पिंग गए सिंगापुर और वहां पर भी उन्होंने वही देखा सिंगापुर 1960 में झोपड़ियों का शहर हुआ करता था लेकिन 1978 आते-आते मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज ने सिंगापुर को इतना अमीर बना दिया कि पूरी दुनिया सिंगापुर से प्रेरणा लेने.
लगी इट वाज अ टाइम फॉर एक्साइटिंग न्यू एक्सपेरियंस बज दिस वाज अ डेड ऑफ रापिड ट्रांसफॉर्मेशन एंड इट हेल्ड अप ए एन एमल फॉर एनी कंट्री सीकिंग टू ग्रो अ रोब हाईटेक इकोन सिप 70 और इस ट्रिप के बाद डें जाओ पिंग को तीन चीजें समझ आई जिसने चाइना की तकदीर बदल दी पहली चीज थी मैन्युफैक्चरिंग की.
इंपॉर्टेंस डंग ने देखा कि सिंगापुर ने फैक्ट्रीज बनाकर अपने इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स को यूरोप और यूएस में एक्सपोर्ट करके बहुत पैसा कमाया और सिंगापुर प्रोडक्शन इसलिए कर पाया क्योंकि सिंगापुर में लोग इतने गरीब थे कि जिस लाइट बल्ब को बनाने के लिए अमेरिकन वर्कर्स सिंगापुर के वर्कर सिर्फ $1.4 7 पर आवर की.
सैलरी पे भी बहुत ज्यादा खुश थे तभी डंग को चमका कि सिंगापुर की तरह चाइना में भी तो कई सारे बेरोजगार लोग हैं और ये सारे लोग $2 पर आर की फीज में भी बहुत ज्यादा खुश होंगे तो जो प्रोडक्ट अमेरिकन फैक्ट्रीज $100 में बनाती थी वही प्रोडक्ट चाइनीज फैक्ट्रीज $10 में बनाकर $20 में अमेरिका में बेच सकती थी तो डंग ने समझा कि चाइना को भी अपने फैक्ट्रीज को डेवलप.
करने होंगे ताकि वो अपने प्रोडक्ट्स दुनिया भर में बेच सके लेकिन सवाल यह है कि इन फैक्ट्री को सेट अप करने के लिए तो पैसा लगेगा तो पैसा कहां से आया दोस्तों तभी डंग को दूसरी चीज समझ आई और वो है फॉरेन इन्वेस्टमेंट की पावर डंग को ये समझ आ गया कि सिंगापुर ने खुद अपने फैक्ट्रीज नहीं बनाए पहले उन्होंने फॉरेन कंपनीज को अपने देश में इन्वेस्ट करने के लिए.
निमंत्रण दिया उन्होंने फिप्स जैसी कंपनीज को जाकर बोला कि भाई साहब आप यूरोप में जो बल $ में बनाकर $ में बेचते हो वही बल्ब अगर आप सिंगापुर में बनाओगे तो आप सिर्फ $ लर में बल्ब बना लोगे और यह बल्ब जब आप यूएस में बेचो ग तो आपको $ की जगह $5 का प्रॉफिट मिलेगा यह सुनकर फप जैसी कंपनीज सिंगापुर में अपनी फैक्ट्रीज बनाने लगी जिससे हजारों लोगों को नौकरी मिलने लगी तो.
डंग ने समझा कि अगर चाइना को डेवलप करना हो तो उन्हें भी apple.in में मैन्युफैक्चर करने के लिए मनाना होगा और इसके लिए उन्हें चाइना के लोगों को फैक्ट्री बनाकर एंप्लॉयमेंट देगी लेकिन दोस्तों यहीं पर सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह थी कि चाइना की सरकार फॉरेन कंपनीज को इन्वेस्ट नहीं करने देती थी तो फिर डंग ने इतने सारे कंपनीज.
को चाइना में कैसे लाया दोस्तों यहीं पर काम आई डंग जाओ पिंग की कन्विंसिंग पावर डंग जाओ पिंग ने सारे चाइनीज ऑफिशियल से कहा कि अगर आप चाइना को भूख और गरीबी से बचाना चाहते हो तो आपको अपनी पुरानी पॉलिसीज को बदलना होगा लेकिन अगर आपको डर लग रहा है कि ये बड़ी-बड़ी कंपनीज अंग्रेजों की तरह चाइना का कंट्रोल ले लेगी तो एक बैलेंस बना के चलते हैं डंग ने.
