How Dominos killed Pizza Hut ? | Dominos Case Study | Deepak Roy - purshoLOGY

वर्ल्ड वॉर 2 के पहले तक अमेरिका में पिज़्ज़ा एक पुअर मैन फूड की तरह जाना जाता था जिससे सिर्फ कुछ इटालियन इमीग्रेंट और पुअर लोग ही खाया करते थे लेकिन जैसे ही वॉर ओवर होता है और इटली से लौटे अमेरिकन सोल्जर्स की पिज़्ज़ा एक पहली पसंद बन जाता है और इसी तरह अमेरिका में पिज़्ज़ा एक लोकल चीफ फूड के तरह जाना जाने लगा शुरुआत में कुछ लोकल ब्रांड से.

इस डिमांड को फुलफिल करने की कोशिश किया लेकिन समय बीतने के साथ ही दो बड़े मार्केट में जाइंट सामने आए एक पिज़्ज़ा हट और एक डोमिनोज लेकिन पिज़्ज़ा को खाते समय लोग कोल्ड ड्रिंक पीना भी खासा पस किया करते थे और यह मार्केट के इनसाइड पेप्सी भी समझ चुकी थी इसलिए उसने 1977 में पिज़्ज़ हट को एक्वायर कर लिया उस समय पूरे अमेरिका में पिज हट के 3000 से.

ज्यादा स्टोर्स थे वहीं दूसरी तरफ डोमिनोज के सिर्फ 300 स्टोर्स पूरे अमेरिका में थे और वह भारी डेप्ट में जूझ रही थी कंपनी लेकिन असली प्रॉब्लम नोज के सामने तब आती है जब पेप्सिक का पैसा आता है पिज्जा हट के अंदर और पिज्जा हट अपना एक्सपेंशन करना शुरू करती है पिज़्ज़ हट पहले फाइन डाइन रेस्टोरेंट्स में डील किया करती थी लेकिन उन्होंने अब डिलीवरी ऑप्शंस भी लॉन्च कर.

दिए और नोज का जो मेन बिजनेस था वह पिज़्ज़ा की होम डिलीवरी करना ही था और उनके बिजनेस में भी अब पिज़्ज़ा हट एंटर कर रहा था लेकिन नोज अपने पिज़्ज़ा से ज्यादा अपने इनोवेशन के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है सालों से डिलीवरी कर रहे domino’s के ड्राइवर बाकी सभी कंपनियों के डिलीवरी नेटवर्क से काफी ज्यादा फास्ट थे इसलिए नोज ने 1984 में एक ऐसा बिजनेस मूव.

लिया जिसने उसे वर्ल्ड क्लास कंपनी बना दिया नोज ने 1984 में कैंपेन लच किया जिसमें आपको 30 मिनट्स में पिज़्ज़ा डिलीवरी होगी और अगर आपको ऑन टाइम डिलीवरी नहीं होती है तो आपको पिज़्ज़ा फ्री मिल जाएगा अब यह हर कस्टमर के लिए एक विनविन सिचुएशन हो गई क्योंकि कस्टमर्स को फास्ट डिलीवरी मिलेगी पिज़्ज़ा की और डिलीवरी नहीं मिलती है तो लोगों को साथ में.

पिज़्ज़ा फ्री मिल जाता है रातों-रात अमेरिका में फ्री पिज़्ज़ा कैंपेन पूरी तरह से वायरल हो गया और हर तरफ से लोग डोमिनोस को ऑर्डर करना शुरू कर देते हैं इस एक कैंपेन की वजह से वो डोमिनोज जो कि सिर्फ 300 स्टोर्स के साथ 1980 में खड़ी थी वो 1990 आते-आते 5000 से ज्यादा स्टोर्स पूरी दुनिया में फैल चुके थे बट दोस्तों मुझे जो सबसे इंटरेस्टिंग चीज लगी.

इस कैंपेन में वो यह है कि इसी सेम स्ट्रेटजी का यूज नोज ने 2004 में इंडिया में किया जब डोमिनोज बुरी तरीके से इंडियन मार्केट में फेल हो रही थी नोज ने 2004 में इंडिया में कैंपेन लच किया आपको 30 मिनट में आपको पिज्जा मिल जाएगा या तो फ्री डिलीवरी मिल जाएगी अब फ्री का ऑप्शन जहां भी दिख जाए हम इंडियंस वहां जरूर पहुंच जाते हैं इसलिए रातों रात इंडिया.

में भी डोमिनोज पूरी तरह से फैल गया ये पीज कैसे लाया आप वो डोमिनो वाले का स्कीम है ना कि 30 मिनट में नहीं आया तो फ्री देता है मैंने उसका कर डाला इस एकट चैंपियन को डोमिनोज ने पूरे इंडिया में रन किया और पूरे इंडिया में हर जगह नोज को जाना जाने लगा आज डोमिनोज वर्ल्ड की लार्जेस्ट पिज़्ज़ा चेन होने के साथ ही इंडिया में 2000.

