एक था दूध वाला दूध वाला एक भारतीय स्टार्टअप था जिसकी शुरुआत सन 201 15 यानी आज से ठीक 10 साल पहले दो फॉमस इब्राहिम अकबरी और आकाश अग्रवाल ने की थी इसका मेन हेडक्वार्टर उन्होने बेंगलोर में बनाया था इस स्टार्टअप के सफल होने के सभी जो जरूरी साधन होते थे वो सब थे उनके पास अच्छी फंडिंग बन गई थी इनके पास विजन बहुत बड़ा था तो एकदम युवा.
उद्यमी एंटरप्रेन्योर भारतीय बाजारों प्रतीक डिमांड जिसकी दूध की डिमांड एक कसि जो डेली यूज के लिए यूज़ होता है डेली यूज़ के लिए इस्तेमाल होता है हर दिन हर वक्त दूर जाइए होता है इसके बावजूद व बुरी तरह से फेल हुई है फेर स्टार्टअप क्यों हुआ और उने अपनी सेवाएं अपनी सर्विसेस बंद करनी पड़ती किसी स्टार्टअप का फंडिंग मिलने के बाद भी बंद होना कोई नई बात नहीं.
है आज के समय में बहुत सारे स्टार्टअप जो खुलते हैं उसके बाद बंद हो जाते हैं इस स्टार्टअप के पास सफल होने के लगभग सभी साधन होने के बावजूद ये स्टार्टअप क्यों फेल हो गया उसकी पोर्टस मट एनालिसिस करेगा आपका दोस्त तो इस स्टार्टर के पास सफर होने के सभी साधन अच्छी फंडिंग बड़ा विजन दो एंटरप्रेन्योर और भारतीय बाजार में बढ़ती डिमांड लेकिन इसके बावजूद व पूरी.
तरीके से असफल हुए उन्होंने अपनी सर्विसेस बंद की और उनको अपनी सर्विसेस दूध की बंद क्यों करनी पड़ी इस स्टार्टअप का फंडिंग मिलने के बाद ही बंद होना कोई नई बात नहीं लेकि इस मूले को खास नाता है इनके संस्थापकों यानी इनके फाउंडर्स को धोखा दौड़ी के आरोप लगे और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हुई कई एंप्लाई और विकता आरोप लगाए कंपनी ने महीनों से उनका पेमेंट नहीं.
किया हालांकि स्टार्टअप बंद हो चुका है लेकिन इसके फाउंडर्स का कहना है कि उन्होंने उन परिस्थितियों के अभाव में अपना ऑपरेशन बंद कर दिया और बाकी ग्राहकों के अधिकार फ्रेस ू हो को स्थापित कर दिया बिजनेस ट्रांसफर कर दिया यह कहानी इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि दूध वाला को सिर्फ चार सालों में अपनी सर्विसेस बंद करने पड़ी इस कहानी को अ देखते हैं तो आपको एक.
युवा उद्यमी और इन गलतियों से अगर आप सीख लेते हैं ताकि इन्हें अपने स्टार्टस में ना दोराया जाए तो शुरुआती दिन की बात करें तो दूध वाला की शुरुआत 2015 में ई थी इसका जो मेन उद्देश्य था ग्राहकों को ताजा सीधे खेतों से पहुंचाना मिल्क बेंगलर के बाद यह साथ हैदराबाद पुरे में भी अपना इन्होंने विस्तार किया यह स्टार्टअप दूर डेरी ग्रॉसरी फल और अन्य ताजा फ आवश्यक चीजें.
घर-घर पहुंचाता था उसके बाद ही ग्रोसरी के साथ ये फ्रेश मीट भी सप्लाई करने लगे थे कोफाउंडर ने शुरुआत में पांच लोगों की टीम बनाई और इन्हें सालों में 400 लोगों की टीम में बदल दिया तीन सालों के अंदर ही उन्होने 402 भी टीम बन गई जिससे दूधवाला भारत का सबसे बड़ा सब्सक्रिप्शन बेक ई क्रॉसर बन गया इसकी शुरुआत एक रात में 2014 में हुए जब दोनों बिजनेस प्रोडक्ट पर.
