हैं अक्षर अंबेडकर ने का पूछते हैं और हम शुरू करते हैं लेकिन कोई छोटी सी प्रॉब्लम आती है और गिवर कर जाते हैं आज हमारे पास एक ऐसे इंट्रस्टिंग और की स्टोरी है जिसने बिजनेस शुरू करने के लिए उसके पास पैसे भी नहीं थे ना उसके पास ऑफिस करंट देने के भी पैसे थे और आज उसका इंटीरियर डिजाइनिंग में बहुत बड़ा एंपायर है तो आज हम इस स्टोरी में बात करेंगे बेइज्जत खर्च की.

चुप बेठे ग्रुप के चेयरमैन है तो आप इसे हम इंटैक्ट में बात करेंगे इन कि पूरी लाइफ की और बिजनेस के झड़ने की हेलो दोस्तों मेरा नाम है दीपक आप देखें डिजिटल आर्ट तो आपके इंटीरियर डिजाइनिंग के फील्ड में बेठे ग्रुप का बहुत बड़ा नाम है लेकिन इसके पीछे जो माइंड है बहुत खर्च इनके स्टोरी इतनी इजी नहीं है उन्हें बहुत ही छोटे से शुरुआत करें और अपने बिजनस टैब पर.

डेवलप किया तो आज हम इनके बारे में डिटेल में बात करने जा रहा है तो इससे आपको भी एक बे मिलेगा कि आप भी अपनी जर्नी इन बहुत ही छोटे से कैसे शुरू कर सकते हैं तो बजाय जब छोटे थे आपके फादर जो बेहतरीन के जोक इन थे उनके यह चीज प्रोजेक्ट आर्किटेक्ट थे तो इनका जो बचपन था वह काफी लव स्टोरीस भरा था बट अचानक उनकी लाइफ चेंज होती है तो जब एजाज.

क्लास 6 में थे तो एक बार हो गया गल्फ और हुआ था तो उस समय इनको अपने ग्रैंड पैरेंट्स के साथ इंडिया वापस आना पड़ा और यह महाराष्ट्र के नासिक में अपने ग्रैंड पैरेंट्स के साथ आकर रहने लगे वहीं के पेरेंट्स जो थे वह बाहरी में ही थे तो वे शायद इन जब नासिक में जूनून ट्वेल्थ पास किया तो मैंने सोचा कि आप मैं आर्किटेक्ट ही बनूंगा तो इसके बाद एग्जाम देते हैं और.

कि ट्रैक्टर का और उस एग्जाम में बहुत बुरी तरह फेल हो जाते हैं तो एग्जाम का जब रिजल्ट आता है तो उनको लोग बोलता है कि तुम आर्किटेक्ट नहीं बन सकते हो क्योंकि तुम्हारे माप लेते ही नहीं तो बहुत आपने वहां पर फूट नहीं कोई और इन्होंने रिअप्लाई के एग्जाम के लिए और नेक्स्ट यह जो बैंक का इन्हीं 2 इंच फ्रेंड फीट पूरे महाराष्ट्र में और इनको मुंबई में.

गवर्नमेंट की तरफ से स्कॉलरशिप मिल गया तो इसका वेबसाइट ने अपनी मां से खिंचाई शुरू कर दी और इनको का घूंट साफ दिख रहा था कि यह एक फ्यूचर में एक आर्किटेक्ट बनने वाले हैं लेकिन ऐसा होता है कि किस्मत को कुछ और हमेशा मंदिर होता है जैसा हम सोचते हैं वैसा नहीं होता है तब इनके डैड को पैरालिसिस का अटैक आता है और अचानक इनके जो पूरे घर की जो.

नोटिफिकेशन होती है वह बिल्कुल खराब हो जाती है और इनको लगता है कि अब मुझे जॉब के लिए जाना चाहिए मुझे मास्टर्स की प्रिपरेशन छोड़नी चाहिए और उसी समय एतिहाद एयरवेज स्टार्ट हो रहा था इंडिया में तो यह सोचते हैं कि मैं आर्किटेक्ट का सपना छोड़ो और महक 73वें जॉइंट करूंगी कि समय बहुत ही वैकेंसी आई हुई थी तो फादर के पैरालिसिस का अटैक के बाद वे शांत अपने.

