Case Study

Azim Premji | गांव से निकली Wipro, आज 66 देशों में कर रही कारोबार |Tycoons Of India| Dr Vivek Bindra

Azim Premji | गांव से निकली Wipro, आज 66 देशों में कर रही कारोबार |Tycoons Of India| Dr Vivek Bindra

एक वचन आपको देता हूं हर संडे को मैं ऐसे टाइकून की कहानी आपको सुनाऊंगा जिससे हमारे 15 करोड़ एमएसएमई को मैं नेक्स्ट लेवल पे लेके जाऊंगा वो जो जनरल थे लेकिन जनरेशन हो गए जनरेशन पे जनरेशन तक ले गए अपनी कंपनीज को जो आम से एंपायर बनी है बिजनेस के बादशाह की बायोपिक्स लेकर के आऊंगा नमस्कार मैं डॉक्टर विवेक बिंद्रा फाउंडर एंड सीईओ bab.com हर बार बोलता हूं.

मैं क्या बोलता हूं हर बार कि बिजनेस का मतलब बड़ा बिजनेस हर संडे सुबरे 800 बजे टाइकून ऑफ इंडिया सीरीज आपको करके देखनी है ब्रिलियंट माइंड्स बिहाइंड बिलियंस ऑफ द बिलियंस ऑफ द बिलियंस डॉलर्स जो कि ब्रिलियंस के द्वारा आए गए हैं वो क्या ब्रिलियंस है वो आप सीखो ग इन वीडियोस के अंदर क्योंकि आज जहां लेजेंड्स की लेगासी से एक बड़ी-बड़ी लर्निंग्स निकल के आती है.

यानी कि सुपर सॉलिड कंटेंट फुस नहीं फैंटास्टिक आज बात करूंगा जो तेल से टेक्नोलॉजी तक पहुंचे तेल से चालू कि टेक्नोलॉजी तक पहुंचे वो व्यक्ति जो पद्मभूषण भी है पद्म विभूषण भी है वो व्यक्ति जिनका नाम है श्री अजीम प्रेम जी आल्सो नोन एज बिल गेट्स ऑफ इंडिया क्यों एक ऐसा समय था ये भारत के लगभग 4 पाछ साल तक सबसे अमीर आदमी थे आज ये क्यों सबसे.

अमीर आदमी नहीं है बिजनेस की कमी के कारण नहीं क्या किया इन्होंने ये है मेरा हुक आपको सुनते रहो 53 साल हो गए लगभग 53 54 साल अपनी कंपनी चलाते हुए वेजिटेबल ऑयल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी उसको ग्लोबल आईटी जाइंट बनाया विप्र की बात कर रहा हूं नाइंथ लार्जेस्ट प्राइवेट एंप्लॉयर है यानी कि लगभग सवा ढा लाख लोगों को नौकरी देते हैं कोकाकोला को अगर दो गुना कर दो.

या कोका-कोला और जितने इनके पास अकेले हैं 66 देशों में काम कर रहे हैं 90 पर रेवेन्यू उनका विदेश से आता है यानी कि हमारी इकॉनमी का बहुत बड़ा कंट्रीब्यूटर है डॉलर जितना इकॉनमी के अंदर आता है बैलेंस ऑफ ट्रेड उतना अच्छा होता है 90 पर रेवेन्यू ये पूरी दुनिया से लेकर के भारत में पैसा ला रहे हैं भारत से पैसा दे नहीं रहे यानी कि.

अपनी सर्विसेस को एक्सपोर्ट करते हैं इनकी कहानी में 1980 में ₹1000000 अगर कोई मैं बताता हूं अगर किसी ने इन्वेस्ट किए होते कब 1980 में 0000 अगर दिए होते आज लगभग 5500 करोड़ बन चुके होते इतनी ग्रोथ उन्होंने की है साल दो 2000 में ये इंडिया के रिचेस्ट मैन थे एक साल फोब्स की रिचेस्ट इंडियन लिस्ट में आज अगले साल से सीधा आठवें पोजीशन पर पहुंचे फिर बवे.

पोजीशन प पहुंचे आज 17वें पोजीशन पे है क्यों क्या नुकसान हुआ था ये 17वें सबसे अमीर आदमी क्यों बहुत नुकसान कर दिया था ये 17वें सबसे अमीर आदमी इतना पीछे चले गए क्यों क्या बिजनेस में कोई लॉस हो गया था नहीं अपनी डोनेशंस की वजह से पोजीशन भले ही लोग हो गई हो पर पुण्य क म्यूटर इनका हायर एंड हायर एंड हायर ऑनवर्ड एंड अपोर्ट चलता गया अजीम प्रेम जी भारत के आज आपको.

शुद्ध तरीके से बता दूं सबसे बड़े फिलांथस सबसे बड़े नी दानवीर कर्ण के साथ में इनको कंपेयर किया जाता है इंडियास मोस्ट जनरस बिजनेसमैन का इनको अवार्ड मिल चुका है पहले समझ लेते हैं ये एक्सीडेंटल लेकिन एक्सेप्शनल अंत्रप्रेनोर थे एक्सीडेंटल क्यों क्योंकि पिता के देहान पर इनको पढ़ाई छोड़ कर के अचानक आना पड़ा मोहम्मद हशमप जी जो उनके पिता बर्मा में राइस.

ट्रेडिंग के बड़े व्यापारी थे राजा कहलाए जाते थे बर्मा के य और बर्मा से छोड़ के उनको इंडिया इसलिए आना पड़ा क्योंकि ब्रिटिशर से कुछ रेगुलेशन की वजह से वो राइस की ट्रेडिंग बर्मा से नहीं कर पा रहे थे अब बात है 1945 की बड़ी रिसर्च कंटेंट दूंगा टाइकून ऑफ इंडिया सीरीज है 1945 की एक जगह थी छोटी सी महाराष्ट्र में अमलनेर वहां पे उन्होंने विप्रो को फाउंड किया.

लेकिन विप्रो का नाम था विप्रो नहीं था वो था वेस्टर्न इंडिया क्योंकि वेस्ट हिस्से में थे वेस्टर्न इंडिया पाम रिफाइंड ऑइल्स बनाते थे पाम रिफाइंड ऑयल लिमिटेड तो वी डब्ल्यू आई पी आर ओ विप्रो ये आगे चलके बना रुके नहीं रुख बदल दिया और मैं भी इस बार कहां रुकने वाला हूं नॉन स्टॉप नॉलेज एक नहीं दो नहीं तीन नहीं 10 नहीं 20 नहीं 30 नहीं 52 हते 52 टाइकून ऑफ इंडिया.