कहा कि गवर्नमेंट को अपनी पॉलिसीज को इस तरह से डिजाइन करना होगा जिससे बिजनेसेस को ग्रोथ के लिए स्पेस मिले लेकिन गवर्नमेंट का रेगुलेशन और मॉनिटरिंग भी चलता रहे ताकि इकोनॉमी को मैनेज किया जा सके और सडन शॉक से बचाया जा सके इससे क्या हुआ डें को फॉरेन कंपनीज को चाइना में इनवाइट करने का मौका मिला और उन्होंने चाइनीज ऑफिशल्स को यह अशोर दिया कि कोई भी.
फॉरेन कंपनी चाइना में अपनी मर्जी से काम नहीं करेगी हर एक फॉरेन कंपनी को चाइना में ऑपरेट करते वक्त चाइनीज लॉज और रेगुलेशंस का पालन करना होगा और यहीं से शुरू हुई दोस्तों चाइनीज इकोनॉमिक मिरेकल की कहानी जिसे नाम दिया गया ओपन डोर पॉलिसी इन 1978 डंग श पि अनाउ द ओपन डर पॉलिसी ंग वेंट अगेंस्ट द ग्रे ऑफ कम्युनिस्ट आइजी बाय लाइजिंग प्राइवेट.
ओनरशिप अंडर हि पन चना विड रिटेन सोशलिस्ट पोलिटिकल आइजी बट कबान वि मार्केट परफॉर्म इ क्रिएटेक जनस टू इनकरेज फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट दोस्तों चाइनीज ऑफिशल्स ओपन डोर पॉलिसी के तहत दुनिया भर के कंपनी से मिले और उन्हें चाइना में इन्वेस्ट करने का निमंत्रण दिया और उन्हें स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाकर दिया उन्होंने.
और वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर और इसके साथ-साथ हम 3 साल का आपको टैक्स हॉलिडे भी देंगे जिसमें आपको जीरो टैक्स लगेगा और दोस्तों यह इतनी बड़ी अपॉर्चुनिटी थी कि दुनिया भर के कंपनीज अपने हजारों करोड़ रुपए चाइना में लगाने लगे और यह सुनो क्यों चाइना में लेबर कॉस्ट इतने कम थे कि अमेरिका में जहां लेबर्स को डॉलर टर्म्स में $12 पर आवर पे करना पड़ता था 1978 में.
चाइना में वर्कर्स को $ से भी कम पे करना पड़ता था तो चाइनीज वर्कर्स अमेरिकन वर्कर्स के मुकाबले 12 गुना सस्ते थे और आज भी चाइना में लेबर और रिसोर्सेस इतने सस्ते हैं कि इलन मस्क कहते हैं कि चाइना में एक वर्कर सिर्फ $5 पर डे कमाता है तो महीने के $ मिलियन डॉलर्स चाइना के लोगों के हाथ में आ जाते हैं और जब यह लोग पैसा.
कमाएंगे तो यह पैसा कहां खर्च होगा यह लोग खाना ग्रोसरी और दवाइयां खरीदेंगे अपने बच्चों को अच्छी स्कूल्स में भेजेंगे अपनी जिंदगी बेहतर बनाएंगे तो आप समझ रहे हो जैसे ही लोग खुद पैसा कमा लेते हैं वैसे ही चाइनीज गवर्नमेंट को वेलफेयर या सब्सिडी देने की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि लोग गवर्नमेंट की भीख पर नहीं अपनी मेहनत के पैसों पर जी रहे हैं और जब एक वर्कर की.
बेटी अच्छी स्कूल जाएगी इंजीनियर बनेगी तो वह अपने फादर से 10 गुना ज्यादा पैसे कमाए गी इसका मतलब पूरी एक जनरेशन गरीबी से बाहर निकल जाएगी और 10 साल बाद अगली जनरेशन प्रीमियम टैक्स पेयर्स बनेंगे और यह देखिए चाइनीज इंडस्ट्राइलाइज बपी पर कैपिटा भारत से कम था फिर 1984 तक दोनों लगभग बराबर हो गए इंडिया का जीडीपी पर कैपिटा था $71 और.