स्टोर्स के साथ इंडिया की सबसे बड़ी इंटरनेशनल फूड फ्रेंचाइजी है 1980 में नो से काफी आगे निकल चुकी पिज़्ज़ा हट का अगर आप आज रेवेन्यू देखें तो वो सिर्फ 5.3 बिलियन डॉलर है 2022 में वहीं डोमिनोज का 8.6 बिलियन डॉलर 1960 में अमेरिका के मिशिगन में डोमिनिक डिवटी नाम का एक रेस्टोरेंट ओनर अपने बंद पड़ी पिज़्ज़ा शॉप के लिए कोई खरीददार ढूंढ रहा था और.

वहीं पास में रहने वाले कॉलेज बॉय टॉम मेनिग ने अपने भाई जेम्स के साथ मिलके इस स्टोर को खरीद लिया $500 में सिर्फ टॉम ने अपने भाई जेम्स के साथ मिलके पिज़्ज़ा का नया स्टोर खोला जिसका उन्होंने सेम नाम डोमिनिक पिज़्ज़ा ही रख दिया उसी ओनर के नाम पे इसके कुछ ही महीनों बाद टॉमस का भाई जेम्स इस बिजनेस से बोर हो जाता है और वह बिजनेस छोड़ के अलग हो जाता है और अपने.

50 पर स्टेक के बदले व टॉम की volkswagen.com स्टोर को चलाने में लग जाता है कुछ दिनों तक डोमिनिक पिज़्ज़ा चलाने के बाद टॉम ये समझ चुका था कि लोग हमेशा पिज़्ज़ा को एक सस्ते अल्टरनेटिव मील ऑप्शन की तरह देखा करते हैं और बेसिकली स्टूडेंट्स या फिर सोल्जर्स ही इसको ज्यादा खाया करते हैं इसलिए टॉम को एक बिजनेस एक्सपेंशन प्लान.

दिखा उसने मिशिगन यूनिवर्सिटी के पास अपना एक दूसरा स्टोर खोल लिया और कुछ ही दिनों में एक और तीसरा भी स्टोर खोल लिया टॉम के टोटल तीन स्टोर्स हो जाते हैं जिसमें बेसिकली वो स्टूडेंट्स को ही टारगेट कर रहा था डोमिनिक पिज़्ज़ तीन स्टोर्स तक पहुंच चुका था और मिशिगन में काफी पसंद भी किया जाने लगा और फेमस भी हो चुका था इसलिए डोमिनिक पिज़्ज़ा का जो पिछला ओनर.

था उसने यह नाम यूज़ करने से टॉम को सीधा से मना कर दिया क्योंकि वो नाम उसका था और वो नहीं चाहता था कि टॉम इस नाम को यूज करके और फेमस हो अब टॉम के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह थी कि तीन स्टोर शुरू हो चुके हैं काफी अच्छे चल भी रहे हैं और अब आपको नाम बदलना पड़ेगा नाम बदलने का मतलब है कि पूरा बिजनेस डुबा देना क्योंकि जितने भी ड कैंपेन सब कुछ बने होंगे वो सब.

कुछ फेल हो जाते हैं काफी सोचने के बाद टॉम ने अपने पूरे टीम से बात किया और उन्होंने ने सोचा कि कुछ एक सिमिलर नेम इससे लेके आते हैं और काफी सोचने के बाद डोमिनिक का बहुत सिमिलर नेम बना डोमिनोज और यहां से डोमिनोज पिज़्ज़ा की शुरुआत होती है इसका लोगो डिजाइन करते समय इसमें तीन डॉट्स बनाए गए तीन डॉट का मतलब था कि इनके तीन स्टोर इन्होंने सोचा था कि हम हर.

स्टोर के साथ एक डॉट अपने लोगों में बढ़ाते जाएंगे लेकिन दोस्तों आज इतने स्टोर्स हैं कि पूरे लोगों में डॉट्स कम पड़ जाएंगे टॉम डोमिनोस के तीन पिज़्ज़ा स्टोर्स मैनेज कर रहा था जिसको मैनेज करने में उसे अच्छी खासी दिक्कत आ रही थी क्योंकि कई साइज में पिज़्ज़ा और ढेर टॉपिंग्स को मैनेज करना और साथ ही उसकी डिलीवरी के लिए अलग-अलग बॉक्सेस मेंटेन.

करना यह काफी मुश्किल भरा था और अगर प्रॉफिटेबिलिटी की भी बात करें तो इन दिनों नोज का एक 6 इंच का पिज़्ज़ा 30 सेंट्स खाया करता था जिस पे कंपनी को कुछ भी नहीं बचा करता था टॉम कई दिनों से इसी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रहा था कि एक दिन उसे रात में एक कस्टमर का कॉल आया जिसने 6 इंच का पिज़्ज़ा ऑर्डर किया टॉम ने डायरेक्टली उससे बोला कि मेरे पास सिर्फ.