इंदिरा नई आ रही है इसके बाद लक्ष्मी मित्तल आ रहे हैं इंडिगो की सक्सेस स्ट्रेटेजी क्या रही धीरू भाई अंबानी की बात करेंगे मुकेश अंबानी की बात करेंगे नंदन लेखनी की बात करेंगे कईयों की बात करेंगे आज अजीम प्रेम जी 1966 प जा रहा हूं वापस वो इनके लिए मनुष साल था क्योंकि उस समय स्टैनफोर्ड में पढ़ने के लिए गए हुए थे अपनी पूरी जिंदगी उसको नहीं भूल.

पाएंगे क्योंकि क्या हुआ उस बुरे वक्त में जिंदगी की सबसे बड़ी लर्निंग दी बात उस समय की थी स्टैनफोर्ड से इंजीनियरिंग 21 साल की उम्र में कर रहे थे खबर मिली पिता का देहांत हो गया लास्ट मिस्टर आखिरी में बस इंजीनियरिंग खत्म होने से पहले बीच में छोड़ के वापस आ गए पिता की मौत का मातम भी मनाना था और लॉस में डूबी हुई कंपनी की बागडोर भी संभालने थी बेटे का फर्ज और.

बिजनेस का कर्ज दोनों उनके सामने खड़े थे आसान नहीं होता है ये हां इंटरप्रिटेशन अच्छी होनी चाहिए आपकी इस इस माहौल ने उनको बहुत मजबूत बनाया और जिम्मेदारी बनाया उनको और जिम्मेदार बनाया डिप्रेशन में नहीं गए हां रिसेशन डिप्रेशन नहीं कंटीन्यूअस प्रोग्रेशन की तरफ बढ़ते चले गए ना बिजनेस ना कोई एक्सपीरियंस और ना मैनेजमेंट का कोई भी एक्सपीरिंस पर जब मन.

में ठान लिया अजीम प्रेम जी अब रुकने वाले नहीं थे ये अजीम प्रेम जी हैं एक वक्त आया उनके क्रेडेंशियल पर सवाल उठे जब शेयर होल्डर्स की मीटिंग होती बोले 21 22 साल का बच्चा है ये क्या 22 साल का बच्चा है 21 साल का इसे तो बिजनेस का बी नहीं आता रिजाइन कर दो भाई तुम नहीं चला पाओगे एज छोटी थी इनकी ये मैं मानता हूं एम छोटा था ये मैं नहीं मानता हूं कितनी भी चोटें मार.

लो चट्टान को आसानी से फर्क पड़ता नहीं है ज चट्टान थे अपने फादर को किया हुआ वादा मन में लेकर के इरादा अपने इस क्रिटिसिज्म को पॉजिटिवली लिया और उनके लिए बिजनेस एक मिशन बनता चला गया और क्या जवाब दिया कि मेरे पास लिटिल और नो एक्सपीरियंस हो सकता है लेकिन आई एम नॉट शॉर्ट ऑफ करेज एंड कॉन्फिडेंस करेज और कॉन्फिडेंस पूरा है मैं प्रूफ करके दिखाऊंगा कंपनी को अच्छे.

से रन कर सकता हूं प्रॉफिटेबल करूंगा इंश्योर करूंगा शेयर होल्डर्स को उनके इन्वेस्टमेंट की रिटर्न्स अच्छी मिले और अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपने बिजनेस को संभालने में लगे ये अलग प्रकार से सीखे इन्होंने अलग प्रकार से सीखे ये क्या किया पूरा दिन प्लांट में बैठ जाते थे मजदूरों के साथ बैठते थे उनकी वर्किंग को समझते थे पूरे वर्क फ्लो को समझते थे वर्कफ्लो के.

मैनेजमेंट को समझते थे उसकी कॉस्ट को समझते थे उनकी रिस्पांसिबिलिटी मजदूरों की समझते थे मैनेजर्स के साथ जाके बैठते थे उनकी प्रोडक्टिविटी कैसे बढ़ सकती है उसके बारे में सोचते थे उनसे आईडिया मांगते थे अपने आईडिया देते थे प्लांट में सबसे पहले आ जाते थे और देर में सबसे बाद सबसे आखिरी में प्लांट को छोड़ के जाते थे कई महीनों तक उन्होंने सुबह शाम सब कुछ भुला कर के.

फैक्ट्री के काम को अंदर तक घुस के लेयर के नीचे की लेयर के नीचे सीखा प्रोडक्शन इंप्रूव करने के लिए अब उनके लर्निंग कर्व बिल्ड होना शुरू हो गया साल डेढ़ साल 2 साल 3 साल में इतना लर्निंग कर्व लिया कि कई स्टेप्स लिए इंप्रूवमेंट साइकिल को आपको भी स्टेप बाय स्टेप चलना है आपके भी पहली बार में सफलता नहीं मिलती है पहला प्रोडक्ट फाइनल प्रोडक्ट नहीं होता है.

आपको भी कुछ मिस नहीं करना है जब प्लेट में खाना छोड़ देते हो तो मम्मी से डांट पड़ती है वैसे ही वेल रिसर्च नॉट सो कॉमन कंटेंट लेकर के आया हूं आपके लिए कुछ भी छोड़ोगे नुकसान आपका है टाइकून ऑफ इंडिया की प्लेलिस्ट में जाइएगा एक गीता इन एक्शन की प्लेलिस्ट एक टाइकूं ऑफ इंडिया की प्लेलिस्ट ये दोनों बहुत वैल्युएबल है मैं दूसरे लेसन पे जा रहा हूं स्कोप.

स्पेशलिस्ट स्कोप स्पेशलिस्ट का मतलब क्या है सारे रिसोर्सेस वही उसी से कुछ बना दूं एक्स्ट्रा प्रोडक्ट इसको बोलते हैं इकॉनमी ऑफ स्कोप बिजनेस में डायवर्सिफिकेशन किया इन्होंने पहले जो चीजें बनाया करते थे उससे ज्यादा चीजें मैं उन्हीं रिसोर्सेस से कैसे बनवा लूं कैसे एक्सपेंशन कर लूं कैसे इकॉनमी ऑफ स्कोप कर लूं पहले खाली सनफ्लावर वेजिटेबल ऑयल बनता था.