फादर को लेकिन नासिका जाते हैं अपने ग्रैंड पैरेंट्स के साथ अजवाइन का घर भी था और इनकी मदद मुंबई में रुक जाती हैं क्योंकि वह अकेली एक जॉब हित कर रही थी ताकि जिनके घर चल रहा था तो पैदा सोचते हैं कि आप मुझे जॉब करना चाहिए और मुझे भी घर को सपोर्ट करना चाहिए तो इसी सोच में वेदांत अलग-अलग लोगों से मिलते रहते हैं और.

लेते हैं लाइन इंडस्ट्रीज में क्या फ्यूचर कर सकते हैं तो इसी समय को एक पत्थर मिलते हैं और वह कहते हैं कि अगर मैं कुछ भी बड़ा करना है फील्ड में तो प्रॉब्लम तो आएंगे ही तो हमें तिब्बत नहीं करना चाहिए तो इसी समय बाद आप सोचते हैं कि क्यों न मैं फीट से आर्किटेक्ट ही मैं खैर आगे लेकर चलता हूं और प्रॉब्लम्स पेश करते हुए मुझे आगे जाना चाहिए इस फील्ड में तो 25.

साल के बीच में फैजाबाद अपना कैरियर शुरू करते हैं और वह अपना एक ऑफिस सेट अप करते हैं और ऑफिस में क्या होता है कि फिर टेबल रहता है उनके फ्रेंड जो रहते हैं वह उन्हें अपने ऑफिस में एक छोटा सा टेबल देते हैं यहां पर बैठ कर अपना काम कर सकते हैं और इसके बदले में वह अपने फ्रेंड का पूरा ऑफिस का इंटीरियर से डेकोरेट करने का काम करते हैं तो इसके बाद इन्हें फ्रेंड.

जो रहते हैं वह इन्हें अपने रेफ्रेंस के थ्रू कुछ लोगों से मिलते हैं और बहुत धीरे-धीरे छोटे-छोटे प्रोजेक्ट इन्हें मिलने लगते हैं उन्हें और मुंबई में तो ऐसे ही अलग-अलग बिजनेस की खोज में बगावत की मीटिंग होती है मारवाड़ी पर्सन से उनका काफी बढ़ा दो रहता है और उसके बाद उनके कई शॉट्स और कमर्शल स्पेस होते हैं और साथ ही उनके.

पूरी अपनी टीम रतिया आर्किटेक्ट की लेकिन वह अपने एक रिसोर्ट का काम बस आपको देते हैं जो कि उनका मनोबल फेवरेट रिसॉर्ट था और बदलाव से कहती है कि उसका इंटीरियर पूरा वह इतनी डिजाइन करें तो वह आपकी लाइफ में एक टर्निंग प्वाइंट साबित होता है तो उस मारवाड़ी पर्सन के साथ काम करते हुए वे सात को बोला जाता है कि आप मुंबई शिफ्ट हो जाइए क्योंकि नासिक से काम करना इजी नहीं.

था तो बैग आपको अच्छा लगता है कि मतलब हम अपनी फैमिली के यही कंडीशन में छोड़ कर कैसे जा सकता हूं तो उसी तरह के वाइफ उन्हें मोटिवेट करते हैं कि आप अपने ड्रीम को फॉलो करने की कोशिश करो तो 2007 में बाजार मुंबई शिफ्ट होते हैं और वह Marwadi जो पसंद आता है वह अपना अपना एक उन्हें ऑफिस अट बनाने का जगह देता है और वेदांत वहां से अपनी जान शुरू करते हैं और इसके.

भाव में वह उस मारवाड़ी परसेंट के लिए कुछ भी प्रोजेक्ट भी करने लगते हैं क्योंकि उनके पास ऑफिस का देने का तो रेंट फॉर नहीं है मैं तो मुंबई शिफ्ट होने के बाद बजाज हमेशा मुंबई नासिक और पुणे के बीच में ट्रेवल करते रहते हैं कई बार तो ऐसा होता है कि उनको वीक में दो से तीन बार ट्रैवल करना होता था तो जाए ताकि टॉप सिचुएशन का.

उनके लिए मत बगल और इसी ट्रैवलिंग और लोकल्स और नार्मल 3676 घंटे के लिए ट्रेवलिंग करते हुए का टाइम बीतने लगा था तो एडजेस्टेबल काफी टाइम चलता है और इसके बाद वेदांत क्या करते हैं अपने छह इंप्लाइज के साथ एक चॉल में शिफ्ट होते हैं मुंबई में ही और उसके कुछ दिन बाद वह अपने 10 एंप्लाइज के साथ एक मॉल में एक ऑफिस लेते हैं छोटा सा और वहां पर बाजार.