12 इंच और 16 इंच का पिज़्ज़ा है यह सुनने के बाद कस्टमर ने उसको महंगे ऑर्डर्स किए उस रात टॉम ने यही सेम फार्मूला हर कस्टमर के साथ अपनाया कि बताया कि मेरे पास सिर्फ 12 और 16 इंच का पिज़्ज़ा है नेक्स्ट डे जब उसने काउंट किया तो वो उस दिन उसने सबसे ज्यादा प्रॉफिट कमाए थे क्योंकि बड़े पिज़्ज़ा में नोज को ज्यादा प्रॉफिट होता था और छोटे पिज़्ज़ा में कंपनी को लॉस.

होता था टॉम यहां पे बड़ा बिजनेस लेसन सीख चुके थे उन्हें समझ में आ गया था कि कस्टमर के सामने अगर लिमिटेड ऑप्शंस हैं तो कस्टमर उन्हीं को चूज करेगा और इसके बाद टॉम ने अपना बिजनेस का एक बड़ा मूव लिया उन्होंने एक बड़ा फैसला लिया कि वो अपने मन्यू में से बर्गर सैंडविच और सारे छोटे पिज़्ज़ा को रिमूव कर देंगे और अब नो सिर्फ दो ही तरह के पिज़्ज़ा बना रहा था.

12 इंच और 16 इंच जिसमें सिर्फ 11 तरह के फिक्स टॉपिंग्स थे बेसिकली हम इंडियन बिजनेस के साथ यही प्रॉब्लम देखते हैं जैसे ही कोई भी नया फूड आउटलेट खुलता है वहां का जो ओनर होता है वो कोशिश करता है कि अपने मेन्यू में ज्यादा से ज्यादा आइटम्स रखें और वो कोशिश करता है कि यही मेरी यूएसपी बन जाए कि मेरे पास इतने सारे आइटम्स है लेकिन टॉम कुछ और ही सोच रहा था.

उसको नोज को वर्ल्ड क्लास ब्रांड बनाना था और एक बड़ा ब्रांड बनाने के लिए जितने कम ऑप्शंस और जितने कम मेंटेनेंस हो वो उसको जितना बड़ा ब्रांड बनाता है मेन्यू को सिंपल करने के बाद टॉम ने रिलाइज किया कि ज्यादातर कस्टमर होम डिलीवरी चाहते हैं पिज्जा की लेकिन डिलीवरी चार्ज होने की वजह से कस्टमर्स आते हैं और वो पिज्जा लेके घर जाते हैं इसलिए टॉम ने नोज की.

फ्री पिज्जा डिलीवरी लच कर दी जिस वजह से अब कोई भी कस्टमर अपने घर बैठे ही डायरेक्टली पिज़्ज़ा कॉल से ऑर्डर कर सकता था और वो डायरेक्टली उसको अपने घर पे मंगा सकता था फ्री में ही इस फ्री डिलीवरी को लॉन्च करने के बाद ज्यादातर कस्टमर फाइन डाइन में आने की जगह ऑनलाइन डिलीवरी ही करवाना पसंद करते थे जिस वजह से अब domino’s ने पूरी तरीके से फाइन डाइन बंद.

कर दिया मतलब आपको रेस्टोरेंट्स में आके खाना नहीं है आप डायरेक्टली कॉल करके होम डिलीवरी मंगा सकते हैं फाइन डाइन बंद करते ही नोज का कई सारे एक्सपेंसेस रिड्यूस हो गए सबसे पहले उनका रेंटल जो एक्सपेंस था वह कम हुआ इलेक्ट्रिसिटी और इसके साथ ही कई सारे जो स्टाफ रखने का था वह सब कुछ कम हो गया domino’s के पास नज अभी तक अपने प्रोसेस को स्ट्रांग करने में लगा हुआ था.

वहीं पि ह का फाइंड आइन एक्सपीरियंस लोग काफी पसंद कर रहे थे जब तक नोज अपने 300 स्टोर तक पहुंचती p h अपने 3000 स्टोर्स पूरे कर चुका था यूएस में और pepsi-cola अगर वो लेट हो जाता है तो पिज़्ज़ा का टेस्ट थोड़ा सॉगी हो जाता है पिज़्ज़ा जब ठंडा हो जाता है तो उसको खाने का मन नहीं करता है इसलिए ज्यादातर कस्टमर फाइन डाइन में जाना ज्यादा पसंद कर रहे थे.

अब इस प्रॉब्लम को रिजॉल्व करने के लिए डोमिनोस ने 30 मिनट पिज़्ज़ा डिलीवरी या फ्री लॉन्च कर दिया मार्केट में इससे क्या हुआ कि अगर 30 मिनट में कस्टमर के पास तक पिज़्ज़ा पहुंचेगा तो उसका टेस्ट सॉगी नहीं होगा लेकिन यह यूएस के मार्केट में एक बड़ा डिसर पशन था क्योंकि उसके बाद रातों-रात पूरे यूएस में नोज जाना जाने लगा हर तरफ नोज की फ्रेंचाइजी मांगी जाने.