787 ब्रांड का नाम था साबुन उसका प्रोडक्शन करता था फैक्ट्री में देखा जिस प्रोसेस से इनको मैन्युफैक्चर किया जाता है उसके साथ में उसको थोड़ा सा अपग्रेड करके क्या मैं नई चीजें तैयार कर सकता हूं क्या मैं सिमिलर नए प्रोडक्ट तैयार कर सकता हूं तो उन्होंने एक्सपर्ट्स को बुलाया और नए प्रोडक्ट को प्लान किया बोले ये मेरे अवेलेबल रिसोर्सेस है ये मेरी.

फैक्ट्री ये मेरा वेयरहाउस है ये मेरी मैन पावर है ये मेरा सप्लाई चेन है यहां से मेरा रॉ मटेरियल आता है यहां पे मैं बेचता हूं इसके बाद अवेलेबल रिसोर्सेस में लिमिटेड छोटे-छोटे चेंज किए नए प्रोडक्ट बढ़ा दिए शैंपू बनाना शुरू कर दिया शैंपू का रिस्पांस आया टेस्ट हो गया पायलट एक्सपेरिमेंटेशन वैलिडेशन हो गया अब उसका एक्सपेंशन हुआ फिर बेबी ऑयल हेयर केयर सोप.

फिर बेकरी में बनने वाला जो एक फैट होता है जिससे बेकरी का सामान बनाया जाता है फिर उसमें भी चले गए वहां प्रोडक्शन वही फैक्ट्री से मल्टीपल प्रोडक्ट उन रिसोर्सेस से उन्हीं मैन पावर से थोड़ा-थोड़ा थोड़ा थोड़ा खर्चा बड़ा लेकिन बहुत बहुत बहुत बड़ा प्रोड पोर्टफोलियो बनाया प्रोडक्ट्स को अब जाकर के बाजार में जब ऑफर करने का अजीम जी को पता था बिजनेस.

का साम्राज्य बनाना है तो प्रोडक्ट से नहीं प्रोडक्ट डाइवर्सिटी से बनेगा और प्रोडक्ट डायवर्सिफिकेशन से क्या होता है मेरा रिस्क घट जाता है क्यों क्योंकि मैं खाली दो-तीन प्रोडक्ट पर डिपेंडेंट नहीं हूं और दूसरा फायदा क्या है नया सेक्टर पे एक्सपोजर मिलता है तीसरा फायदा क्या है एफिशिएंसी एडवांटेज उसी कॉस्ट से मैं ज्यादा सामान निकाल पा रहा हूं उसी.

मैनपावर उसी मशीन उसी प्लांट उसी वेयरहाउस उसी सप्लाई चेन उसी वेंडर उसी डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क से मैं ज्यादा सामान अब भाई एक राशन की दुकान पे मेरी चार आइटम जा रही है अब चार की जगह 12 जाएंगे राशन की दुकान पे पहुंचने पे खर्चा उना ही था लेकिन चार की जगह 12 आइटम जा पा रही है मल्टीपल रेवेन्यू स्ट्रीम ऐड हो गई इधर से भी आ रहा है इधर से भी आ रहा है.

इधर से भी आ रहा है रेवेन्यू स्ट्रीम ऐड हो गई अब जब इतनी सारी रेवेन्यू स्ट्रीम ऐड हुई तो देखते थे कि कौन सी मेरे को ज्यादा कंट्रीब्यूट करती है उसपे ज्यादा फोकस करूं अब मैन्युफैक्चरिंग में एक्सीलेंस आ गई देखो ऐसे ही आती है एक्सीलेंस है पायलट एक्सपेरिमेंटेशन वैलिडेशन उसके बाद एक्सपेंशन पहले बिजनेस खड़ा उसके बाद बिजनेस बढ़ा भाई मेरी स्पीड.

तेज है मेरे को 1.25 1.5x पे कोई नहीं देख पाता है मेरे को 1x पे ही देखना पड़ता है क्योंकि आपको मेरे साथ रहना पड़ेगा नोट्स बनाने पड़ेंगे अपनी स्ट्रेंथ पर प्ले किया फैक्ट्री में सारे हाइड्रोलिक सिलेंडर जो यूज़ होते थे ना उनको बार-बार रिपेयर करना पड़ता था बोला मैं क्यों ना ऐसा कुछ कर दूं कि ये हाइड्रोलिक सिलेंडर मैं खुद ही बनाना शुरू कर दूं और वो भी किया उससे.

इनकी कॉस्ट और कंट्रोल में आई अब हाउसहोल्ड के पर्सनल केयर प्रोडक्ट साबुन शैंपू डिटर्जेंट फेस वॉश हैंड वॉश से ग्रूमिंग में गए परफ्यूम में गए यार्डले इन्हीं का ब्रांड है ओज इन्होंने बनाए फर्नीचर बनाना शुरू करे सीटिंग सॉल्यूशन बनाया विप्र की लाइटिंग बनाई उसके लिए एक अलग प्लांट ा फिर फूड बिजनेस में मसाला पाउडर स्पाइसेज पिकल अचार चटनी.

ये सब बनाना शुरू कर दिया या अब जनरल इलेक्ट्रिक आई कंपनी उस समय विदेश से उसके साथ मिलकर के बल्ब बनाने शुरू कर दिए हेल्थ सेक्टर में कुछ कंपनीज आई पार्टनरशिप किया डायग्नोस्टिक प्रोडक्ट मशीनरी बनानी शुरू कर दी अब ये थे एक्सपेंशनिस्ट ये मेरा तीसरा लेसन है एक्सपेंशनिस्ट का मतलब क्या है बिजनेस ए प्रॉफिट के साथ फ्यूचर के प्रोजेक्शन बड़े.

इंपॉर्टेंट होते हैं भविष्य में कैसा होगा यहां खड़े-खड़े भविष्य कैसे देख सकूं मैं यहां खड़े-खड़े मैं एडॉप्शन कर्व को कैसे पहचानू सनराइज क्या है सनसेट क्या है सूरज कहां उग रहा है सूरज कहां डूब रहा है उगते सूरज के साथ मैं एक्सपेंड करूंगा कितना एक्सपेंड करूंगा टाइमिंग कैसी है बड़ी क्रुशल है अजीम प्रेम जी मेरे हिसाब से वो चील थे वो ईगल थे वो बिजनेस ईगल थे जो कि.

