क्यों डूब गया ebay ?🔥🔥Why ebay Failed in India, Ebay Downfall Story, Business Case Study in Hindi - purshoLOGY

Ebazee.net eb192q प्लेटफॉर्म्स तो अवेलेबल है जैसे कि न बोस्टन कंप्यूटर एक्सचेंज वगैरह वगैरह अब इनके साथ प्रॉब्लम क्या थी कि जो बिजनेसमैन थे वही इनप एज अ सेलर सामान सेल कर सकते थे लेकिन आम लोगों का क्या उनके लिए तो कोई भी प्लेटफार्म अवेलेबल नहीं था जिस पे वो अपने सामान को सेल कर सके और.

किसी भी सामान को फिक्स प्राइस में क्यों बेचा जाए ऑक्शन करके भी तो बेचा जा सकता है जो भी ज्यादा प्राइस पे करने के लिए तैयार होगा सामान उसे मिल जाएगा सो यहीं से उसके दिमाग में एक आईडिया आया कि क्यों ना एक वेबसाइट बनाई जाए जिस परे कोई भी अपना सामान बेच सके और वो भी ऑक्शन के थ्रू सो उसने एक ऐसी वेबसाइट बना डाली और उसका नाम रखा ऑक्शन वेब अब दोस्तों.

वेबसाइट बनाने के बाद बाद बेचने के लिए कुछ ना कुछ तो चाहिए ही था तो उसके पास एक पुराना टूटा हुआ लेजर पॉइंटर था तो उसने उसका फोटो खींच कर अपलोड कर दिया और डिस्क्रिप्शन में लिख दिया कि ये टूटा हुआ है शुरुआत में तो लगभग एक हफ्ते तक उस वेबसाइट पे कोई भी एक्टिविटी नहीं हुई सो उसको लगा कि उसका ये जो आईडिया है उतना अच्छा है नहीं क्योंकि उसे कोई खास.

रिस्पांस तो मिला नहीं सो उसने वेबसाइट को बार-बार देखना छोड़ दिया और अपने काम में लग गया फिर तीन-चार दिन बाद जब उसको टाइम मिला तो उसने सोचा चलो एक बार फिर से वेबसाइट पे जाके कुछ काम किया जाए और जब उसने वेबसाइट प विजिट किया तो देखा बहुत सारे लोगों ने उस लेजर पॉइंटर को खरीदने के लिए बिडिंग किया हुआ था और एक आदमी तो ऐसा था जो $1.80 देने के लिए तैयार था सो.

यही डिसाइड हो गया कि उसी आदमी को ये लेजर पॉइंटर बेज दिया जाएगा लेकिन दोस्तों फिर उसके मन में ख्याल आया कि कहीं उस आदमी ने उस लेजर पॉइंटर के लिए गलती से बोली तो नहीं लगा दी सो उसने कंफर्म करने के लिए उस आदमी को फोन लगाया और उसे बताया कि जो लेजर पॉइंटर आप खरीदना चाहते हैं वो पहले से टूटा हुआ है तो उस आदमी ने कहा मुझे पता है और मैं टूटे हुए लेजर पॉइंटर को.

कलेक्ट करता हूं इससे मुझे अच्छा लगता है क्योंकि ये मेरा एक शौक है सो दोस्तों ये जो स्टोरी मैंने आपको बताई है ये eb4 कंप्यूटर प्रोग्रामर का नाम है पिर ओमी दियार जो कि ईब के फाउंडर हैं सो दोस्तों धीरे-धीरे ऑक्शन वेब पे ट्रैफिक बढ़ने लगा लोग इसके थ्रू अलग-अलग चीजों का ऑक्शन करने लगे और यहां से ओमी दियार को इस बिजनेस के अंदर पोटेंशियल नजर आया और.