लगी क्यों उसकी सबसे ज्यादा मार्केट में रिक्वायरमेंट आ रही थी नोस का फ्री पिज कैंपेन लोगों को खासा पसंद आ रहा था क्योंकि लोगों को समय प डिलीवरी मिल रही थी और कुछ बार तो डोमिनोज लोगों को ऐसे ही थोड़ा लेट डिलीवरी कर रहा था ताकि वो पिज़्ज़ा फ्री में दे दे जिस वजह से वो टॉक ऑफ द टाउन बनता गया समय के साथ ही 1980 तक जहां डोमिनोज के सिर्फ 300 स्टोर.

थे व 1990 आते-आते 5000 से ज्यादा स्टोर्स पूरे यूएस में हो चुके थे इसके साथ ही उन्होंने ग्लोबली कैनेडा ब्राजील जैसे कई कंट्रीज में एक्सपेंड भी कर लिया था नो का पूरा बिजनेस मॉडल हब एंड स्पोक मॉडल पे डिपेंडेंट है है पिज़्ज़ा बनाने के लिए जो भी डो टॉपिंग्स सॉसेज जितने भी यूज होते हैं व सब सिटी में एक सेंटर पे डोमिनोस के आते हैं फिर इसी सेंटर से जितने भी.

फ्रेंचाइजी स्टोर्स हैं उन सभी तक वो सारी चीजें सप्लाई कर दी जाती है तो इसका मतलब है कि सेम क्वालिटी और सेम स्टैंडर्ड हर स्टोर पे मेंटेन हो जाता है पूरे दुनिया भर में उन्होंने यही चेन मॉडल स्टार्ट किया और हब एंड स्पोक मॉडल से वो पूरे दुनिया भर में सेम टेस्ट और सेम क्वालिटी मेंटेन किया करते हैं 1991 के बाद इंडिया में लिबरलाइजेशन हुआ और कई सारे फॉरेन.

बिजनेसेस इंडिया में एंटर करने लगे अब नोज ने देखा कि वर्ल्ड में दो बड़े मार्केट डेवलप हो रहे हैं इंडिया और चाइना और इन दोनों ही कंट्रीज में डोमिनोज ने एंटर किया 1996 ऐसा साल था जब डोमिनोज और पिा हट दोनों ने इंडिया में एंट्री लिया लेकिन आते ही इन दोनों के सामने इंडिया में दो बड़े चैलेंज थे एक तो इंडिया एक प्राइस सेंसिटिव मार्केट है और दूसरा इंडिया.

पिज़्ज़ा के लिए बिल्कुल भी एक अनअवेयर कंट्री था इंडिया में पिज़्ज़ा उसके पहले खासा नहीं खाया जाता था जिस वजह से इन दोनों ही ब्रांड्स को लोगों को अवेयर भी करना था और एक सही प्राइस भी सेट कर रहा था लेकिन नोस के सामने इंडिया में एक तीसरा चैलेंज भी था इंडिया में डिलीवरी सिस्टम एक नई चीज थी और नोज का पूरा बिजनेस डिलीवरी पे ही डिपेंडेंट था इंडियन.

कस्टमर्स को ज्यादा डिलीवरी का कोई एक्सपीरियंस नहीं था जिस वजह से लोग ऑर्डर करने में डरा करते थे लेकिन डोमिनोज भी वर्ल्ड के कई मार्केट्स में एंटर कर चुका है और उसे पता है कि किस तरह रीजनली लोगों से जुड़ा जाता है और उन्होंने इंडिया में देखा कि इंडिया में रीजन वाइज लोगों का टेस्ट चेंज हुआ करता है जैसे कि अगर आप ईस्ट साइड में जाएंगे तो लोगों को मस्टर्ड.

ज्यादा पसंद है व आप वेस्ट साइड में जाएंगे तो लोगों को मुंबई साइड पुदीना बहुत पसंद आता है इसीलिए नोज ने रीजनली टेस्ट अपने लॉन्च किए जैसे कि ईस्ट में उन्होंने लक्स चिकन विथ मस्टर्ड सॉस पिज़्ज़ा लॉन्च किया वेस्ट साइड में उन्होंने चिकन पुदीना पिज़्ज़ा लॉन्च किया वहीं साउथ में उन्होंने मटन घुंगरा पिज़्ज़ा लॉन्च किया और नॉर्थ में.

