अगर मैं आपसे कहूं कि आप एक ट्रक के बारे में सोचिए तो डेफिनेटली आपके दिमाग में ऐसी ही ट्रक की इमेज आएगी राइट दोस्तों दुनिया भर में ट्रक और बस मैन्युफैक्चरर के बीच टा मोटर्स का दबदबा बरकरार है जहां एक तरफ पर्सनल व्हीकल्स के मामले में टा मोटर्स की सेल्स सिर्फ इंडिया और उसके कुछ पड़ोसी देशों तक ही लिमिटेड है वहीं कमर्शियल व्हीकल्स खासकर ट्रक के मामले.
में टा ने तो पूरी दुनिया भर में बाकी कंपनीज के छुड़ा रखे हैं जी हां इंडिया में टा के पास कमर्शियल व्हीकल की करीबन 53 पर की हिस्सेदारी है लेकिन दुनिया भर में सेकंड बिगेस्ट मैन्युफैक्चरर बनना कोई आसान बात नहीं थी क्योंकि ग्लोबल लेवल पर उनसे पहले से वोल्वो पीटर बिल्ड जैसी कई अन्य कंपनीज मौजूद थी और उनको पीछे छोड़ आगे निकलना.
वाकई में इजी नहीं था अब उन्होंने ये किया कैसे ये जानने के लिए पहले हम ये जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी सबसे सरप्राइजिंग बात तो यह है कि सन 1945 में जब टाटा स्टार्ट हुई तो वो टा मोटर्स नहीं बल्कि टा लोकोमोटिव्स एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड थी वो लोकोमोटिव के साथ-साथ एक्सक वेटर्स इंडस्ट्रियल शटर्स डंपर्स और स्ट्रीम पर चलने वाले रोड रोलर्स भी बना.
रहे थे ये सारी चीजें टाटा कंपनी की किसी ना किसी यूरोपियन कंपनी से कोलैबोरेट करके बना रहे थे और इसी तरह उन्होंने मर्सडीज के साथ कोलैबोरेट करके 1954 में उन्होंने अपना पहला ट्रक mercedes-benz के नाम से लॉन्च कर दिया था हालांकि व्हीकल्स के मामले में ग्लोबल कंपनी बना दिया सबसे पहले उन्होंने अपने ट्रक्स को श्रीलंका में एक्सपोर्ट किया और एक बार जब.
उन्होंने इंडिया से बाहर बिजनेस करना शुरू किया तो उन्हें दुनिया के अलग-अलग देशों में पहुंचने में टाइम नहीं लगा 1964 में उन्होंने अपने ट्रक्स को अफ्रीका भेजना शुरू किया वैसे तो tata-aig जल्द ही मार्केट में पहले से मौजूद आयर mits.ac.in टा ने यहां पे दोनों काम किए इंटरनेशनल लेवल पर टा मोटर्स की ग्रोथ में सबसे बड़ा.
हाथ अफ्रीका का है हालांकि अफ्रीका में गाड़ियों का बिजनेस करना इतना आसान नहीं है क्योंकि वहां की ज्यादातर जनसंख्या गरीब वर्ग से आती है इसलिए वहां मोस्टली लोग सेकंड हैंड गाड़ियां ही अफोर्ड कर पाते हैं ऐसे में अगर आपकी गाड़ी की प्राइस काफी कम हो तभी लोग आपके प्रोडक्ट को खरीदेंगे इस प्रॉब्लम को टैकल करने के लिए टाटा ने अफ्रीकन कॉन्टिनेंट में छह.
असेंबली प्लांट्स लगाए और जहां पर इंडिया से नॉक डाउन पार्ट्स पहुंचाए जाते थे अब इससे ये फायदा हुआ कि टा के व्हीकल्स की कॉस्ट वाकई में कम हो गई और अफ्रीका के लोगों को रोजगार भी मिल गया अफ्रीका के साथ-साथ साउथ कोरिया में भी टा मोट्स ने अपने झंडे गाड़ दिए कोरिया में टा के बिजनेस की शुरुआत डे मोटर्स के साथ वेंचर से हुई उस समय ो के व्हीकल्स की हालत काफी.
खस्ता हो रही थी इसलिए 2004 में टा ने वहां उनकी कंपनी को एक्वायर कर लिया दोनों कंपनीज की एक्सपर्टीज के चलते जल्द ही टा डे का बिजनेस कोरिया में चल पड़ा और आज टा डे कोरिया की सेकंड बिगेस्ट कमर्शियल व्हीकल मैन्युफैक्चरर है और यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि कोरियन मार्केट में किसी बाहर की कंपनी का टिक पाना बहुत बड़ा मुश्किल काम था टा ने वो भी कर दिखाया.
वहां या तो सिर्फ कोरियन कंपनी टिकती है या फिर जॉइंट वेंचर्स आज टा ट्रक्स के मामले में साउथ कोरिया की सेकंड बिगेस्ट मैन्युफैक्चरर है टा की तरह कंट्री लाइट ने भी अपना बिजनेस बहुत ग्रो किया और 1000 करोड़ का बिजनेस किया लेकिन आखिर कैसे जानने के लिए इस वाली वीडियो को देखिए