चाइना का 8.42 लेकिन 1990 के बाद चाइना की इकोनॉमी ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि 1999 तक चाइना का जीडीपी पर कैपिटा भारत से लगभग दुगना हो गया और आज 2021 में चाइना का जीडीपी पर कैपिटा भारत से लगभग छ गुना ज्यादा है जहां 2021 में भारत का जीडीपी पर कैपिटा सिर्फ $36 था चाइना का पर कैपिटा जीडीपी 11000.
$8 था यह है दोस्तों इंडस्ट्रेक और दूसरी बात जब apple-system ना लीड्स वि 28.4 ऑफ ग्लोबल मैनु फैक्चरिंग आउटपुट व्च इज यरली 4 ट्रिलियन चाइनीज फैक्टरीज आर रिंग बैक इनटू लाइफ एज द कंट्री एकन ओपें एक्सपेंड्स फास्टेस्ट पेस इन मरन अ डेड इन फेबरी चाइना है बिकम द वर्ल्ड लार्जेस्ट का एक्सपोर्टर ओवरटेकिंग जापान.
एक्सपोर्ट्स इंक्रीस बाय अबाउट 60 इन द फर्स्ट क्वार्टर इसीलिए आपको हर जगह मेड इन चाइना प्रोडक्ट्स दिखते हैं तो क्या चाइना इससे सुपर पावर बन गया इतना आसान है क्या क्या चीप लेबर किसी भी देश को सुपर पावर बना सकता है वेल दोस्तों यहीं पर आधे से ज्यादा देश आकर रुक जाते हैं लेकिन यहीं से चाइना ने सुपर पावर बनने की जर्नी शुरू करी दोस्तों सुपर फार का मतलब क्या.
होता है कोई भी देश जिओ पॉलिटिक्स में तभी ताकतवर माना जाता है जब उसके पास तीन शक्तियों में से एक हो पहली शक्ति है आर्मी अगर आपके पास दुनिया की सबसे पावरफुल आर्मी हो तो आपको ताकतवर माना जाएगा दूसरा है रिसोर्स लेवरेज यानी पूरी दुनिया में सिर्फ एक देश के पास कोई एक ऐसा कीमती रिसोर्स हो जिसकी जरूरत पूरी दुनिया को हो तो उस देश को पावरफुल माना.
जाएगा जैसे मिडिल ईस्ट के पास आज तेल है जो पूरी दुनिया के लिए कीमती है इसीलिए सऊदी अरेबिया और यूएई आज दुनिया के सबसे पावरफुल देशों में से एक है उसी तरह ताइवान के पास दुनिया के सबसे एडवांस्ड सेमीकंडक्टर चिप्स हैं जिसकी वजह से अमेरिका भी आज ताइवान को प्रोटेक्शन देता है यह है किसी भी देश की पावर का दूसरा कारण और तीसरा कारण है इकोनॉमिक माइट यानी.
आज अगर चाइना चाहे तो कितने देशों के ट्रेड या ग्रोथ को रोक सकता है जैसे रशिया यूक्रेन वॉर के समय रशिया के पास इतनी इकोनॉमिक माइट थी कि वो पूरे यूरोप को 2 साल तक चोक कर सके वैसे आज यूएस के पास इतना ज्यादा इकोनॉमिक माइट है यानी ट्रेड स्ट्रेंथ है कि वो भारत की पूरे सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को हिला सकते हैं इन तीन शक्तियों से ही जिओ पॉलिटिक्स में किसी भी.
देश की ताकत को नापा जाता है और आपको यह सुनके हैरानी होगी कि चाइना के पास ये तीनों शक्तियां हैं आज पीपल्स लिबरेशन आर्मी दुनिया की सबसे बड़ी स्टैंडिंग आर्मी है जहां यूएस के पास 1.3 मिलियन की स्टैंडिंग आर्मी है भारत के पास 1.4 मिलियन की स्टैंडिंग आर्मी है लेकिन चाइना के पास 2 मिलियन सोल्जर्स की एक्टिव स्टैंडिंग आर्मी है इसके साथ-साथ यूएस जिस.