मिलियंस ऑफ डॉलर्स को स्पॉट कर ले माइल्स अवे मिलियंस बट माइल्स अवे यानी कि ईगल जो होती है माइल्स ऊपर कई कई कहीं कहीं कहीं बहुत मीटर ऊपर होती है लेकिन वहां से समुद्र में तैरती हु ऊपर ऊपर की मछली को देख लेती है पक पकड़ लेती है ये था इनका स्टाइल टैपिंग द अनटैप्ड मार्केट जिस मार्केट में कोई नहीं घुस पाया अजीम प्रेम जी मैं इतना प्रणाम करता हूं आपको क्यों.

क्योंकि आप इंटरनल फोक इंटरनल फंक्शंस में घुसने वाले कुछ लोगों की एक्सपर्टीज होती है और कुछ को मार्केट चेंजेज को समझने की एक्सपर्टीज होती है आप में दोनों थी 1970 में आप समझ गए कि कंप्यूटर के हार्डवेयर और आईटी मार्केट जो आप अमेरिका में आप देख कर के आए थे जिस समय आप पढ़ने गए थे इंजीनियरिंग के लिए उसी समय आपने देख लिया कि भाई यूएस में कंप्यूटर आम है इंडिया.

में अभी आम छोड़ो इंडिया में तो उसका कोई नाम नहीं है हां और वहां भा एकदम आम हो चुका है ये बड़ी अपॉर्चुनिटी इनको समझ में आई तब इन्होंने इंडियन कंपनीज के लिए ग्लोबल ब्रांड के साथ उस समय कंपीट आसानी से नहीं कर सकते थे क ग्लोबल ब्रांड ग्लोबल ब्रांड थे 78 में अपॉर्चुनिटी मिली आईबीएम के पास में इंडियन कंप्यूटर मार्केट का 80 पर से ज्यादा शेयर था लेकिन.

वह इंडिया में पुरानी टेक्नोलॉजी बेचा करते थे आके डम फालतू माल इंडिया में देते थे सरकार ने मना कर दिया बोला भगाओ उसको हमारे को चाहिए ही नहीं इस समय अब हमारे को इस कंपनी को आईबीएम को भगा दो यह विदेशी कंपनी है इस रिस्ट्रिक्शन लगा दी उसके ऊपर आईबीएम ने इंडियन मार्केट को जैसे ही छोड़ा एक वैक्यूम हो गया 80 पर मार्केट खाली हो गई बस अब इन्होंने कहा.

मैंने बोला ना चील दूर से देख लेते हैं मिलियंस देख लेते हैं माइल्स अवे अजीम प्रेम जी ने बिना देरी करे आईबीएम के निकलते ही कंप्यूटर खुद मैन्युफैक्चर करना शुरू कर दिया दुनिया भर से बढ़िया से बढ़िया मैन पावर लेकर के आए उस मैन पावर को डेवलप किया उनको एक विजन दिया उनको एक पर्पस क्रिएट करके दिया इंट्रोड्यूस किया पहला फर्स्ट इंडियन कंप्यूटर वो जो आईटी.

सेक्टर में जो इंडिया का था वो विपो का था विपो कंप्यूटर मैन्युफैक्चरिंग में खूब सक्सेस मिली खूब सक्सेस मिली बढ़ते चले गए बढ़ते चले गए उस समय तो उन्होंने सबसे आगे थे ये और कंपनी करोड़ों करोड़ों करोड़ों में रेवेन्यू करने लगी एक्सपर्ट कहते थे कि जो विपो है हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग प फोकस रखो हार्डवेयर बनाते रहो तुम्हारी एक्सपर्टीज.

है प्ले योर फेवरेट प्ले योर फेवरेट प्ले वेयर यू हैव बीन गेटिंग सक्सेस जहां सफलता मिल रही है उसको रिपीट करो उसको रिपीट करो ग्रोथ करो एक्सपेंड करो पर तब अजीम प्रेम जी वही चील वही ईगल दूर से समझ गए मैन्युफैक्चरिंग में चेंज हो रहा है क्या लोग चाइना की तरफ मूव करेंगे क्योंकि चाइना ने बहुत तेज तैयारी कर ली चलो कभी जानेमन हमारे साथ लीडरशिप फनल के बाद में.

आपको चाइना लेके चलते हैं लीडरशिप फनल के पार्टिसिपेंट्स आप लीडरशिप फनल में आना चाहते हो ना आपको चाइना लेके चलते हैं 25 30 साल आज भी आ गए हमसे उस समय समझ गए थे ये कि ये मैन्युफैक्चरिंग वहां चला जाएगा वहां पे इन्होंने जो सारे एक्सपर्ट बोलते थे कंप्यूटर बनाओ हार्डवेयर बनाओ कंप्यूटर बनाओ हार्डवेयर बनाओ इन्होंने बोल्ड स्टेप लिया हार्डवेयर से बाहर निकल के सॉफ्टवेयर.

की तरफ चले गए और बोले कि आईटी सर्विस और सॉफ्टवेयर का हब इंडिया हो जाएगा मैन्युफैक्चरिंग चाइना में चला जाएगा ये पहले समझे इसको बोलते हैं एडॉप्शन कर्व हां इसको क्या बोलते हैं मैं अर्ली मूवर एडवांटेज उठा लूं वही पिवो किया वर्ल्ड मार्केट मैन्युफैक्चरिंग के लिए चाइना को देखे सॉफ्टवेयर के लिए सर्विसेस के लिए इंडिया को देखे विपो पहली ऐसी कंपनी थी.

जिसने ग्लोबल क्लाइंट को सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट और सर्विस प्रोवाइड करना शुरू कर दिया अब सॉफ्टवेयर शुरू कर दिया अभी तक कंप्यूटर बनाते थे और इनके इस कंट्रीब्यूशन के लिए इनको जार ऑफ इंडियन आईटी इंडस्ट्री कहा जाए जार कौन होते हैं ये लगभग राजा महाराजा जैसे लोग होते हैं रशिया के अंदर उनको जार बोला जाता है वैसे सी जार होता है लेकिन सी साइलेंट होता है.