उन्होंने मखनी पनीर पिज़्ज़ा लॉन्च किया क्योंकि नॉर्थ के लोग ज्यादातर तीखा पसंद करते हैं यह सब करने के पीछे ब्रांड ही एक स्ट्रैटेजी है कि किसी तरह एक आइस ब्रेकर मूवमेंट लाया जाए मतलब लोगों का रीजनल टेस्ट अपने पिज़्ज़ा में जोड़ा जाए ताकि कि कस्टमर उसे एक बार ट्राई तो करें एक बार जब कस्टमर ट्राई करेगा तो वह दूसरी तीसरी बार भी ट्राई करेगा और उसके बाद उसे.

धीरे-धीरे कन्वर्ट किया जा सकता है रेगुलर पिज़्ज़ा यूजर की तरह अब नोज इंडियन मार्केट में इतना कुछ कर रहा था तो पिज़्ज़ा हट भी उसमें पीछे नहीं रहने वाला था उसने भी सेम स्ट्रेटजी लगाई इंडिया में कि अपने ब्रांड को रीजनल लेके जाओ पिज़्ज़ हट ने भी कस्टमाइज स्पाइसी चिकन और चिकन टॉपिंग्स अपने मेन्यू में ऐड कर दिए इसके अलावा उन्होंने अहमदाबाद में अपना पूरा.

वेगन एक रेस्टोरेंट खोल दिया और यही नहीं उन्होंने जैनियों के लिए एक स्पेशल ू भी लॉन्च किया जिससे पूरा जैन फूड्स होता है वहीं हैदराबाद के रेस्टोरेंट्स में हलाल मीट और चिकन विदाउट बीफ एंड पोर्क भी उन्होंने लॉन्च कर दिया तो मतलब जैसा लोगों की पसंद अपने ब्रांड को कुछ वैसे ही जोड़ लो अब मेनू को लोकलाइज करने के बाद दोनों ब्रांड्स में प्राइसिंग वर स्टार्ट.

हो जाती है और दोनों ब्रांड्स अपने रेट्स काफी कम करना शुरू करते हैं नोज ने इंडियन कस्टमर की साइक एनालाइज किया तो समझा कि इंडियंस वैल्यू फॉर मनी वाली चीजें चाहते हैं मतलब चीजें ज्यादा हो और और कम पैसे में हो तो उन्होंने अपना लार्ज साइज पिज़्ज़ा सिर्फ ₹1 29 में लॉन्च कर दिया इंडिया में इसके साथ ही नोज ने कस्टमर को अवेयर करने पे भी फोकस किया जैसे कि नोज.

ने पिज़्ज़ा मेकिंग क्लासेस भी स्कूल स्टूडेंट्स के लिए कई जगह ऑर्गेनाइज किए यही नहीं 1998 में उन्होंने ऐसे कस्टमर जो कि पूरे साल में करीब 15000 का ऑर्डर किए हो उनको कई सारे गिफ्ट्स भी बांटे ताकि कस्टमर की एक लॉयल्टी डेवलप हो इंडिया में वहीं पिज़्ज़ हट भीन सबसे दूर नहीं थी पिज़्ज़ हट भी अपने कई बढ़िया कैंपेन लॉन्च कर रही थी जैसे कि उन्होंने पेन इन.

योर पिज़्ज़ नाम का कंटेंट्स लॉन्च किया अगर आपके पूरे नाम में कहीं पी ए एन आता है तो आपको पिज़्ज़ फ्री में मिल जाएगा जैसे कि पंकज तो इस तरह के नामों को उन्होंने फ्री करना शुरू कर दिया यही नहीं उन्होंने देखा जब कस्टमर फाइन डाइन में आते हैं तो उन्हें काफी ज्यादा देर वेट करना होता है जिससे कस्टमर परेशान होते हैं तो यहां पे इन्होंने एक नया ऐड कैंपेन.

लॉच किया 12 नहीं तो 13 इसका मतलब यह है कि आपको 12 मिनट में आके बैठने के बाद रेस्टोरेंट में आपको आपका पिज़्ज़ा मिल जाएगा और 12 मिनट नहीं हुआ तो 13वें मिनट में आपका पिज़्ज़ा फ्री हो जाएगा आप कस्टमर बैठ के इससे घड़ी देखने लगा तो कस्टमर जब जितना देर वेट करेगा तो वो परेशान भी नहीं होगा कुछ इस तरीके के कैंपेन से दोनों ब्रांड लॉन्च कर रहे थे.

वहीं नो साल 2000 आते-आते एक पे एक पिज़्ज़ा भी इंडिया में फ्री देने लगा साल 2001 आते-आते दोनों ब्रांड्स ने अपने टीवी एडवर्टाइजमेंट भी इंडिया में शुरू कर दिए और जिस तरीके से अपने डोमिनोज ने सटीक मार्केटिंग प्लांस निकाला था और अपनी स्ट्रेटेजी किया था उससे उन्होंने 2001 तक इंडिया में 101 आउटलेट्स खोल लिए थे और पिज़्ज़ हट इन से कोसो दूर सिर्फ 19.