काम करते हुए दूध के साथ सीरिन खा रहे थे और उन्हें दूध खत्म हो गया तब उन्होंने देखा कि अगर दूध मंगाने का कोई ऐप होता तो कितना आसान होता वहीं से इस आईडिया की शुरुआत ई सुबह उठकर उन्होंने दूध सप्लाई के बाजार को रिसर्च किया और उसके बाद उन्होंने हफ्तों की रिसर्च और इन्वेस्टमेंट के बाद सर उन्होंने सर्वे के बाद उन्होंने इसका फी वर्जन लॉन्च किया.
ग्राहकों से मिले शानदार रिस्पांस के बाद इन्होंने इसे दूध वाला नाम से लॉन्च किया जिसका टैगलाइन था भारत का सबसे बड़ा ताजा डिलीवरी ऐप रोज दो डिलीवरी पप रोजाना सुबह 7:00 बजे तक सभी ऑर्डर डिलीवर करते थे और इसको हर दिन लगभग 300 से ज्यादा लीटर का दूध डिलीवर करते थे जिसमें 60 पर सिर्फ बेंगलोर में वही डिलीवर करते थे बैंगलोर सबसे बड़ा मार्केट बन गया था उनका फटर.
उनके जो इब्राहिम अकरी ने ग्राहक को अच्छी सर्विसेस शुद्ध दूध देना चाहते थे और एक समय पर किफायती और पारंपारिक से हटकर विकल्प की तलाश में लगे हुए थे अब इनकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी के बारे में देखते हैं तो दूधवाला ने खुद को ताजा और शुख दूध विभिन्न डेरी उत्पाद को घर तक पहुंचाने का एक म समाधान के रूप में प्रस्तुत किया अपने आपको अब फंडिंग बात करें दूध वाला ने.
दो राउंड में कुल 2.4 मिलियन डॉलर की यूएस डॉलर की फंडिंग जिताई जिसकी ताजा फंडिंग राउंड 23 फरवरी 2018 को उन्होंने उठाई थी जिसमें दो नि कोने इसने अपना फंडिंग की थी जिसमें दो वस टाउन वर्की ने 150 मिलियन और ओने 2.2 मिलियन फंडिंग इनको मिली थी इसमें क्या ट्विस्ट आ जाता है ट्विस्ट की बात करें तो कि दूध वाला के असफल होने की कहानी जब स्टार्टअप की कहानी पर रिसर्च की.
तो सामने आया कि इनकी वजह ये फेल हुआ अगर सिफ एक कारण होता तो वे शायद इसे बचा सकते थे लेकिन उन्होंने इ मल्टीपल मिस्टेक्स की पहला कारण था कि उन्होंने बहुत ज्यादा पैसा खर्च कर दिया ऑपरेशन को ऑपरेशन को सही से सने के लिए मार्केटिंग टीम की जो रिसर्च होती थी वो रिसर्च उन्होंने सही से नहीं किया उनका मुनाफा बहुत बहुत ही कम था यानी कम और नो मार्जन में वो काम कर रहे.
थे ग्राहकों को पानी की लादत बहुत ज्यादा थीय ओबवियस बात है जो कि बहुत गलत नहीं हो सकती है लेकिन उन्होंने बहुत ही तेजी से कस्टमर जोड़ने वा जोड़ रहे थे उन्होंने अत्याधिक छूट और कैशबैक ऑफर दिए इनके पास कोई स्पष्ट लाभ नहीं था उस समय उनके पास उन्हें नए स्टार्टअप जैसे कि निंजा काफ और बड़ी कंपनिया बिग बसर और ग्रोफर से बहुत ही कड़ी टक्कर मिल ली थी क बिग.
और ग्रोफर भी उस समय सेम वैसे ही काम कर रहे थे जो ये काम कर रहे थे क्योंकि ये जी गोजरी मार्केट में उतर आए थे गोजरी मार्केट में बिग बास्केट के बास बहुत ही बड़ी फंडिंग इन्वेस्टर से ताजा फंडिंग नहीं मिल रही थी इससे भी अपनी सेवाए जारी रख सके इन करों के चलते दूधवाला का भविष्य फिर से संचालन शुरू करना संभव नहीं हो पाया एक विक्रेता के अनुसार कंपनी को लगभग.