उन्होंने जॉब छोड़कर इसी पे पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया एक साल के अंदर इस प्लेटफार्म के थ्रू 7.2 मिलियन डॉल के प्रोडक्ट सेल हो गए थे और 14 महीनों के अंदर इस ऑक्शन वेब पर 2 लाख से ज्यादा ऑक्शंस हो चुके थे दोस्तों शायद आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि ऑक्शन वेब पर लोग आम चीजों की बोली तो लगाते ही थे लेकिन इस पर ऐसी-ऐसी स्ट्रेंज चीजें भी सो.

हो चुकी है जिन्हें बेचने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते जैसे बॉटल के अंदर बंद भूत हंटेड रबर डक एक ऐसी दादी जिसे उसकी 10 साल की पोती ने बेचने की कोशिश की एक चबा हुआ और फुलाया हुआ बबल गम जिसकी बोली लगी थी $14000 की और ऐसी अजीबोगरीब चीजों की बहुत लंबी लिस्ट है अगर आप चाहे तो वीडियो के डिस्क्रिप्शन में मैंने आप लोगों के लिए एक लिंक दिया है उस परे.

क्लिक करके आप सारी चीजों के बारे में पढ़ सकते हैं अब दोस्तों ऐसी चीजें बिक रही थी तो आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि ऑक्शन वेब को लोग कितना फ्री होकर यूज कर रहे थे और उसकी पॉपुलर क्या रही होगी सो देखते ही देख ते ऑक्शन वेब पर इतना ज्यादा ट्रैफिक आने लग गया कि जो इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर थे उन्होंने ओडीआर को बिजनेस अकाउंट में अपग्रेड करने के लिए कह दिया.

बिजनेस अकाउंट के लिए डीर को हर महीने $30 से लेकर $250 तक चार्जेस पे करने थे और अगर ट्रैफिक ज्यादा आता तो और भी ज्यादा अमाउंट पे करना पड़ता था सो इसी चीज को देखते हुए ओडर ने अपने यूजर से पैसे चार्ज करने शुरू कर दिए जिससे पहले महीने में उन्हें $11000 की इनकम हुई और दूसरे महीने में $200 की और देखते देखते ये अमाउंट बढ़ते गया जैसे-जैसे बिजनेस बड़ा हो रहा.

था इनके लिए सारी चीजों को अकेले मैनेज करना मुश्किल हो रहा था उसके बाद में इन्होंने एंप्लॉयज को हायर करना शुरू किया और दोस्तों धीरे-धीरे ऑक्शन वेब पर बहुत ज्यादा ट्रैफिक आने लगा पूरे अमेरिका में ये पॉपुलर होता गया लेकिन दोस्तों प्रॉब्लम ये थी कि इसका जो नाम था ऑक्शन वेब वो थोड़ा सा अटपटा था सो अमीडिया ने सोचा कि नाम को चेंज करते हैं और वो नया.

नाम रखना चाहते थे इको बे लेकिन इसका डोमेन अवेलेबल ही नहीं था क्योंकि ये गोल्ड माइनिंग करने वाली कंपनी ने ये नाम ऑलरेडी रजिस्टर किया हुआ था सो उन्होंने इस नाम को छोटा कर दिया और यहां से नाम आया ईब अक्टूबर 1996 में ebony.com आज ईब कैंपस के नाम से जाना जाता है 1997 में कंपनी को बेंचमार्क नाम की वेंचर कैपिटल फर्म से 6.7 मिलियन डॉलर.

की फंडिंग मिली थी जिसके बाद में eb192q ट्रेड कर सकें लेकिन अनफॉर्चूनेटली उस वेबसाइट का जो इंटरफेस था वो काफी कन्फ्यूजिंग था सो लोग उसे अच्छे से यूज नहीं कर पाते थे सो काफी सारे लोगों ने क्या किया इसे बेचने के लिए eb1 पर शेयर सिर्फ इसी से ही आने लगा और फिर देखते ही देखते लोगों ने बिनी बेबीज के साथ-साथ अलग-अलग टॉयज भी.