आउटलेट पूरे इंडिया में खोल पाया था लेकिन अब भी नोज वो सक्सेस नहीं कर पाया था इंडिया में जो उन्होंने यूएस और बाकी मार्केट्स में देखा था अभी भी इंडिया में एक बड़ी पॉपुलेशन ऐसी थी जो पिज़्ज़ से कोसो दूर थी और फिर डोमिनोज ने अजय कॉल को इंडिया का हेड बनाया जिसके बाद नोज के जर्नी इंडिया में 2000 से ज्यादा स्टोर्स तक आज पहुंच चुकी है दोस्तों आइए इसके बाद.

की भी स्टोरी आपको बताते हैं कि इंडिया में नो सक्सेसफुल कैसी होती है तो इंडियन रिटेलिंग को दए एक इंटरव्यू में अजय कॉल बताते हैं कि इंडियन कस्टमर अपने ट्रेडिशनल फूड ऑप्शन को छोड़ना ही नहीं चाहते थे लोग समोसे और कचौड़ी में ही लगे हुए थे वो नए तरीके का पिज़्ज़ा वो यूज ही नहीं करना चाहते थे सबसे बड़ी प्रॉब्लम इंडियन कस्टमर के साथ डोमिनोज ने यही.

ऑब्जर्व की था इसीलिए उन्होंने सेम वही कैंपेन जिसने 1984 में उन्हे सक्सेस दिलाई थी यूएस के मार्केट में वही कैंपेन इंडिया में 2004 में लॉन्च किया कि 30 मिनट में आपको पिज्जा आपके घर पे मिलेगा नहीं तो वो फ्री हो जाएगा हेलो डोमिनो एक लार्ज पिज्जा बेजना और 30 मिनट्स में नहीं आएगा तो फ्री देगा ना मुफ और यह जितना बड़ा डिप्स में लेके आया.

था उससे बड़ा इंडिया में लाया क्योंकि इंडिया में लोग फ्री का नाम जैसे ही सुनते हैं तो वो चीज जरूर ट्राई करते हैं बहुत ही जल्द ये कैंपेन इंडिया में वायर हो गया और लोग फ्री पिज्जा के चक्कर में ऑर्डर करना शुरू कर देते हैं इससे इंडियंस के बीच में जो पिज्जा को लेकर एक डिस्टेंस था ब्रांड ने वो धीरे-धीरे कम कर दिया और यही नहीं नोज ने एक हंगर हेल्पलाइन भी लांच.

किया एक नंबर उन्होंने दिया पूरे इंडिया में सेम नंबर आप कहीं से भी कॉल करिए और आप नोज से पिज्जा बुक कर सकते हैं ताकि कस्टमर को काफी कम मेहनत करनी पड़े वो एक कॉल करे और पिज्जा उसके घर तक आ जाए टॉम की जो सोच थी यह ब्रांड उसी को इंप्लीमेंट करने की कोशिश कर रही थी कि पिज्जा लोगों के पास घर तक जल्दी से जल्दी पहुंचाया जाए यहां एक और बैरियर भी था प्राइसिंग का.

प्राइस की ही वजह से एक बड़ी ऑडियंस ऐसी थी इंडिया की जो पिज़्ज़ा ट्राई नहीं कर पाती थी इसलिए 2006 में domino’s ने फन मील ऑप्शन इंट्रोड्यूस किया जिसमें आपको ₹2000000 लगा के एक बार domino’s का पिज़्ज़ा ट्राई तो करें और इन्हीं स्ट्रेटजी की वजह से 2012 आते-आते नो ने इंडिया में 500 से ज्यादा आउटलेट्स खोल दिए इंडियन मार्केट में जहां डोमिनोज बहुत.

अच्छा कर रही थी वहीं ग्लोबली एक बड़े क्राइसिस का सामना कर रही थी 1998 में टॉम ने इस पूरी कंपनी को बेन कैपिटल को उठा के बेच दिया और वो फुल टाइम चर्च में वर्क करना शुरू कर देते हैं लेकिन समय के साथ ही डोमिनोज अपनी क्वालिटी नहीं मेंटेन कर पाती है और ये सारी चीजें 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस में खुल के सामने आ जाती हैं जब नोस का स्टॉक इतना ज्यादा गिर.

गया कि वह $3 के नीचे ट्रेड होना शुरू हो गया इस क्राइसिस से बचने के लिए डोमिनोज ने अपनी कॉस्ट कटिंग करना शुरू कर दी नोज के ऊपर से टॉपिंग्स कम कर दिए गए डो की क्वालिटी कम की गई इसके साथ ही जो चीज और बाकी सारी चीजें इंक्लूड होती है नोज के पिज़्ज़ा बनाने के लिए उन सब चीजों में कॉस्ट कटिंग किया गया जिस वजह से ओवरऑल ब्रांड की क्वालिटी रिड्यूस हो गई और.