ये इंडियन आईटी इंडस्ट्री में और ये कैरेक्टर के भी ऐसे थे कॉम्पटन तो थी कैरेक्टर बहुत जबरदस्त था अपने उदाहरण से चीजें सिखाते थे मैं आपको चौथा लेसन दे देता हूं उनका एग्जांपल से समझाते थे इनकी इंटीग्रिटी इतनी जबरदस्ती ी कि इनके इनकी जो इंटीग्रिटी ईमानदारी वो खून में दौड़ती 2006 में इन्होंने उस समय फड की एस्कॉर्ट गाड़ी थी फर्ड की एस्कर्ट गाड़ी वो खराब.

हो गई थी तो इनको तब उस समय जो है अपनी पुरानी गाड़ी याद आई तो वो गाड़ी इनकी फेवरेट हुआ करती थी बहुत चलाया करते थे पर वो कार जो है ना कंपनी के नाम पे थी रजिस्टर्ड तब उनको सोचे यार ये कंपनी के नाम प रजिस्टर्ड है चेयरमैन चाहे भले ही खुद है लेकिन मुझको अगर चाहिए तो मुझे कंपनी से खरीदनी पड़ेगी वैसे भी कंपनी दे सकती है अपने चेयरमैन को यह नियम के खिलाफ.

नहीं है कानून के खिलाफ नहीं है कंपनी अपने डायरेक्टर्स को अपने चेयरमैन को अपने लीडर्स को गाड़ियां दे सकती है सब पर्क एज एन इंसेंटिव पर ये बोले मैं नहीं लूंगा क्योंकि मैं लूंगा मैं लीडर हूं तो मेरे फॉलोअर भी मेरे को ही देखने लग जाएंगे तो उन्होंने सीधा उसको यूज नहीं करना शुरू किया पहले कंपनी को बोला कि भाई मैं खरीदना चाहता हूं अब कंपनी में उस कार की.

वैल्यू पता लगाई बोले कंपनी ने बोला भाई कार तो इतनी पुरानी हो गई इसकी वैल्यू लगभग जीरो के बराबर हो गई इतनी पुरानी गाड़ी हो गई अब इतनी पुरानी खटारा सी गाड़ी लग जीरो की वैल्यू इन्होंने उन्होंने तो अकाउंटिंग बुक से उसके उस गाड़ी को हटा ही चुके थे उसकी अब वैल्यू कैसे पता लगाए समझ में नहीं आ रहा वैल्यू कैसे पता लगाए तो ऐसे में उन्होंने तरीका.

सोचा उन्होंने कहा चलो अखबार के अंदर ऐड दे लेता हूं बिडिंग करा लेता हूं जितना जितना लोग पैसा देने आएंगे वो बिडिंग से मेरे को आईडिया लग जाएगा कितने रुपए की गाड़ी है तो लोग आए बोले हम ये गाड़ी ले लेते हैं हम इसका इतना रुपया दे देते इतना रुपया दे देते हैं हम एक्स दे देते हैं हम 2 एक्स दे देते हैं तो तब जब इनको जो प्राइस समझ में आया कि बाजार में अगर ये.

इतने रुपए की बिकरी उतने पैसे मैं दे देता हूं तब उन्होंने जाकर वो गाड़ी ली और अजम प्रेम जी जब ऑफिस जाते तो इनका कैरेक्टर कुछ अलग ही टाइप का था एक स्पेसिफिक स्पॉट पर गाड़ियां पार्क करते हैं सब लोग क होता है भाई यहां मेरी गाड़ी पार्क होती है इनकी भी गाड़ी वही पार्क हुआ करती थी अब हुआ क्या एक दिन एक एंप्लॉई ने जूनियर ने उनकी पार्किंग की जगह पर आकर के अपना दन.

नाते अपना स्टेयरिंग घुमाते लाकर के वहां पर न्यूट्रल किया गेयर ब्रेक लगाई इंजन बंद किया और अपना निकल लिया अब अब जब अलीम प्रेम जी आए देखे भाई मैं य गाड़ी लगाता हूं यहां किसी जूनियर एंप्लॉई की लगी हुई है गाड़ी वहीं खड़ी हो रखी है तो मैनेजमेंट ने उस एंप्लॉई को बुला लिया बोले तुम में अकल नहीं है क्या हां चेयरमैन यहां गाड़ी लगाते तुम अपनी गाड़ी.

लगा रहे हो यहां पे आकर के हटाओ गाड़ी यहां से अपनी वो घबरा गया उ फट फट फट फट फट फट फट गाड़ी रिवर्स करी हटाई जब अजीम प्रेम जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने क्या किया उन्होंने उस एंप्लॉई को बुलाया उन्होंने कहा मैं आपको पता है क्यों बधाई देना चाहता हूं बोले सर सॉरी सर मुझसे गलती नहीं नहीं नहीं नहीं मैं आपको बधाई देना चाहता हूं सर सॉरी मुझसे.

गलती हो गई सर सॉरी आपकी जगह लगा दी गाड़ी नहीं लगानी मैं सोचा ही नहीं सर मैं अपना मैं बस सीधा-सीधा ऑफिस भाग गया बोले नहीं आपकी खास बात यह है कि आप टाइम से पहले आ गए तभी आपको वो जगह मिल गई आप मॉर्निंग में जल्दी आए तभी आपको वो जगह मिली अगर आप अपने टाइम पे आते जगह नहीं मिलती क्योंकि मेरी गाड़ी वहां लग चुकी होती मैं समय से आ जाता हूं आप समय से पहले आए हां और.

उन्होंने बोला सारे एंप्लॉई हमारे लिए इक्वल है अब मैनेजमेंट को बता सब एंप्लॉयज इक्वल है ये हमारी वैल्यूज के अगेंस्ट है और उस दिन के बाद से कोई भी आदमी आता है कहीं भी अपनी गाड़ी को लगा देता है उन्होंने कहा वो स्पॉट पे कार पार्क करना चाहते हैं तो जिसको जिस स्पॉट पे गाड़ी पार्क करनी है उसको पहले ना पड़ेगा इसके बाद विप्रो में कभी पार्किंग स्पॉट का.