तरह पूरी दुनिया में अपने मिलिट्री बेसस को यूज करके डोमिनेट करता है उसी तरह आज चाइना के बेसस अफ्रीका के जिबूटी रीजन में इंडियन ओशन में और साउथ चाइना सी में बन रहे हैं उसी तरह पाकिस्तान बांग्लादेश से लेकर म्यानमार और श्रीलंका तक हर जगह पर चाइना ने अपना कंट्रोल जमा रखा है जिससे चाइना भारत और इंडियन ओशन पर अपना जकड़ बनाकर रखता है और सबसे खतरनाक बात ये है.
कि चाइना के पास 600 ऑपरेशनल न्यूक्लियर वॉर हेड्स हैं जो उसे दुनिया का थर्ड लार्जेस्ट न्यूक्लियर पावर भी बनाता है ये है दोस्तों चाइनीज आर्मी की स्ट्रेंथ न्यूक्लियर वॉर हेड में थर्ड लार्जेस्ट आर्मी में लार्जेस्ट और इंटरनेशनल मिलिट्री एक्सपेंशन में भी वो तेजी से आगे बढ़ रहे हैं ना हैज बीन गेनिंग मिलिटरी स्ट्रेंथ इन रिसेंट यर्स बेजिंग हैज फोकस.
ऑन एक्सपेंडिंग इटस फ्लीट एंड वांट्स टू एब्लिश इट सेल्फ ए डोमिनेंट फोर्स बेजिंग इज रेडी नंबर टू इन द वर्ल्ड व्हेन इट कम् टू डिफेंस स्पेंडिंग सेकंड ओनली टू द यूनाइटेड स्टेटस ए चाइना विल सून हैव द वल्ड लार्जेस्ट एयरफोर्स इसके बाद आते हैं दूसरी शक्ति पर जो है प्रेशियस रिसोर्सेस दोस्तों आज की डेट में तीन ऐसे रिसोर्सेस हैं जिसके लिए दुनिया तरस रही है सोलर.
पैनल्स इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और एआई सुप्रीमेसी यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुप्रीमेसी और चाइना के पास इन तीनों इंडस्ट्रीज का पूरा कंट्रोल है यह देखिए किसी भी इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल में सबसे इंपॉर्टेंट हिस्सा होता है बैटरी ये बैटरी होते हैं लिथियम आयन बैटरीज इस बैटरी को अगर आप खोलते हो तो आपको दिखेंगे एनोड और कैथोड कैथोड को अगर आप खोलोगे तो आपको.
लिथियम कोबाल्ट मैंगनीज और निकेल दिखेंगे इनके बिना ईवी बैटरीज बनाना असंभव है अब देखिए चाइना का कमाल लिथियम आपको मिलता है कनाडा ऑस्ट्रेलिया चिली अर्जेंटीना और बोलीविया में और चिली अर्जेंटीना और बोलीविया के रीजन को कहते हैं लिथियम ट्रायंगल और यहां के लिथियम माइंस में चाइना ने इतना इन्वेस्टमेंट किया है कि आज चाइना इन्हीं लिथियम को लाकर प्रोसेस करके.
पूरी दुनिया को बेचता है और आज चाइना दुनिया का सबसे बड़ा लिथियम प्रोड्यूसर है चाइना अकेले ही दुनिया का 59 पर लिथियम रिफाइनिशिव देश में और यहां पर चाइना ने इतने सारे माइंस खरीद कर रखे हैं कि चाइना के पास दुनिया का 73 पर आई रिपीट 73 कोबाल्ट रिफाइनिशिव और 40 पर कॉपर को भी रिफाइन करता है यानी अगर चाइना चाहे तो पूरी दुनिया के.
इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट को चुटकियों में हिलाक रख सकता है अब आते हैं सोलर एनर्जी पर दोस्तों सोलर एनर्जी मार्केट में भी चाइना का 80 पर से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी है और भारत भी सोलर पैनल बनाने के लिए चाइना से 90 पर आई रिपीट 90 पर रॉ मटेरियल खरीदता है इसका मतलब यह है कि सोलर पैनल्स में भी चाइना का सबसे ज्यादा कंट्रोल है और अगर मैं एआई.
की बात करूं तो आप सब जानते हैं कि चाइना के डीप सीक ने अमेरिकन मार्केट में कैसे एक तहलका मचा दिया इटेलिजेंस चपट डीप सी डीप सी डीप सी इ इज शेकिंग दिस टायर इंडस्ट्री टू को शरिंग लपमेंट ए ली एमनी ये है दोस्तों प्रेशियस रिसोर्सेस पर चाइना का कंट्रोल और दोस्तों अगर आपको डीप.