Eb1 आते-आते कंपनी का रेवेन्यू 4.7 मिलियन डलर हो गया 30 एंप्लॉयज इनके साथ काम करने लग गए और लगभग 5 लाख से ज्यादा यूजर्स इनके साथ जुड़कर ट्रेड करने लग गए थे जिसके बाद में कंपनी ने अपना आईपीओ लांच कर दिया और दोस्तों जब ट्रैफिक बहुत ज्यादा बढ़ने लग गया और लोग अलग-अलग सामानों का ऑक्शन करने लगे तो कंपनी ने धीरे-धीरे अलग-अलग कैटेगरी बनानी शुरू कर.

दी जो आज भी आप इनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं फिर साल 2000 में कंपनी ने इंस्टेंट बाय वाला फीचर भी लॉन्च कर दिया यानी कि जो लोग अपना सामान ऑक्शन में नहीं बेचना चाहते फिक्स प्राइस प बेचना चाहते थे अब वो भी इस वेबसाइट पर बेच सकते थे ठीक उसी तरह जैसे amazon-cognito-identity-js कंपनी के यूजर्स और तेजी से बढ़ने लग गए और उसके.

बाद में कंपनी ने अलग-अलग देशों के अंदर कंपनीज को एक्वायर करना शुरू कर दिया लगभग 40 कंपनियों को एक्वायर किया था जिनमें paypal.com bp.com ऐसी बड़ी-बड़ी कंपनी शामिल है फिर दोस्तों ebay.com vm2 बी प् प्लेटफॉर्म थे यहां पे आम लोग डायरेक्टली कोई भी चीज मंगवा नहीं सकते थे और इसी चीज को e ने नोट किया और.

2005 में bazi.com नाम की एक कंपनी को एक्वायर कर लिया और इंडिया में एंटर किया दोस्तों bazi.com एक मुंबई बेस्ड ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल था जिस पे मोस्टली इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रोडक्ट सेल हुआ करते थे लेकिन उसपे कुछ ऐसी सीरीज भी लिस्टेड थी जिनमें स्कूल स्टूडेंट्स के सेंसिटिव वीडियो क्लिप थे जिसकी वजह से कंपनी का जो मालिक था उसको गिरफ्तार कर लिया गया और.

कंपनी की फाइनेंशियल सिचुएशन खराब होने लगी सो ऐसे में ebay.com को सिर्फ 50 मिलियन डॉलर देकर एक्वायर कर लिया और कंपनी का नाम चेंज करके रख दिया गया eb2 का डिस्काउंट देना शुरू किया इसके अलावा इसके ऊपर लोगों को बहुत सारे सामान के ऊपर अलग-अलग प्रकार के ऑफर्स भी मिलते थे जिससे ज्यादा ज्यादा लोग ebit-eps बन गया 1 साल के अंदर ही इंडिया में इनके.

2 मिलियन से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स हो गए थे ebazee.net प्रॉब्लम है और वो सारी प्रॉब्लम्स को उन्होंने आइडेंटिफिकेशन मॉडल में क्या-क्या प्रॉब्लम्स उनको फाइंड आउट हुई होगी उसके बारे में इसी वीडियो में आखिर में बात करेंगे तो चलिए अब आगे चलते हैं सो जब flipkart’s डील और उसने हर कैटेगरी के.

प्रोडक्ट सेल करना शुरू कर दिया सो flipkart-in के प्रोडक्ट बेचने शुरू किए अब धीरे-धीरे से इन प्लेटफॉर्म की तरफ शिफ्ट होने लगेगे जहां उन्हें अच्छे ऑफर्स मिल रहे थे और साथ ही साथ में किसी भी चीज का एक फिक्स प्राइस होता था और उसके ऊपर डिस्काउंट भी मिलता था देखिए दोस्तों हमारे देश में एमआरपी का कांसेप्ट चलता है और हर इंसान.