कल्चर ही नहीं रहा कुछ रिजर्वेशन का कल्चर नहीं सब मेरिटोरियस विप्रो 2004 के अंदर पहली इंडियन कंपनी बनी जिसको एसवीजी व रेटिंग मिली ये एक हाईएस्ट पैरामीटर माना जाता है ईमानदारी का कॉर्पोरेट गवर्नेंस का ईमानदारी कॉर्पोरेट गवर्नेंस का कि अपने सिस्टम पॉलिसी प्रोसेस के हिसाब से काम कर रहे हो.

स्ट्रक्चर के हिसाब से काम कर रहे हो जो नियम कानून बनाए गए हैं देशी विदेशी जितने कानून बनाए गए हैं कॉर्पोरेट गवर्नेंस के ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसी होती है इकरा आईसीआर है वो देती है आकर के आपको 2010 में इनको सस्टेनेबिलिटी यानी कि कार्बन फ्लूट प्रिंट ना डालने के कारण जो फंक्शन में करने के लिए एशिया में नंबर वन कंपनी का अवार्ड मिला और ये पहली भारतीय कंपनी.

है जिसको सेकंड रैंक का एंप्लॉई डाइवर्सिटी का अवार्ड मिला एंप्लॉई डाइवर्सिटी तब होती है जब आप किसी भी लिंक के हो आप किसी भी लिंक के हो आप कोई भी आपका जेंडर हो किसी भी जेंडर से हो हम आपको मेरिट पे लेते हैं आपके जेंडर के आधार पर नहीं लेते विप्रो जो है ना अपने सॉफ्टवेयर सलूशन से दुनिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट्स को भी आज मैनेज करती है जैसे.

आप जानते हो टोरंटो कनाडा के अंदर उसका पियर्सन इंटरनेशनल एयरपोर्ट विप्रो मैनेज करती है ये दूर तक की जो लीडरशिप होती है ये दूर तक का जो विजन होता है कि मैं दुनिया को पूरा ग्लोबल विजन जो होता है यह दिमाग खोलना बहुत जरूरी है इसके लिए बैठ कर के आपको कभी-कभी स्टेप बैक करके स्ट्रेटेजी शीट भरनी बहुत जरूरी है ये स्ट्रेटेजी शीट जो होती है ना वो आपको कोई.

देने वाला नहीं है कि मैं कौन जाके आपको छोटे व्यापारी को कोई देता नहीं है कुछ इतने बड़े-बड़े एक्सपेंसिव प्रोफेसर्स आक के आप वट एन क्या आईएम अहमदाबाद क्या करके देते नहीं उनका इंटरेस्ट नहीं उनको पैसा नहीं मिलता छोटे व्यापारी से इसके लिए मैंने सलूशन बनाया था कि मैं स्ट्रेटेजी शीट्स 52 हफ्ते तक आपको 52 स्ट्रेटेजी शीट भरवा हं ताकि आप लेजेंड इंडियन बिजनेसेस.

बिल्ड कर सकें कि आप फ्यूचर लीडर्स वो विजनरी लीडरशिप स्किल तैयार कर सकें मैं लीडरशिप फनल की बात कर रहा हूं ये किसकी बात कर रहा हूं जहां हाई परफॉर्मेंस कल्चर सिखाता हूं कल्चर जादू कर सकता है कल्चर बदबू कर सकता है कल्चर कैसे बनाए ग्लोबल एक्सपेंशन मेथोड क्या है कॉम्पिटेटिव एज इनोवेशन से कैसे लाते हैं आप मेरी बात क्यों सुनते हो आप लोगों की बात सुनो ना.

क्या क्या कहते हैं वो ही इज अनस्टॉपेबल वन टू वन वो हर प्रश्न का जवाब दे देते हैं ये नहीं कि हम बाद में बताएंगे छोटे एंटरप्रेन्योरशिप को जो वो बूस्ट करने में लगे हुए हैं जो मिशन उनका है यह सबसे अच्छा लगा ये बहुत ही प्रैक्टिकल और बहुत ही रियल टाइम अप्रोच को लेकर चलते हैं और बाकी कॉलेजेस अभी भी बुक्स और थ्योरी में ज्यादा बिलीव करते हैं आई विल रिकमेंड दिस.

प्रोग्राम टू एवरीवन हु एक्चुअली वांट्स बिजनेस नीड्स बिजनेस स्मेल्स बिजनेस थिंक्स बिजनेस तो आई थिंक इट्स अ प्रोग्राम फॉर ऑल ऑफ देम जो नए स्टार्टअप है उनके लिए तो समझो यह बाप का आशीर्वाद जैसे हैं आपको जरूर जरूर जरूर एक बार खुद आना चाहिए और हो सके तो अपने पार्टनर्स या अपने एल्डर्स अगर फैमिली बिजनेस में साथ में है तो उनको भी लाना बहुत जरूरी है.

अमेजिंग पर्सन लवली पर्सन एंड सच अ स्वीट हार्ट चलो पांचवे लेसन की तरफ चलते हैं अपने एंप्लॉयज को बड़ी फ्रीडम देते हैं दो पैराडाइम होते हैं एक होता है कंट्रोल पैराडाइम एक होता है रिलीज पैराडाइम कंट्रोल पैराडाइम वो होता है जब आप कंट्रोल करते हैं अपने एंप्लॉयज को रिलीज पैराडाइम वो होता है जब आप उनके पोटेंशियल को रिलीज करते हैं एज यू गेट बिगर यू हैव.

टू लर्न टू डेलीगेट छोड़ना पड़ेगा ये लेसन 15 करोड़ एमएसएमई के लिए ये सक्सेस का सिलेबस है टाइकूं ऑफ इंडिया आप लेजेंड से सीखते हो यहां पे 19 1980 की बात थी स्लो प्रोडक्ट डिलीवरी किया करते थे उस समय ये पैसा तो एडवांस में मिल जाता था तो बाजार से इनको क्योंकि इनकी मोनोपोली थी एक तरह से बाजार में हीरो थे ये उस समय सुपरस्टार्स थे तो डिस्ट्रीब्यूटर से पैसा.