मार्केट में हर जगह यह बोला जाने लगा कि नोज का पिज़्ज़ा एक कार्डबोर्ड जैसा लगा करता है क्योंकि नज पिज़्ज़ा के बेस की क्वालिटी काफी खराब हो गई थी और वो कस्टमर्स को बिल्कुल भी अब पसंद नहीं आ रही थी इससे नोज की रेपुटेशन पे एक बड़ा डेंट लगा और ब्रांड की सेल्स लगातार गिरती जा रही थी और ब्रांड ब्रैंड को पता था अ ये हाई टाइम है नहीं तो यह ब्रांड डूब.

जाएगा और दोस्तों नोज ने उस क्राइसिस के समय में कुछ ऐसा किया जिस वजह से लास्ट डिकेट में नोज के स्टॉक करीब 4000 पर से ज्यादा ग्रो किए अगर देखें तो वन ऑफ द वर्ल्ड के बेस्ट स्टॉक्स में नोज के शेयर 2010 से 2020 के बीच में ट्रेड हो रहे थे तो नोज ने ऐसा क्या किया आइए आपको बताते हैं तो दोस्तों नोज ने वही किया जो कि नोज पहले से हमेशा करती आई थी उन्होंने कस्टमर.

से फीडबैक लेने शुरू किए और अपनी क्वालिटी को बारीकी से समझना शुरू किया अपने शेप्स के साथ बैठ के जिसके बाद हर एक टॉपिंग पिज़्ज़ा का डो और हर चीजों में क्वालिटी में जबरदस्त इंप्रूवमेंट किया गया और कई सारे वैराइटीज ऑफ पिज़्ज़ा भी ब्रांड ने लच किए लेकिन अभी तक नोज अपना रेपुटेशन मार्केट में खो चुकी थी और उसको भी बनाना अभी एक बड़ा टास्क था तो इसके लिए नोज ने.

सच का सहारा लिया उन्होंने एक ऐड कैंपेन बनाया जिसमें उन्होंने क्लीयरली दिखाया कि किस तरीके से उनका पिज़्ज़ा एक कार्डबोर्ड जैसा दिखा करता है और लोगों की डायरेक्टली कन्वर्सेशन अपने पिज़्ज़ा के बारे में उन्होंने सिंपली अपने ऐड में दिखाई पि व द ल हा हार्ड ब्रेड सास चीज फ्रेश इंग्रेडिएंट्स डजन फी लाइ देस म डमिन पिज नोस पि क ला.

हाड इसके बाद इनके हेड शेफ बेटर पिज़्ज़ा बनाना शुरू करते हैं और बनाने के बाद उसी एडवर्टाइजमेंट में दिखाया गया कि वह कस्टमर के पास ले जाते हैं और उसको टेस्ट कराते हैं जिसके बाद वह कस्टमर को वो पिज़्ज़ा का टेस्ट काफी पसंद आता है जिसके बाद इस ऐड कैंपेन में बोला गया कि आप लोग एक बार इस पिज़्ज़ा को ट्राई करिए जो हमने नया इनोवेशन किया है यह एक रिस्की कैंपेन.

था लेकिन लोगों को नोज की ऑनेस्टी काफी पसंद आई और सब कुछ ब्रांड के फेवर में चला गया यह कैंपेन इतना सक्सेसफुल रहा कि नोज ने अपनी खोई हुई मार्केट रेपुटेशन फिर से हासिल कर लिया और 2014 में पिज़्ज़ हट ने भी यही सेम इंप्लीमेंटेशन किया उन्होंने अपने सारे इंग्रेडिएंट्स फिर से चेंज किए और अपने पिज़्ज़ा में भी एक नया इनोवेशन लेके आए क्योंकि नोज की वो तरीका काफी हिट.

हो चुका था मार्केट में ऑलरेडी नोज ने अपनी पिज़्ज़ क्वालिटी तो इंप्रूव किया ही इसके साथ ही उन्होंने अपने डिलीवरी सिस्टम में कई सारे इनोवेशन लेके आया जैसे कि 2008 में डमिन ने डिलीवरी ट्रैकर लॉन्च किया जैसा कि आज आप हट की सिर्फ 12.03 बिलियन डॉलर थी उस साल अपने सटीक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी की वजह से डोमिनोज जहां 2010 में 1.7 बिलियन डॉलर.

का रेवेन्यू कर रही थी वो 2018 में बढ़ के 3.4 बिलियन डॉलर हो गया लेकिन अभी इंडियन मार्केट का एक्सपेंशन पूरा नहीं हुआ था फाइनेंशियल ईयर 2011 में डोमिनोज इंडिया के 90 शहरों तक फैल चुकी थी अभी तक नोज इंडिया के टायर वन सिटीज में फैल चुकी थी लेकिन सडन नोज ने रिलाइज किया कि नोज की एक बड़ी अपॉर्चुनिटी इंडिया के छोटे शहरों में भी है जहां पे लोगों के पास बाइंग.