अपना वर्क स्टार्ट करते हैं और वह पूरा करना शुरू कर देते हैं तो इधर फैजाबाद अपना बिजनेस है वर्क करते जाते हैं वह रेजिडेंशियल कंपलेक्स और ऑफिस स्पेस बगैर को डेवलप शुरू कर देते हैं करना और इसे साथी अपना प्राइसिंग काफी कम रखते हैं ताकि वह लाइन को खून न दें सो इस तरह से वह पूरा डिजाइन बनाते थे लास्ट बनाते थे अपने क्लाइंट के लिए और 2013 में वेदांत.

अपने 40 एंप्लाइज के साथ घड़ी में एक पूरा ऑफिस सेट अप करते हैं और इस तरह से अब उनकी जगह थोड़ी ठीक होने लगती है बट ए टाइम ऐसा आता है वह आपके पास कि उनके पास 30 से ज्यादा प्रोजेक्ट एक ही टाइम में रहते हैं और वहां पर अगर आपको लगता है कि 30 प्रोजेक्ट करने में जो उनकी इफिशिएंसी है मतलब जितना वह पर कुंवर कर सकते थे एक प्रोजेक्ट में वह 30 प्रोजेक्ट.

में उनको प्रोजेक्ट फील करना ज्यादा इंपोर्टेंट दिखने लगा तो इस वजह से फैला सोचने कि मुझे अपना बिजनेस मॉडल को चेंज करना चाहिए मतलब है डिजाइनिंग कर रहे थे लेफ्ट बना रहे थे तो वह सोचते हैं कि हम जितना पैसा यहां पर कॉस्ट करते हैं हमें कुछ अपना बॉर्डर चेंज करना चाहिए क्लॉक नहीं दिखता अपने मॉडल के अंदर तो बजाय यहां पर देखते हैं कि अगर तो पूरा.

प्रोजेक्ट का कोर्स होता है तो यह ऊपर डिजाइन consultancy अभी तक काम कर रहे थे तो इसका इनमें से पांच से छह परसेंट मिलता था पूरे प्रोजेक्ट के कॉस्ट का और साथी इनके पास इतने ज्यादा प्रोजेक्ट जाते थे इससे यह फिर भी इनको पैसे कम होते थे तो बजाते यहां सोचा कि क्यों ना हम कंप्लीट प्रोजेक्ट लेने लगे मतलब फ्रॉम थे इनिशियल टू.

क्विंटल चूरा हम टंकी प्रोजेक्ट लें पूजा बेसिक बाजार में प्रॉब्लम एनालाइज्स किया था उन्होंने देखा था कि हम डिजाइन बनाकर तो आ जाते हैं बटर प्रोडक्ट की डिलीवरी डिजाइन के बाद अच्छी नहीं होती है क्योंकि उसके बाद उनका काम खत्म हो जाता था जब ऐसे में कंसलटेंसी काम करते थे तो अगर वह कंप्लीट प्रोजेक्ट में वर्क करेंगे तो सब कुछ स्टार्टिंग से एंड तक क्लाइंट को.

कंपलीट सेटिस्फेक्शन दे सकते हैं तो यही स्कूल परपस था तो अब यहां पर देखेंगे कोई भी कंप्यूटर भी एक्सप्लेन करते हैं जो क्लाइंट सेटिस्फेक्शन पर ज्यादा वर्क करती है और यही वजह आपने अपना पूरा जुखाम अपना चेंज करने की कोशिश करें तो इंडिया में होम इंटीरियर और इनोवेशन का मार्केट अभी करीब 20 मिलियन डॉलर के बीच में है तो यहां पर अपॉर्चुनिटी तो बहुत ज्यादा है और.

बजाय देखते हैं कि उस समय जब उन्होंने सोचा कि हम कंप्लीट प्रोजेक्ट लेने की कोशिश करेंगे अब तक उस समय मार्केट में कोई भी ऐसा नहीं कर रहा था तो स्टार्टिंग में ने ट्रस्ट लाइन का जितने में बहुत प्रॉब्लम आई बटन जैसे कहते हैं एक प्रोजेक्ट मिलने के बाद आपको दूसरा तीसरा मिलता जाता है तरह से वेदांत यह मॉडल सक्सेसफुल होने लगा.