चाहता है कि जो एमआरपी है उससे भी कम प्राइस में उसको चीज मिल जाए अब में इंडिया में amazonbusiness.in मॉडल था वो बहुत ज्यादा पसंद आने लगा इसलिए उन्होंने सप डील में इन्वेस्ट करना शुरू किया लेकिन आगे चलकर स्प डील के साथ भी बहुत सारी प्रॉब्लम्स आने लग गई जैसे लोगों को मिस लीडिंग प्रोडक्ट पहुंचाना वेयरहाउस से सामान चोरी.

हो जाना सेलर्स की प्रॉपर जानकारी ना होना कस्टमर्स को सही रिस्पांस ना दे पाना और इसी प्रकार की और बहुत सारी प्रॉब्लम्स उनके साथ भी हो रही थी जिसकी वजह से snapdeal-in जो snapdeal-in ई-कॉमर्स प्लेटफार्म बनने की पूरी कोशिश कर रहा था इसलिए उसने तीन ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी से से लगभग $1.4 बिलियन लर रेज किए थे ये कंपनीज थी.

नहीं था तो लोग ऑनलाइन शॉपिंग भी नहीं करते थे अब कोई ऑनलाइन शॉपिंग नहीं कर रहा है तो जो लोग प्रोडक्ट सेल कर रहे हैं वो लोग ऑनलाइन प्रोडक्ट सेल भी नहीं करते थे अब दोस्तों जरा सोचिए अगर सेलर प्रोडक्ट सेल ही नहीं करेगा तो प्लेटफॉर्म को इनकम होगी कैसे आज के टाइम में प्रोडक्ट को सेल किया जाता था देखिए आज के टाइम में.

Amazonbusiness.in कंडीशन उतने ज्यादा स्ट्रिक्ट नहीं थे जिसकी वजह से कोई भी आसानी से आईडी बना लेता था और आईडी बनाने के बाद में वो दिखाता कुछ और था और कस्टमर को भेजता कोई और ही प्रोडक्ट था इसके अलावा काफी सारे लोग कस्टमर्स के साथ फ्रॉड भी करने लग गए जिसकी वजह से जो लॉयल सेलर थे उनका इमेज भी खराब होने लग गया और साथ ही साथ में जो बायर थे उनका भी ट्रस्ट.

जाने लगा तो ये जो दोनों ही थे सेलर और बायर ये दूसरे प्लेटफॉर्म से मूव होने लग गए तीसरा रीजन है इनका ऑक्शन मॉडल देखिए दोस्तों जैसे कि मैंने आपको बताया हमारे देश में मैक्सिमम लोग ऐसे हैं जो फिक्स प्राइस के ऊपर भी डिस्काउंट चाहते हैं और कम से कम में प्रोडक्ट को खरीदना चाहते हैं और इनके ऑक्शन मॉडल में तो ऐसा था कि किसी भी चीज को महंगे से महंगे में भी.

खरीदा जा सकता है जिसके पास जितने ज्यादा पैसे होंगे वो उतना ही महंगे में कोई भी चीज खरीद सकता है अब ऐसे लोग हमारे देश में कम ही है तो जब तक कस्टमर्स के पास ऑप्शंस अवेलेबल नहीं थे वो eb-5 2015 के आसपास की बात है मैंने चलो मोबाइल बाय कर लेते हैं अब जब मोबाइल खरीदा मेरे घर पे जब आया तो मैंने देखा उसके ऊपर बहुत सारे स्क्रैचेज थे सो मैंने.

इमीडिएट ebazee.net सेवन डेज के अंदर आपके जो पैसे होते हैं आपको वापस मिल जाते हैं और आप जो प्रोडक्ट है उसको भेज सकते हो तो ऐसा ऑप्शन ईब में अवेलेबल नहीं था सो ये भी एक रीजन बना होगा जिसकी वजह से लोग फ्रेंड्स फैमली मेंबर और जान पहचान के साथ शेयर कीजिए चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए मिलते हैं दोस्तों अगले वीडियो में फिर एक.

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