मिल जाता था लेकिन डिलीवरी करते-करते दो महीना तीन महीना साढ़े महीना भी लग जाया करता था तो डिस्ट्रीब्यूटर जो बाजार में इनके पार्टनर्स थे जो बाजार में इनका माल आगे लेकर जाते थे उन्होंने कंपनी के अगेंस्ट थोड़ा शोर मच बचाना शुरू कर दिया कंपनी के अगेंस्ट बोलना शुरू कर दिया मार्केट में कंपनी का नाम भी खराब करना शुरू कर दिया और एक डिस्ट्रीब्यूटर जो.

पुराना दोस्त हुआ करता था अजीम प्रेम जी का अच्छे से उनको जानता था वो प्रोटेस्ट में काफी आगे बढ़ कर के मैं जिंदाबाद जिंदाबाद तो कंपनी के एक एंप्लॉई ने उसके अगेंस्ट जेडटीपी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी एक डिसिप्लिन री एक्शन लेकर के उसको बाहर कर दिया मतलब ब्लैकलिस्ट कर दिया उसको मतलब आप तेरे साथ धंधा नहीं करेंगे गर आउट तो एक बड़े डिस्ट्रीब्यूटर के जाने से कंपनी.

को नेचुरली नुकसान भी होगा क्योंकि डिस्ट्रीब्यूटर माल बेचा करता था तो प्रे जी जो थे अजीम प्रेम जी वो इन डिसीजन के खिलाफ थे उनको डिसीजन ये पसंद नहीं आ एक मीटिंग में उन्होंने एंप्लॉई से पूछ भी लिया कि तुमने क्यों किया ऐसा एंप्लॉई ने जब अजीम प्रेम जी को सारी सिचुएशन बताई सब समझने के बाद अजीम जी ने कहा कि यह कंपनी की शॉर्टकमिंग थी ये कंपनी की कमी थी.

जिसकी वजह से डिस्ट्रीब्यूटर डिसअपीयरिंग करने तुम उसके रिएक्शन को ठीक करने में लगे हो और ये कंपनी की गलती इनकी एक अच्छी बात है ये अपनी गलती तुरंत मान लेते हैं उन्होंने अपने एंप्लॉई को बताया कि मैं आपके डिसीजन से अग्री नहीं करता लेकिन मैं आपके डिसीजन को उसके खिलाफ भी नहीं जाऊंगा क्योंकि आपने डिसीजन ले लिया तो मैं आपका साथ भी नहीं भाऊ लेकिन चाहता.

हूं अगली बार आप सीख लो आगे चलके एंप्लॉई ने रिलाइज किया कि अजीम जी बिल्कुल ठीक कह रहे थे बड़ा वही बनता है जो छोटों को साथ लेकर के चलता है एंप्लॉई ने जाकर के रीसेलर यानी कि उस डिस्ट्रीब्यूटर को वापस ऑन बोर्ड किया अपनी गलती मानी माफी मांगी क्यों क्योंकि लीडरशिप से आ रहा है ये अजम जी एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपने एंप्लॉयज के ऊपर बेट करने को अपने एंप्लॉयज के ऊपर जुआ.

खेलने को यानी कि अपने एंप्लॉई के ऊपर इन्वेस्ट करने को यानी कि एंप्लॉई के साथ में लग जाने को तैयार रहते थे और उनकी गलती अपनी गलती दोनों की गलती को स्वीकार करने को तैयार रहते थे मैं छठे अध्याय की तरफ चलता हूं हू मंगस बिजनेस लेकिन हंबल कैरेक्टर बहुत विनम्र व्यक्ति थे विनम्रता कैसी अंत प्रनर को थोड़ी सी सक्सेस मिलती है सर पे चढ़ जाती है एक्स्ट्रा वेगें.

लाइफ जीते हैं अरे आप तो उसके बाद ये कितना खर्चा करना शुरू करते हैं अब मेरे जिंदगी में ये सपना था वो गाड़ी थी वो बंगला था वो मकान था वो कपड़े थे ये वो अजम प्रेम जी सिंपल रूटीन लाइफ जीना पसंद करते हैं हां कई साल तक वही फोर्ड एस्कर्ट गाड़ी चलाते रहे जबकि उनकी एंप्लॉयज जो थे वो जाना हो तो.

अगर ज्यादा वेस्ट करोगे तो पेड़ कटेंगे अपनी गलती को हाथ जोड़ के एक्सेप्ट करते थे एक गलती उनसे हुई और वो वास्तव में बड़ी गलती जो उन्होंने जिंदगी भर आज तक मानते हैं वो क्या है सुनना चाहते हैं इंफोसिस जब फाउंड होनी थी यानी कि जब शुरू होनी थी उससे पहले उस स्टार्टअप की शुरुआत से पहले नारायण मूर्ति विप्रो में अप्लाई किए थे नौकरी के लिए यह वही नारायण मूर्ति.

लेजेंड विप्रो में नौकरी के लिए गए अजीम प्रेम जी स्वयम उनका इंटरव्यू लिए थे और विपो में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के हेड की डेजिग्नेशन के लिए उनका इंटरव्यू लिया अजीम प्रेम जी को लगा नहीं लड़का हल्का है इसमें दम नहीं है नारायण इस पोजीशन के लिए फिट नहीं है नारायण मूर्ति को उन्होंने रिजेक्ट कर दिया और आज भी वो अपनी इसको वन ऑफ द बिगेस्ट मिस्टेक मानते हैं क्योंकि.

वही नारायण मूर्ति ने इनके खिलाफ कंपटीशन में इतना बड़ा जाइंट ऑर्गेनाइजेशन खड़ा कर दिया लेकिन इन सारी बातों से मैं बहुत इंपॉर्टेंट बात प आपको लेकर जाता हूं जो मेरा सातवा अध्याय फिलांथस यानी कि ये मतलब इनको जिंदगी में कुछ चाहिए ही नहीं बांटने के लिए पैदा हु हैं इनके अंदर जो बिजनेस किल है वो उनके फादर से आए लेकिन जो दान देने की क्षमता इच्छा.

वो जो है वो उनकी मां से आई इनकी मां यानी कि गुलबानो प्रेम जी वो डॉक्टर थी वो समय लगाया करती थी उन बच्चों के साथ में जिनकी शरीर की हड्डियां थोड़ी खराब हुआ करती थी क्रिपल्ड हड्डियां होती थी या चल नहीं सकते या दिक्कत है उनके लिए ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल बना कर के उनको फ्री में गरीब बच्चों का इलाज करते थे तो मदर के साथ अपनी मां के साथ जाके उन बच्चों के साथ.