और इन्हें कंप्लीट प्रोजेक्ट मिलने लगे मतलब इंटीरियर्स के स्टार्टिंग से लेकर एंड तक यह रो मटेरियल पर खुद प्रोवाइड करने लगे और और उसके बाद कंस्ट्रक्शन भी है डिपोजिट करते थे डिजाइन बेखुदी करते थे तो यहां पर यह बता क्लाइंट को कंप्लीट प्रोजेक्ट दे दिया तो पूरा टेंशन इनका एक ही प्रोजेक्ट पर रहता था तो जहां वह 30 प्रोजेक्ट करते थे तो अब यह तीन से चार.

डिपोजिट करने लगे और जो इनका प्रॉफिट पावडर मल्टीपल होने लगा और यहां पर क्लाइंट को सेटिस्फेक्शन दे ज्यादा दे पा रहे थे तो इस तरह से बेन के ग्रुप और ज्यादा डिवेलप होने लगी और यह काफी अलग सभी प्रोजेक्ट बनाने लगे और जो इनका कंप्लीट जो फोकस रहने लगा वह लाइन सेटिस्फेक्शन पर मतलब हर चीज है काफी परफेक्टली बनाने लगे तो जैसे पहले होता था.

कि अलग-अलग पार्ट अलग-अलग कंपनियां करती थी तो उसमें क्या था उस में प्रॉब्लम आती थी क्लाइंट को क्योंकि कोई भी एक बीच का अगर पर्सन ने अच्छा काम नहीं किया तो इनके ऊपर भी उसका नाम आता था कि इनका भी काम खराबी था तो अब जब यह हंड्रेड परसेंट प्रोडक्ट डेवलप कर रहे थे तो यह 34 लुटेरों का पुलिस पर नजर है तो अब क्लासिफिकेशन देने लगे और इसके साथ.

इन्होंने कई प्रोजेक्ट एवं कि ये जैसे कि इन्होंने अफ्रीका में 600 स्क्वायर फिट का विला भी डेवलप किया यह चाइना मैक्स प्रिंट किए कि दुबई मैक्स प्लैंक ये और इंडिया में तो यह काफी ज्यादा पेट के जैसे कि इन्होंने ताज विवांता के लिए दिल्ली में प्रोजेक्ट किया और जैसे कि अ भिगोने में इन्होंने मुंबई में वर्क किया स्काई विला के लिए ने मुंबई में वर्क किया तो इस तरफ.

से द बेल के दो पूरी तरह से एक्सटेंड करने लगेंगे में और आज के डेट पर इनका टर्न ओवर 20 करोड़ से ज्यादा का है तो आप अगर देखोगे कि इनके स्टार्टिंग बहुत ही छोटे से हुई थी और इस बिजनेस मॉडल और क्लाइंट सेटिस्फेक्शन की मदद से इन्होंने बीच में काफी ऊपर तक लेकर गए हैं तो अगर आपको भी ऐसा लगता है कि एक बिजनस सिस्टम यूज करना बहुत कठिन है तो वह तो है बट अगर आप उसको.

सोच लेते हो मुझे करना है तो आप इसको बीच कर सकते हैं बिजनस प्रॉब्लम को मिटाने की बात करें तो उस समय भी चीन के ग्रुप का जो मॉडल था यह तो अच्छे से चल रहा था और इनको बुलाकर पहले के फाइनेंसियल ईयर से ज्यादा प्रोजेक्ट इस हेयर मिले तो अगर इन फ्यूचर अगर देखें तो बैंक ग्रुप का आता है कि यह पूरी लेकिन ही मैन्युफैक्चरिंग करना चाहते हैं और साथ यह लाइन को और बेटर.

एक्सपीरियंस थे लेकिन की कोशिश है तो इस हिसाब से फंडिंग में आगे आगे आने वाले टाइम उठाने की कोशिश करेंगे तो इसे के साथ यह पूरी बिज़नस मॉडल ही एनके गुप्ता खत्म होता है आपको यह स्टोरी कैसी लगी आप नीचे कमेंट सेक्शन में लिख कर बताइए और साथ इधर आपने कोई बिजनस टैब रिलीज़ करने की कोशिश की है और आप मॉडल अपना शेयर करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट सेक्शन में लिख सकते.

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