सी के बार में अच्छे से जानना है तो हमने इस पर एक स्पेशल एपिसोड बनाया जिसको आप डिस्क्रिप्शन में जाकर देख सकते हो और अब आते हैं चाइना के आखिरी पावर पर और वह है इकोनॉमिक माइट और इसमें हम सबको पता है कि चाइना पूरी दुनिया की फैक्ट्री है जिसमें पूरी दुनिया के 28 पर गुड्स मैन्युफैक्चर होते हैं और जैसा कि हमने देखा चाइना इतना सस्ता है कि अगर apple-system.
उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते यह है दोस्तों चाइना की कहानी जहां एक गरीब देश ने एक इंसान के विजन को अपनाया अपने तौर तरीके बदले और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को इतना सीरियसली लिया कि आज पूरी दुनिया से पैसा चाइना में बहने लगा है उसके साथ-साथ जब बाकी सारे देश अपने पॉलिटिक्स में बिजी थे चाइना ने फ्यूचर रिसोर्सेस को आइडेंटिफिकेशन.
से बहुत बहुत बहुत आगे है और अगर हमें चाइना जैसे बनना है तो हमें और भारत सरकार को इस कहानी से तीन चीजें सीखनी होगी पहली सीख यह है कि अगर हमारे पॉपुलेशन को अमीर बनना है तो हमें मैन्युफैक्चरिंग में जल्द से जल्द एक्सेल करना होगा चाइना ने अपनी वर्कफोर्स को ट्रेन किया उन्हें फैक्ट्रीज में काम दिया और सिर्फ 40 साल में वो दुनिया के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब.
बन गए लेकिन भारत में इतनी बड़ी पॉपुलेशन होने के बावजूद भी ना हमारे पास इतना स्किल है ना हमारे पास इतने फैक्ट्रीज हैं और ना हमारे देश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस है दूसरी सीक ये है कि हर 20 से 25 साल में नए रिसोर्सेस की डिमांड होती है और पुराने रिसोर्सेस की वैल्यू धीरे-धीरे कम हो जाती है अगर कोई देश इन कीमती रिसोर्सेस को अपने कब्जे में कर लेता है.
तो पूरी दुनिया उसके आगे झुक जाती है हमने यह देखा कैसे यूएई को तेल ने ताकत दी किस तरह ताइवान को सेमीकंडक्टर्स ने पावर दिया और चाइना को लिथियम कोबाल्ट और पॉलीसिलिकॉन ने ताकत दी है तो सवाल यह है कि भारत ऐसे कौन से फ्यूचर रिसोर्सेस को टैप कर रहा है और सबसे जरूरी बात हमेशा याद रखना जियोपोलिटिक्स में दोस्ती नहीं होती दोस्तों सिर्फ इंटरेस्ट होते हैं अगर.
आपका देश दूसरे देश को अपनी ताकत से नहीं हिला सकता तो कोई दूसरा आपको कुचल कर आगे बढ़ सकता है आज के वक्त में पूरी दुनिया चाइना पर निर्भर है लेकिन भारत के पास ऐसे कोई रिसोर्सेस नहीं है जो पूरी दुनिया को फायदा या नुकसान पहुंचा सके तो सवाल यह है कि हमारी सरकार भारत को सुप बार बनाने के लिए क्या कर रही है अगर आपको जवाब पता है तो प्लीज मुझे कमेंट्स में बताओ यह थी.
दोस्तों चाइना की कहानी एंड आई जस्ट होप यू लर्न समथिंग वैल्युएबल फ्रॉम दिस केस स्टडी दैट ऑल फ्रॉम माय साइड फॉर टुडे गाइ अगर आपको ये केस स्टडी पसंद आया तो प्लीज इस वीडियो को लाइक कीजिए और इसी तरह बिजनेस और इकोनॉमिक्स सीखने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब कीजिए आपके लिए तो यह फ्री है लेकिन हमारे लिए यह बहुत-बहुत जरूरी है थैंक यू सो मच फॉर वाचिंग आई विल.
सी यू इन द नेक्स्ट वन बाय बाय नो [संगीत]