30 से 35 विक्रेताओं का लगभग छ से 7 करोड़ का आज भी उनका बया है ऐसा बताया जाता है विक्रेताओं का कहना है कि दोनों फ विक्रेता ने सदम 201 2019 में उत्पादकों की सप्लाई रोक थी कंपनी के मार्केटिंग हेड राधा कृष्ण संस्थापकों को के अलावा कई चा ग्राह भी कंपनी से परेशान जिने ना तो वेतन मिला और ना ही उस बाद की फंडिंग निकलती है ल मिलक दूध वाला के साथ कुछ गंभीर गलतिया.
हुई जिसकी वजह से यह बंद हो गया ऊपर बताए गए कानून को ध्यान में देख के यदि आप एक नेक्स युवा एंटरप्र है तो इसे सीखें ताकि आप इन्हे दोहराने से बच सके एनालिसिस की बात बात करते ये स्टार्टअप था दूध की डिलीवरी को सुधार देता था इसका नाम दूध वाला हिंदी शब्द से लिया गया था जिसका मतलब था दूध बेचने वाली कंपनी लोगों को टीच जिंदगी की तरफ रुझान समय की कमी और.
व्यस्त जीवन शैली की चलन लोग डिजिटल की तरफ आगे बढ़ने लगे दूध ना ने इसका फायदा उठाया था एयस की बढ़ती मांग व्यस्त जीवन शैली के चलते ज्यादा आराम चाहते थे दूधवाला की मोबाइल प ने इसकी मदद की दूधवाला की शुरुआत जो 2015 में हमने आपको बताई थी वैसे की थी लेकिन दूधवाला का बिजनेस पटल इन पर आधारित 10 सुविधा दूधवाला की ऐप ने ग्राहकों के लिए दूध और.
ग्रोजनी मार्केट आसान बनाया आज के किसानों से सधन लिया जाता था 24 घंटे के अंदर ग्राहकों को पहुंचाया जाता था किफायती कीमत ऐप से दूधवा मंगा सकते हैं और मंगवा सकते थे और अपनी पसंद का डिलीवरी टाइम चुड़ सकते थे तो यह थी कहानी दूधवाला और दूधवाला के जो फंडिंग थी जो मैंने आपको बताई कारण भी बताया अब इससे सबक क्या बनता है एक अगर आप भी एक युवा टपर है तो क्या.
सीख सकते हैं जिससे कि अब दूधवाले की मिस्टेक्स है तो दूधवाले की मिस्टेक्स जैसे कि उन टीम की अच्छी तरीके से रिसर्च की बस रिसर्च में पूरी तरीके से पूरी तरीके से फेल नहीं हुए लेकिन फेल होने के कई कारण है किसी बिजनेस को शुरू करने से पहले मार्केट की अच्छी जानकारी ले ले फ्लेक्सिबल बनाए बिजनेस भी बदलते हालत के अनुसार उसको ढालना जरूरी है मजबूत टीम.
बनाए टीम जितनी मजबूत होगी बिजनेस उतना ही सफल होगा ऑपरेशन गलतियों से बचे ऑपरेशन की गलती वो बिजनेस को नुकसान पहुंचाती है अब धीरे-धीरे स्लोली स्लोली आपको बढ़ना चाहिए एकदम से दो वाले ने बहुत तेजी से कस्टमर बनाने शुरू किए तो क्या हुआ फिर उन्होंने उस पर बहुत ही च इंतहा पैसा पैसा था वो सारा का सारा फंडिंग पैसा खत्म हो गया और न इन्वेस्टर नया फंडिंग उनको नहीं मिल पाए.
जिस वजह से वो अपना ऑपरेशन नहीं चला पाए दूध वाले की सफलता से कई महत्त्वपूर्ण सवक मिलते हैं अगर आई को मान तो इन उ गलतियों से हम बचे और अपना बिजनेस शुरू करें अगली वीडियो के लिए हमारा इंतजार टेगा और इसी तरह की बिजनेस केस स्टडी और कौन सी जानना चाहते हैं आप हमें कमेंट करके बताएं हम उस तरह की केस स्टडी आपके सामने लेकर के आएंगे तो नीचे जरूर कमेंट करे और अपने भाई.
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