कैपेसिटी तो है लोग तो खरीदना चाहते हैं हैं लेकिन वहां पे कोई बड़े ब्रांड ही नहीं है जिस तरह से आप देखें तो पूरे इंडिया में जगह-जगह पे छोटी-छोटी पिज़्ज़ा की शॉप्स खुल गई हैं ये किस वजह से खुली है क्योंकि वहां पे ब्रांडेड ऑप्शंस नहीं है और लोगों वही पिज़्ज़ा खाना फिर से पसंद करते हैं क्योंकि उनको नोज का ऑप्शन मिला ही नहीं जिस वजह से नोज ने 2010 के.

बाद इंडिया के रीजनल एरियाज में एक्सपेंशन शुरू किया जैसे कि उत्तर प्रदेश पंजाब बिहार राजस्थान झारखंड और उड़ीसा के छोटे-छोटे शहरों में उन्होंने अपना एक्सपेंशन किया पिछले पांच सालों में अगर हम देखें तो कोविड का टाइम छोड़ के डोमिनोज ने हर तीन महीने में कम क से कम 50 स्टोर तो खुले ही हैं नोज इंडिया के रीजनल एरियाज में काफी तेजी से एक्सपेंड.

कर रहा है ताकि वहां के कस्टमर्स नोज को कंज्यूम कर सकें ब्रांड को पता है कि इंडिया में इस समय जेंज पॉपुलेशन है जो कि इंटरनेट से हर समय कनेक्टेड होते हैं और वेस्टर्न कंट्रीज में क्या चल रहा है वो चीजें वो जरूर ट्राई करना चाहते हैं चाहे वह किसी बहुत से भारत के छोटे शहर में लड़का बैठा हो या किसी बड़े शहर में बैठा हो इंटरनेट की वजह से आज हर चीज का एक्सेस.

है और हर बच्चा वो चीजें करना चाहता है जो कि व बड़े सेलिब्रिटी को करते हुए देखता है इसीलिए फाइनेंशियल ईयर 2010 में जहां डोमिनोज का रेवेन्यू 423 करोड़ था वो फाइनेंशियल ईयर 24 आते-आते 5340 करोड़ पहुंच गया है आज और जून 2024 में उन्होंने अपना 2000 वां आउटलेट खोला आसपास भी कोई भी ब्रांड इसके टिकता ही नहीं है सबसे बड़ा रीजन है कि इस ब्रांड ने कंसिस्टेंसी.

दिखाई है मार्केट में इस वीडियो में दोस्तों मैं आपको दो बड़े लेसन देना चाहता हूं किस तरीके से नोज दुनिया में 11000 स्टोर खोल पाए उसका सबसे बड़ा रीजन है उन्होंने अपना एक प्रोसेस बनाया नोज का सिंपल सा विजन था कि हमको पिज्जा लोग को क कम से कम समय में पहुंचाना है उनके पास तक तो उस बीच में आने वाली हर एक दिक्कत उन्होंने रिजॉल्व किया जैसे कि कई तरीके.

के पिज़्ज़ा रखने की वजह से उनको डिलीवरी में इशू आ रहा था तो उन्होंने कई तरीके के पिज्जाज हटा दिए इसके साथ ही उन्होंने देखा कि कस्टमर को डिलीवरी चार्ज होने की वजह से वो पिज़्ज़ा खरीद नहीं पाते हैं या फिर वो कस्टमर आके खाता है तो उन्होंने वो प्रॉब्लम भी रिड्यूस किया मतलब उन्होंने कस्टमर तक पिज़्ज़ा पहुंचाने के हर सिंपल तरीके बनाने की कोशिश किया और यही एक हर.

इंडियन ब्रांड को करना भी चाहिए और जैसे ही उनका प्रोसेस सिंपल हुआ ब्रांड वायरल हुआ उसको रेप्ट करना बहुत इजी हो गया और पूरे दुनिया भर में उन्होंने अपनी फ्रेंचाइजी खोल दिया दूसरा अगर आप बड़ा लेसन नो से सीखना चाहे तो 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस में जिस समय डोमिनोज मार्केट में डूब रही थी उस समय उन्होंने ऑनेस्टी का सहारा लिया उन्होंने सिंपल ऐड.

कैंपेन वही बनाया जो मार्केट में चल रहा था लोग डोमिनोज के पिज़्ज़ा को कार्डबोर्ड वाला पिज़्ज़ा बोल रहे थे तो ब्रांड ने वो सिंपल दिखाया और अपने में चेंज लेके आया और आप अगर ऑनेस्टी के साथ चलते हैं तो आप अपना मार्केट में ब्रांड जरूर फेमस कर सकते हैं यह वो टाइम चल रहा है वीडियो अच्छी लगी है तो दोस्तों वीडियो को लाइक करिएगा आपको इसमें सबसे इंटरेस्टिंग चीज.

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