समय बिताए तो वो संस्कार इनके अंदर चले आए और वहां से दान देने की इच्छा जागृत हुई पहले इंडियन थे जिन्होंने साइन किया बिल गेट्स मिशन को और बिल गेट्स का क्या मिशन था द गिविंग प्लेज द गिविंग प्लेज पहले भारतीय थे इनकरेज किया सबसे अमीर लोगों को कि ज्यादा से ज्यादा अपने पैसे को दान में दो कितना खा लोगे भैया हां आलू का पराठा भी एक दो तीन चार पाच उससे ज्यादा नहीं खा.

पाओगे बाकी क्या करोगे रख कर के तो अजम प्रेम जी उस भावना के साथ इन्होंने एक फाउंडेशन तैयार करी अजीम प्रेम जी फाउंडेशन और आज तक लगभग ढा लाख करोड़ रुपया पौ लाख करोड़ रुपए लगभग ये दान दे चुके हैं उनका मोटो क्या है मैं लोगों को पढ़ाना चाहता हूं एक बहुत इंटेलिजेंट लोगों की फाउंडेशन तैयार करी अजम प्रेम जी फाउंडेशन जहां बहुत इंटेलिजेंट टीम बैठी.

है जो उस पैसे का सही इस्तेमाल ढ लाख करोड़ रुए का सही इस्तेमाल कर रही है आज 3600 स्कूल उन्होंने 15 राज्यों के अंदर इन्होंने अडॉप्ट कर लिए हैं आज ये 1150 एनजीओस के साथ में मिलकर के लाइवलीहुड पे एनवायरमेंट पे एजुकेशन पे बहुत काम कर रहा है और एजुकेशन थोड़ा इनके दिल के ज्यादा नजदीक है क्योंकि खुद की एजुकेशन पूरी नहीं कर पाए वैसे इनको कई डॉक्टरेट मिल.

चुकी है ऑनरी डॉक्टरेट बहुत सारी मिल चुकी है बाद में इन्होंने डिस्टेंस लर्निंग से अपनी एजुकेशन भी कंप्लीट करी थी नेशन बिल्डिंग के प्रोजेक्ट में चाहे जेंडर का जस्टिस हो लैंड फॉरेस्ट प्रोटेक्शन हो वाटर कंजर्वेशन हो आर्ट कल्चर प भी काम किया डिसेबिलिटी प भी काम किया भारत की आजादी के समय में जब भारत आजाद होने वाला था आजाद होने से पहले मोहम्मद अली जिन्ना.

वो एक मुस्लिम लीग संस्था चलाया करते थे तो उनके पिता को बहुत बोलते थे कि आप हमको जवाइन कर लो हमको जॉइन कर वो नहीं जवाइन किए इनको वो उनको नहीं जवाइन किया मोहम्मद अली जिन्ना को लेकिन लेकिन जब पार्टीशन हुआ उस समय मोहम्मद अली जिन्ना इनके पिता के पास गए और क्या बोले सुनो एक बार और अपॉर्चुनिटी दे रहा हूं पाकिस्तान बन रहा है अपने लोगों के बीच में चलो यहां कहां.

रहो तब इनके सब रिश्तेदार निकल गए यहां अकेले पड़ गए थे तो बोले आप चलो तो बोलो यहां क्या करोगे मैं तुम्हें पाकिस्तान का फाइनेंस मिनिस्टर बना दूंगा एक किताब है प्लानिंग फॉर पाकिस्तान यह ऑनलाइन पब्लिश हुई थी केंब्रिज में मैं आपको बहुत वेल रिसर्च डाटा दे रहा हूं ये हां ये फाइनेंस मिनिस्टर बना रहे थे पाकिस्तान के इनके पिता को पर थैंकफूली उन्होंने भारत को.

चुना बोला मैं अपनी मिट्टी नहीं छोडूंगा और आज उनके फिलैंथरोपिस्ट एफर्ट को देख कर के उनको बिल गेट्स ऑफ इंडिया बोला जाता है ऐसे ही टेल्स में टेक्निक्स निकाल निकाल के आपको देता रहूंगा स्टोरी से स्ट्रेटेजी सिखाता रहूंगा मोटिवेशन इंस्पिरेशन तो दूंगा पर स्किल स्ट्रेटेजी डिसिप्लिन डायरेक्शन क्लेरिटी इंफॉर्मेशन बहुत ज्यादा दूंगा मेरा चैनल जहां पे हर संडे.

सुबह 8:00 बजे अब सबको आना ही आना है ऐलान कर दो हे कुंती पुत्र जैसे बोलते हैं कृष्ण आपको भी बोल रहा हूं ऐलान कर दो हे सब्सक्राइबर्स कि यहां पे आपको मिलेगा टाइकून ऑफ इंडिया जहां पे एमएसएमई 15 करोड़ लोगों को जिसको व्यापार करना है बस मैंने खाली उसको बुलाना है जिसने बिजनेस करना है सीखना है इंस्पिरेशन लेना है वन स्टॉप डेस्टिनेशन है मेरे साथ जुड़े रहो.

और साथ में और लोगों को भी जोड़ते रहो संडे मॉर्निंग रिचुअल सुबह 8:00 बजे टाइकून ऑफ इंडिया मिस हो गया तो प्लेलिस्ट में जाकर के देख लो प्लेलिस्ट में जाकर के देख लो प्लेलिस्ट में लर्निंग का पूरा एक अपना अप में जिम है जहां पे आपकी बिजनेस की मसल्स तैयार होंगे आप जब आए तो कुछ सीख करके जाएं आप मैं ये फ्री में जो इनिशिएटिव ले रहा हूं आपको.

मेरा चैनल सामने आए क्योंकि आपने सब्सक्राइब कर दिया और क्यों करो सब्सक्राइब आप क्यों करो फायदा आपका ही है बिजनेस मतलब बड़ा बिजनेस और वही मैं सिखाता हूं हमारे साथ जुड़े रहने के लिए आज भी इस पृथ्वी के नंबर वन अंपन [संगीत]

Leave a Reply


Warning: Attempt to read property "id" on null in /var/www/vhosts/purshology.com/httpdocs/wp-content/plugins/sleek-ai/includes/classes/chatbot.php on line 171